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Mohan Bhagwat (File)
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष में देश में हिंदू-मुस्लिम विवाद को कम करने का लक्ष्य तय किया गया है. संघ का मानना है कि देश के सर्वांगीण विकास के लिए ये जरूरी है. संघ का कहना है कि देश को आर्थिक प्रगति और स्थिरता देने के लिए जरूरी है कि आपसी मतभेद खत्म हो और हिंदू-मुस्लिम मिलकर आगे बढ़ें. मुस्लिम समाज से संवाद का सिलसिला संघ की करीबी संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच द्वारा बढ़ाया जाएगा.
दिल्ली में आयोजित होगा मुस्लिम समाज का विशाल कार्यक्रम
दिल्ली में आगामी दो महीने के अदंर एक बड़े मुस्लिम सम्मेलन के साथ-साथ देश भर में जिला स्तर पर मुस्लिम समाज के बौद्धिकों के साथ बैठक आयोजित किया जाएगा. उम्मीद है कि इसमें संघ के पदाधिकारी भी शामिल हो सकते हैं.
20 करोड़ मुस्लिम घरों में जाने का लक्ष्य
100 वर्ष पूरे होने पर करीब 20 करोड़ घरों में घर-घर जाकर मुस्लिमों के साथ संपर्क बढ़ाने का जिम्मा एमआरएम उठाएगी. गुरुवार को हरियाणा भवन में सर संघ संचालक मोहन भागवत के साथ एमआरएम के शीर्ष पदाधिकारियों की बैठक में ये फैसला किया गया है. मीटिंग में संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल, अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल और एमआरएम के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार मौजूद रहे.
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मुस्लिमों को समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए फैसला
चर्चा का मुख्य विषय देश की प्रगति में हिंदू और मुस्लिम समाज की दूरियां कैसे कम हो. कैसे एक भारतीयता की पहचान को मजबूत किया जाए. बैठक में एमआरएम के राष्ट्रीय संयोजक, प्रकोष्ठों और प्रांत संयोजकों को मिलाकर 40 से अधिक लोग मौजूद रहे. बैठक में संघ प्रमुख की ओर से मुस्लिम समाज के आर्थिक और शैक्षणिक विकास के प्रयासों पर जोर देने का फैसला किया, जिससे मुस्लिम समाज की मुख्य धारा में आए.
हिंदू-मुस्लिम अखंड भारत का हिस्सा
मोहन भागवत ने बैठक में स्पष्ट संदेश दिया कि हिंदू और मुस्लिम दो नहीं बल्कि एक ही है. दोनों ही अखंड भारत का हिस्सा हैं. दोनों की परंपराएं एक हैं, दोनों के पूर्वज एक हैं और दोनों का डीएनए भी एक है. बता दें, कुछ दिनों पहले भागवत ने मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ हरियाणा भवन में ही एक बैठक की थी.
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