भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित किया. देश को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में शामिल भारत को विवेक और ज्ञान का शुरुआती बिंदु माना जाता था. हालांकि, भारत को बीच में एक अंधकारमय दौर से गुजरना पड़ा.
उन्होंने कहा कि आज हमें सबसे पहले उन वीरों की आत्माओं को याद करना चाहिए, जिन्होंने मातृभूमि को विदेशी बेड़ियों से आजाद कराने के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया. उन्होंने कहा कि हम इस साल भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मना रहे हैं. वे ऐसे अग्रणी स्वाधीनता सेनानियों में शामिल हैं, जिनकी भूमिका को देश के इतिहास में अब महत्व दिया जा रहे हैं.
संविधान सभा की संरचना में भारत के गणतांत्रिक मूल्यों का प्रतिबिंब
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भारत के गणतांत्रिक मूल्यों का प्रतिबिंब हमारे संविधान सभा की संरचना में भी दिखता है. उसमें देश के प्रत्येक हिस्सों और सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व था. सबसे खास बात है कि संविधान सभा में राजकुमारी अमृत कौर, सरोजिनी नायडू, हंसाबेन मेहता, मालती चौधरी और सुचेता कृपलानी सहित 15 आसाधारण महिलाएं भी शामिल थीं.
इस वजह से चमक रही है भारत की अर्थव्यवस्था
उन्होंने आगे कहा कि भारत के किसानों ने कड़ी मेहनत की है. उन्होंने देश को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया है. उन्होंने कहा कि हमारे मजदूर भाई-बहनों ने अथक परिश्रम किया, जिससे हमारा इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का कायाल्प संभव हुआ. उनके शानदार प्रदर्शन के बल पर ही भारत की अर्थव्यस्था दुनिया में चमक रही है.