Sawan 2025: भगवान शिव को समर्पित सावन का महीना शुक्रवार (11 जुलाई) से शुरू हो गया. इसी के साथ कांवड़ यात्रा की शुरुआत हो गई. वहीं देशभर के मंदिरों और शिवालयों भी बम-बम भोले के जयकारों से गूंजने लगे हैं. शिव मंदिरों में सुबह से ही भक्तों को तांता लगा हुआ है और विशेष पूजा-अर्चना शुरू हो गई है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक, सावन का महीना सबसे पवित्र माना जाता है जो भोलेनाथ को समर्पित है.
इस महीने में भगवान शिव से की गई सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसीलिए शुक्रवार सुबह से ही देशभर के शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. सावन महीने के साथ शुरू हुई कांवड़ यात्रा 9 अगस्त तक चलेगी. 28 दिनों तक चलने वाली कांवड़ यात्रा में इस बार देवभूमि हरिद्वार में करीब साढ़े चार करोड़ कांवड़ियां गंगा से जल लेकर लौटेंगे.
गंगा घाटों पर उमड़ी कावड़ियों की भीड़
सावन की शुरुआत होते ही गंगा घाटों पर कांवड़ियों की भीड़ उमड़ने लगी है. जहां से कांवड़ियां गंगाजल लेकर निकलने लगे हैं. उसके बाद ये कांवड़ियां अपने-अपने इलाकों में शिव मंदिर या शिवालयों में गंगाजल चढ़ाकर भगवान शिव से अपनी मनोकामना मांगेंगे. देवभूमि हरिद्वार में हर की पौड़ी से लेकर गंगा के अन्य घाटों पर भी कांवड़ियों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है.
कांवड़ यात्रा के लिए किए गए विशेष इंतजाम
बता दें कि हर साल की तरह इस बार भी कांवड़ यात्रा के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं. दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांवड़ मार्गों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम देखने को मिल रहे हैं. पूरे रास्ते में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है. साथ ही सीसीटीवी कैमरों से भी निगरानी की जा रही है. इसके साथ ही खाने-पीने की दुकानों की भी जांच हो रही है. साथ ही फूड एंड सेफ्टी विभाग भी खाद्य पदार्थों के सैंपल ले रहा है. कांवड़ मार्ग पर नॉन-वेज की सभी दुकानें बंद कर दी गई हैं.
पिछले साल आए थे चार करोड़ कांवड़िया
इसके साथ ही दिल्ली पुलिस ने कांवड़ियों से अपील की है कि वे निर्धारित कांवड़ मार्गों का ही इस्तेमाल करें. दिल्ली के एडिशनल कमिश्नर दिनेश कुमार गुप्ता ने कहा कि, 'हमने कांवड़ियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए सभी जरूरी इंतजाम किए हैं. वे निर्धारित मार्गों का ही पालन करें.' बता दें कि 23 जुलाई को सावन महीने की शिवरात्रि मनाई जाएगी. इसके बाद भी सावन के खत्म होने यानी 9 अगस्त तक श्रद्धालु गंगाजल चढ़ाते रहेंगे. पिछले साल 4 करोड़ से ज्यादा कांवड़ियों ने इस यात्रा में भाग लिया था. इस साल ये संख्या साढ़े चार करोड़ होने की उम्मीद है.
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