Mehboob Mujawar: वर्ष 2008 मालेगांव बम धमाके में छह लोगों की मौत हो गई थी. वहीं करीब 100 लोग घायल हो गए थे. इस मामले में भाजपा की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के साथ कर्नल पुरोहित समेत कई लोगों को आरोपी बनाया गया. बीते गुरुवार को 17 साल बाद एनआईए की विशेष अदालत ने मालेगांव बम धमाके में अपना निर्णय सुना दिया. अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया. अब इस केस में महाराष्ट्र पुलिस और ATS के एक पूर्व अफसर ने बड़ा खुलासा किया है. उनका कहना है कि मालेगांव धमाके मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत को फंसाने का प्रयास किया गया था. उन्हें अरेस्ट करने का आदेश मिला था. इस तरह का दावा करने वाले पुलिस अफसर महबूब मुजावर ने कई पहले भी कई अहम खुलासे किए हैं.
पुलिस विभाग से गहरा नाता
महबूब मुजावर के परिवार का पुलिस विभाग से गहरा नाता रहा है. महाराष्ट्र के सोलापुर निवासी महबूब मुजावर के पिता अब्दुल करीम पुलिस सब-इंस्पेक्टर के पद से रिटायर हुए. वे द्वितीय विश्व युद्ध में लड़े थे. उन्होंने महाराष्ट्र पुलिस में भी काम किया था. इस तरह महबूब मुजावर का परिवार दो पीढ़ियों तक पुलिस की सेवाओं से जुड़ा रहा. मुजावर वर्ष 1978 में बतौर कांस्टेबल महाराष्ट्र पुलिस में भर्ती हुए.
उन्होंने वर्ष 1983 में परीक्षा को पास करते हुए पुलिस सब-इंस्पेक्टर पद संभाला. वर्ष 1984 में उनकी सब-इंस्पेक्टर सतारा में उन्हें पहली पोस्टिंग मिली थी. मुजावर का परिवार काफी शिक्षित है. उनके तीन बेटे और दो बेटियां हैं जो डॉक्टरी के पेशे से जुड़ी हैं.
2016 में भी किया था ऐसा दावा
महबूब मुजावर का ने 9 साल पहले भी इस तरह का दावा किया था. उस समय देश की राजनीति में हलचल पैदा हो गई थी. यह दावा भी मालेगांव से जुड़ा था. तब पुलिस इंस्पेक्टर रहे महबूब अब्दुल करीम मुजावर ने वर्ष 2016 में सनसनीखेज खुलासा किया था कि 2008 के मालेगांव हमले के दो संदिग्धों को आठ साल पहले महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (Maharashtra ATS) ने मार गिराया था. हालांकि, उनके इस दावे की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो सकी. एक रिपोर्ट के अनुसार, मुजावर के सहयोगियों को उनपर संदेह रहा. मुजावर के खिलाफ करप्शन और क्रिमिनल केस होने के कारण उन्हें सस्पेंड कर दिया गया.
मुजावर का दावा था कि उन्हें इन झूठे मामलों में फंसाया गया, क्योंकि एटीएस को लगा कि उन्हें मालेगांव विस्फोट मामलों के बारे में काफी कुछ पता है. मुजावर का आरोप था कि उनके खिलाफ एटीएस ने झूठे मामले बनाकर चुप कराने का प्रयास किया. बाद में यानि 2011 में सेवा पर बहाल किया गया, लेकिन उनकी पदोन्नति रोकने का प्रयास किया गया था. 2013 में उन्हें दोबारा गिरफ्तार किया गया था.