अब्बास अंसारी विधानसभा से अयोग्य घोषित, हेट स्पीच मामले में सजा के बाद गई विधायकी

हेट स्पीच के मामले में सजा के बाद सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायक अब्बास अंसारी को विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया है. मऊ की एमपी/एमएलए कोर्ट द्वारा शनिवार को उन्हें 2 साल की सजा सुनाए जाने के बाद ये फैसला आया है.

हेट स्पीच के मामले में सजा के बाद सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायक अब्बास अंसारी को विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया है. मऊ की एमपी/एमएलए कोर्ट द्वारा शनिवार को उन्हें 2 साल की सजा सुनाए जाने के बाद ये फैसला आया है.

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Suhel Khan
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abbas ansari 1 june

सजा के बाद गई अब्बास अंसारी की विधायकी Photograph: (File Photo)

माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के विधायक बेटे अब्बास अंसारी को दो साज की सजा के बाद विधायकी से भी अयोग्य घोषित कर दिया गया है. अब्बास अंसारी को शनिवार को मऊ कोर्ट ने हेट स्पीच मामले में दो साल की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश की मऊ सदर विधानसभा सीट से विधायक अब्बास अंसारी और उनके चाचा मंसूर अंसारी को दोषी करार दिया गया. कोर्ट ने अब्बास अंसारी को दो साल और मंसूर अंसारी को छह माह की सजा सुनाई है. इसके साथ ही उन पर 11 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाए जाने के साथ ही अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता खुद ही समाप्त हो गई है.

विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने की घोषणा

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रविवार को विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने मऊ सदर विधानसभा सीट को रिक्त घोषित किया. रविवार को छुट्टी होने के बावजूद विशेष रूप से कार्यालय खोला गया. उसके बाद आयोग को पत्र भेजा गया. बताया जा रहा है कि निर्वाचन आयोग नियमानुसार मऊ सीट पर जल्द ही उपचुनाव कराएगा.

शनिवार को हुआ था सजा का एलान

अब्बास अंसारी को शनिवार (31 मई, 2025) को सजा सुनाई गई. सजा के एलान के बाद अब्बास अंसारी के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'अजाएम जिनके ऊंचे और ऊंचे बख़्त होते हैं. ज़माने में उन्ही के इम्तिहान भी सख़्त होते हैं. आज मऊ की CJM कोर्ट ने माननीय विधायक अब्बास अंसारी साहब को दोषी पाते हुए 2 साल की सज़ा सुनाई और चाचा मंसूर अंसारी को दोषी पाते हुए 6 महीने की सज़ा सुनाई. गौरतलब है की माननीय विधायक अब्बास अंसारी जितनी सज़ा है उससे अधिक (यानि 2 साल से कुछ अधिक) विचाराधीन बंदी के रूप में कारागार में रह चुके हैं इसलिए अदालत ने उनको और उनके चाचा को भी ज़मानत पर रिहा कर दिया.'

उन्होंने अपनी पोस्ट में आगे लिखा, "अल्लाह जो करता है उसी में बेहतरी होती है यही हम सबका ईमान है. आगे इंसाफ की लड़ाई ऊपर की अदालत में लड़ी जायेगी. देर से ही सही मगर इंसाफ ज़रूर होगा इंशाअल्लाह. हमें अल्लाह पर, अपने देश की न्यायपालिकाओं पर और संविधान पर पूरा भरोसा है.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, साल 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान अब्बास अंसारी ने एक चुनावी रैली में कहा था कि सपा मुखिया अखिलेश यादव से कहकर आया हूं, सरकार बनने के बाद 6 महीने तक किसी की ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं होगी. उन्होंने कहा था कि, जो जहां है, वहीं रहेगा. पहले हिसाब-किताब होगा, फिर ट्रांसफर होगा. उनके इस बयान के बाद ही मऊ कोतवाली में सब इंस्पेक्टर गंगाराम बिंद ने अब्बास अंसारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी.  करीब तीन साल तक चली सुनावई के बाद 31 मई को फैसला आया.

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