Operation Ghuspethia: ऑपरेशन ‘घुसपैठिया’ के तहत SIR तकनीक के इस्तेमाल से बंगाल बॉर्डर पर सुरक्षा एजेंसियों ने अवैध घुसपैठियों पर बड़ी कार्रवाई तेज कर दी है. कई संदिग्धों की पहचान कर उन्हें वापस भेजा जा रहा है. देखिए यह एक्सक्लूसिव रिपोर्ट.
Operation Ghuspethia: देश के 12 राज्यों में वोटर लिस्ट शुद्धिकरण (SIR) की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन सबसे ज्यादा राजनीतिक विवाद पश्चिम बंगाल में देखने को मिल रहा है. नॉर्थ 24 परगना के हकीमपुर बॉर्डर पर बड़ी संख्या में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए वापस लौटते दिख रहे हैं. बॉर्डर पर जमा भीड़ इस बात का संकेत दे रही है कि कार्रवाई का प्रभाव काफी बड़ा है.
एक तरफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने SIR के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, जबकि दूसरी ओर कोलकाता में चुनाव आयोग दफ्तर के बाहर बीएलओ कर्मचारियों ने बड़ा प्रदर्शन किया. इसी बीच सवाल उठ रहा है कि क्या चुनाव आयोग इस पूरी प्रक्रिया को तय समय पर पूरा कर पाएगा? देखिए न्यूज नेशन की यह एक्सक्लूसिव रिपोर्ट.
घुसपैठियों का कुबूलनामा
न्यूज नेशन की रिपोर्ट में कैमरे पर कई अवैध घुसपैठियों ने कुबूला कि वे दलालों को 2000 से 6000 रुपये देकर बांग्लादेश से नाव के जरिए सीमा पार करते थे. एक घुसपैठिया आलिमुल इस्लाम ने बताया कि वह पांच साल पहले नाव से रात के समय सीमा पार कर पश्चिम बंगाल आया और यहां निर्माण कार्य करता रहा. उसका दावा है कि दलालों के नेटवर्क की मदद से उसने आधार कार्ड तक बनवा लिया, हालांकि वोटर आईडी नहीं बना.
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रिपोर्ट के मुताबिक, बॉर्डर के घने जंगल, नदियां और सुनसान रास्तों का उपयोग कर लोग घुसपैठ करते हैं. कई लोग सालों से यहां रहते हुए सरकारी सुविधाओं का लाभ ले रहे थे. SIR प्रक्रिया शुरू होने के बाद उनमें घबराहट बढ़ गई और अब वे अपने परिवार के साथ वापस लौट रहे हैं.
आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल-बांग्लादेश सीमा 2216 किमी लंबी है. लगभग 1700 किमी हिस्से में बाड़ लग चुकी है, लेकिन अभी 550 किमी क्षेत्र खुला है, जिसका फायदा दलाल उठाते हैं.
राजनीतिक विवाद भी हुआ तेज
टीएमसी का कहना है कि घुसपैठ के आरोप झूठे और राजनीतिक हैं, जबकि बीजेपी कहती है कि बड़ी संख्या में घुसपैठ ने बंगाल की जनसांख्यिकी बदल दी है और यह तुष्टिकरण की राजनीति का परिणाम है. आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले यह मुद्दा और बड़ा हो सकता है.
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