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एकला चलो की सजा मिली वरुण को, क्या करेंगे का यक्ष प्रश्न सामने

वरुण गांधी ने खुद को हाशिये पर किए जाने का बचाव करते हुए कहा कि राष्ट्रीय कार्यसमिति की एक भी बैठक में शामिल नहीं हो सके थे. ऐसे में संभव है कि इस कारण उन्हें स्थान नहीं दिया गया.

Updated on: 08 Oct 2021, 12:03 PM

highlights

  • राष्ट्रीय कार्यसमिति में उत्तर प्रदेश के दो-तिहाई चेहरे बदले
  • योगी सरकार के खिलाफ बयानबाजी पड़ी वरुण को भारी
  • कभी यूपी में सीएम फेस रहे वरुण पर कयास हुए और तेज

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार के खिलाफ कई मौकों पर बयानबाजी करने वाले वरुण गांधी (Varun Gandhi) को भारतीय जनता पार्टी (BJP) की राष्ट्रीय कार्यसमिति में स्थान नहीं मिला. वरुण के साथ उनकी मां और बीजेपी की फायरब्रांड नेता मेनका गांधी (Menaka Gandhi) को भी इससे वंचित रखा गया. हालांकि वरुण गांधी ने खुद को हाशिये पर किए जाने का बचाव करते हुए कहा कि राष्ट्रीय कार्यसमिति की एक भी बैठक में शामिल नहीं हो सके थे. ऐसे में संभव है कि इस कारण उन्हें स्थान नहीं दिया गया. गौरतलब है कि गुरुवार को राष्ट्रीय कार्यसमिति की घोषणा की गई है. पार्टी सूत्रों के अनुसार वरुण व मेनका को बाहर किए जाने के पीछे सामंजस्य बैठाना है, जिससे अधिक से अधिक राज्यों के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है.

यूपी से बदले गए दो-तिहाई चेहरे 
गुरुवार को बीजेपी की घोषित राष्ट्रीय कार्यसमिति में उत्तर प्रदेश से दो-तिहाई चेहरे बदले गए हैं. मेनका और वरुण के अलावा बाहर होने वालों में पूर्व सांसद विनय कटियार व कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह उर्फ राजू भईया भी शामिल हैं. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि चुनावी मौसम में बीजेपी ने वरुण गांधी को किस बात की 'सजा' दी? अब वरुण गांधी क्या करेंगे? गौरतलब है कि कभी वरुण गांधी ने कहा था कि अगर उनके नाम में गांधी नहीं होता, तो वह 29 साल की उम्र में सांसद नहीं बनते. 

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फायरब्रैंड चेहरे से हाशिये तक ऐसा रहा वरुण का सफर
गौरतलब है कि 2009 में चुनाव में भड़काऊ भाषण के आरोपों के बाद वरुण गांधी हिंदुत्व के फायरब्रैंड के चेहरे के तौर पर ऐसे चर्चित हुए कि उन्हें यूपी में अगले मुख्यमंत्रा का चेहरा तक कहा जाने लगा, लेकिन 2014 के बाद से वह लगातार किनारे होते गए. एक समय वरुण राजनाथ सिंह की टीम में राष्ट्रीय महासचिव थे. अमित शाह के अध्यक्ष बनने पर वह टीम से बाहर हो गए. 2016 में इलाहाबाद में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक के दौरान उनके समर्थकों ने सीएम फेस के तौर पर होर्डिंग लगाई, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में पहले दो चरणों में स्टार प्रचारकों की सूची तक में उनका नाम नहीं था.

मेनका गांधी का भी घटता गया कद
सिर्फ वरुण ही नहीं 2019 लोकसभा चुनाव में केंद्र पर दोबारा काबिज होने वाली मोदी सरकार में उनकी मां मेनका गांधी को भी जगह नहीं मिली. इसी बीच वरुण गांधी ने सार्वजनिक मंचों से सरकार के फैसलों पर सवाल उठाना तेज कर दिया. भाजपा के संगठनात्मक कार्यक्रमों से भी उनकी दूरी बनती गई. यूपी में भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति रही हो या अन्य संगठनात्मक अभियान में वरुण गायब ही मिले. जाहिर है किसान आंदोलन से लेकर लखीमपुर के मसले पर सरकार पर लगातार सवालिया निशान के बाद पार्टी ने उन्हें एक और झटका दिया है. अब बीजेपी ने उनकी राष्ट्रीय कार्यसमिति से भी छुट्टी कर दी है.

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यूपी के इन चेहरों पर गिरी गाज
गुरुवार को घोषित भाजपा की 80 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यसमिति में यूपी से 13 चेहरे हैं. पहले यह संख्या 15 थी. वाराणसी से सांसद पीएम नरेंद्र मोदी, लखनऊ के सांसद और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और हाल में ही मंत्रिमंडल से बाहर किए गए बरेली के सांसद संतोष गंगवार ही कार्यसमिति में बरकरार हैं. दूसरी ओर पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी, सुलतानपुर की सांसद केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी, नोएडा के सांसद महेश शर्मा, मेरठ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल, देवरिया के सांसद व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी, एटा के सांसद राजवीर सिंह व पूर्व एमएलसी विनोद पांडेय कार्यसमिति से बाहर हैं.