पैदल या ट्रकों से आ रहे मजदूरों को यूपी में नहीं मिलेगी एंट्री

उत्तर प्रदेश की सीमा में अब प्रवासी मजदूर अवैध वाहनों से, बाइक से या पैदल चलकर नहीं आ पाएंगे. सीएम योगी आदित्यनाथ ने मजदूरों के पलायन पर स्पष्ट निर्देश दिए हैं.

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Yogendra Mishra
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प्रतीकात्मक फोटो

प्रतीकात्मक फोटो।( Photo Credit : फाइल फोटो)

उत्तर प्रदेश की सीमा में अब प्रवासी मजदूर अवैध वाहनों से, बाइक से या पैदल चलकर नहीं आ पाएंगे. सीएम योगी आदित्यनाथ ने मजदूरों के पलायन पर स्पष्ट निर्देश दिए हैं. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को जारी आदेस में स्पष्ट तौर पर सीएम योगी ने कहा कि किसी भी प्रवासी नागरिकों को पैदल, अवैध या असुरक्षित गाड़ियों से यात्रा न करने दिया जाए.

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अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने शुक्रवार को कहा कि सीएम योगी ने औरैया सड़क हादसे पर संवेदना व्यक्त करते हुए सभी वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिया है कि किसी भी प्रवासी नागरिक को पैदल, अवैध या असुरक्षित वाहनों से यात्रा न करने दिया जाए.

सभी जनपदों के एंट्री और एग्जिट पॉइंट पर पिक एंड ड्राप पॉइंट बनेंगे. प्रदेश के सभी स्टेट और नेशनल हाईवे पर भी पिक एंड ड्राप पॉइंट बनेंगे. अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने निर्देश दिए हैं. मजदूरों व श्रमिकों को उनके घर छोड़कर वापस आने वाली बसें अब खाली नही लौटेंगी.

वापस लौटते समय अपने रुट पर पैदल चलने वाले मजदूरों श्रमिकों को बैठाकर उनके गंतव्य के निकटतम पिक एंड ड्राप पॉइंट पर बसें छोड़ेंगी. सभी पिक एंड ड्राप पॉइंट पर पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ऐसे लोगों का परीक्षण कराकर क्वारन्टीन होम भेजेगी.

घर जाने वाले सबसे ज्यादा महिला, बच्चे और बुजुर्ग

कोरोना वायरस पर काबू के लिए देश भर में लागू लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक बेरोजगार हो गए और ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि कइयों को उनके मकानमालिकों ने भाड़ा नहीं देने के कारण घर से बाहर कर दिया. ऐसे ही लोगों के बीच रमावती देवी भी हैं जो कड़ी धूप के बीच आनंद विहार बस टर्मिनल के पास मेट्रो के एक खंभे के नीचे बैठी थीं. करीब साठ साल की हो चुकीं देवी अपने दो मासूम पोतों का भी ख्याल रख रही हैं और अपने बेटे तथा गर्भवती पुत्रवधु की प्रतीक्षा कर रही हैं.

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दोनों अपने गांव लौटने के लिए व्यवस्था करने में जुटे हैं. देवी सहित कई लोग वहां एकत्र हैं जो सीमा पार कर उत्तर प्रदेश में प्रवेश करना चाहते हैं. कई लोग दूसरे प्रदेशों के भी हैं जो अपने घरों को लौटना चाहते हैं. उनकी मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रहीं और दिल्ली पुलिस का एक जवान उन्हें वहां से हटाता है. देवी वहां से हटकर एक पेट्रोल पंप के पास खड़ी रहती हैं क्योंकि उन्हें अपने बेटे और पुत्रवधु की भी प्रतीक्षा करनी है.

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देवी सहित विभिन्न लोगों की आंखों से बहते आंसू ही उनकी स्थिति स्पष्ट कर देते हैं कि वे कैसे दौर से गुजर रहे हैं. देवी का परिवार दिल्ली के पीरागढ़ी इलाके में रह रहा था. देवी ने कहा कि उनका बेटा दिहाड़ी मजदूर है जबकि पुत्रवधु दूसरों के घरों में सहायिका का काम करती है. लेकिन लॉकडाउन के कारण दोनों के पास कोई काम नहीं था. दो महीने का किराया नहीं देने पर मकान मालिक ने भी उन्हें घर से निकाल दिया.

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ऐसे में उनके पास उत्तर प्रदेश में हरदोई के अपने गांव लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. यह कहानी सिर्फ देवी की नहीं है. करीब दो महीने के लॉकडाउन में ढेरों लोग हैं जिनकी बचत समाप्त हो गयी है. ऐसे में उनके पास ट्रेन टिकट खरीदने के भी पैसे नहीं हैं. रमा देवी से करीब पचास मीटर की दूरी पर शिवशंकर यादव (27) अपनी पत्नी आरती (25) और दो बेटियों अंशी (तीन) प्रियांशी (दो) हैं. वे मूल रूप से सुल्तानपुर के निवासी हैं. गर्मी से परेशान यादव ने कहा कि सरकार की ओर से उन्हें खाना मुहैया कराया गया लेकिन बच्चों के लिए दूध के पैसे नहीं हैं. उनके पास जो पैसे थे, वे अब खत्म हो गए हैं. कई परिवार ऐसे हैं जिनकी कहानी लगभग यही है.

Source : News Nation Bureau

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