Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार से एक बदलाव होने जा रहा है. जिसके तहत अब विरिष्ठ अधिवक्ताओं को सीजेआई की कोर्ट में किसी मामले के तत्काल सूचीबद्ध करने और उस पर सुनवाई करने पर रोक लग जाएगी. इस संबंध में शीर्ष अदालत ने नोटिस भी जारी कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला जूनियर वकीलों को ध्यान में रखते हुए लिया है. जिसके तहत अब जूनियर वकील भी अपने मामलों को तत्काल सूचीबद्ध और उस पर सुनवाई के लिए रख सकेंगे. नया नियम सोमवार यानी 11 अगस्त से लागू हो रहा है.
6 अगस्त को दी थी सीजेआई ने जानकारी
बता दें कि इस बारे में सुप्रीम कोर्ट से चीफ जस्टिस न्यायाधीष बीआर गवई ने 6 अगस्त को कहा था कि, "11 अगस्त से किसी भी वरिष्ठ अधिवक्ता को उनकी अदालत में तत्काल सूचीबद्ध एवं सुनवाई के लिए मामलों का उल्लेख करने की अनुमति नहीं होगी, जिससे कनिष्ठ अधिवक्ताओं को ऐसा करने का मौका मिल सके."
पूर्व सीजेआई ने लगाई थी रोक
बता दें कि सीजेआई बीआर गवई ने वकीलों द्वारा तत्काल सूचीबद्ध और सुनवाई के लिए मामलों का मौखिक उल्लेख करने की प्रथा को शुरू करने का आदेश दिया था. हालांकि उनसे पहले पूर्व सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना ने इस प्रथा पर रोक लगा दी थी. साथ ही इसके लिए वकीलों को ई-मेल या लिखित पत्र भेजने को कहा था.
हमारा उद्देश्य लोगों को न्याय प्रदान करना- सीजेआई गवई
बता दें कि रविवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआई गवई गुवाहाटी पहुंचे थे. जहां उन्होंने गुवाहाटी हाईकोर्ट की नवनिर्मित इटानगर स्थायी बेंच के भवन का उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि, 'ना तो कोर्ट, ना ही न्यायपालिका और ना ही विधायिका राजाओं, न्यायाधीशों या कार्यपालिका के सदस्यों के लिए अस्तित्व में हैं. हम सभी का उद्देश्य लोगों को न्याय दिलाना है.'
CJI ने की गुवाहाटी हार्टकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों की तारीफ
इसके साथ ही चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआई गवई ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीशों की तारीफ की. जिन्होंने न्याय को अधिक सुलभ बनाने के लिए अहम कदम उठाए. सीजेआई ने अरुणाचल प्रदेश की विविधता में एकता की भी प्रशंसा की. सीजेआई ने कहा कि, राज्य में 26 प्रमुख जनजातियां और 100 से ज्यादा उप-जनजातियां हैं. उन्होंने कहा कि, सरकार ने सभी जनजाति की परंपराओं और संस्कृति को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए कोशिशें की हैं. सीजेआई ने कहा कि देश प्रगति करें लेकिन हमारी संस्कृति और परंपराओं की कीमत पर नहीं. जो हमारे संविधान के तहत एक मौलिक कर्तव्य है जिसे हमें उसे संरक्षित और संजो कर रखना चाहिए.
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