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किसान बिल के विरोध NDA में फूट, मोदी कैबिनेट से हरसिमरत कौर ने दिया इस्तीफा

शिरोमणि अकाली दल नेता सुखबीर सिंह बादल ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में कहा कि पार्टी नेता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल संसद में लाये गये कृषि संबंधी विधेयकों के विरोध में केंद्र की मोदी सरकार से इस्तीफा देंगी.

Updated on: 18 Sep 2020, 07:28 AM

नई दिल्‍ली:

शिरोमणि अकाली दल की नेता एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल (Harsimarat Kaur Badal) ने कृषि से जुड़े तीन विधेयकों के विरोध में बृहस्पतिवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. लोकसभा (Parliament) में इन विधेयकों के पारित होने से महज कुछ ही घंटे पहले उन्होंने ट्वीट किया, मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और विधेयकों के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है. किसानों की बेटी और बहन के तौर पर उनके साथ खड़े होने पर गर्व है. उनका इस्तीफे शिरोमणि अकाली दल (शिअद) प्रमुख एवं उनके पति सुखबीर सिंह बादल (Sukhbeer Singh Badal) द्वारा लोकसभा में विधेयकों को लेकर किए गए कड़े विरोध के बाद आया. बादल ने लोकसभा में विधेयकों का विरोध करते हुए कहा कि ये (विधेयक) पंजाब में कृषि क्षेत्र को तबाह कर देंगे. साथ ही, उन्होंने यह भी घोषणा की कि इसके विरोध में केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल सरकार से इस्तीफा देंगी.

कौर ने प्रधानमंत्री को लिखे अपने चार पृष्ठों के पत्र में कहा कि उनके लगातार तर्क करने और उनकी पार्टी की बार-बार की कोशिशों के बावजूद केंद्र सरकार ने इन विधेयकों पर किसानों का विश्वास हासिल नहीं किया. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का हर सदस्य किसान है. कौर ने कहा कि शिअद ऐसा कर किसानों के हितों की पैरोकार होने की अपनी वर्षों पुरानी परंपरा को बस जारी रख रही है. हालांकि, अभी यह पता नहीं चल पाया है कि क्या प्रधानमंत्री ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. गौरतलब है कि केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल मोदी सरकार में अकाली दल की एकमात्र प्रतिनिधि हैं. अकाली दल, भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी है.

यह घटना इन प्रस्तावित कानूनों के जरिये केंद्र सरकार द्वारा किये जा रहे कृषि सुधारों को लेकर शिअद और भाजपा के बीच संबंधों में आये तनाव को प्रदर्शित करती है. पंजाब में बड़ी संख्या में किसान इन विधेयकों के खिलाफ हैं और इसने शिअद को दबाव में ला दिया, जिसका परिणाम सरकार से उसके एकमात्र प्रतिनिधि के इस्तीफे के रूप में देखने को मिला है. कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 पर चर्चा में भाग लेते हुए सुखबीर बादल ने कहा, शिरोमणि अकाली दल किसानों की पार्टी है और वह कृषि संबंधी इन विधेयकों का विरोध करती है. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित अधिनियम कृषि क्षेत्र का निर्माण करने के लिये पंजाब की विभिन्न सरकारों और किसानों की 50 वर्षों की कड़ी मेहनत को बर्बाद कर देंगे.

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उन्होंने विधेयकों का पुरजोर विरोध करते हुए भारत को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में पंजाब के व्यापक योगदान को याद किया. उन्होंने अपनी टिप्पणी समाप्त करते हुए कहा, मैं यह घोषणा करना चाहता हूं कि हमारी मंत्री हरसिमरत कौर बादल मंत्रिमंडल से इस्तीफा देंगी. उन्होंने इन आरोपों को खारिज कर दिया कि उनकी पार्टी ने प्रारंभ में तीन अध्यादेशों का समर्थन किया था, जिनकी जगह ये विधेयक लेंगे. सुखबीर बादल ने कहा कि हरसिमरत कौर बादल ने मंत्रिमंडल की बैठक में चिंता प्रकट की थी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर प्रस्तावित कानून की खामियों को रेखांकित किया था. कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि इस पार्टी का इस मुद्दे पर दोहरा मानदंड है और 2019 के लोकसभा चुनाव तथा 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में उसके घोषणा पत्र में एपीएमसी अधिनियम को खत्म करने का उल्लेख था.

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शिअद प्रमुख ने कहा कि लोकसभा द्वारा पारित किये गये तीनों विधेयक केवल पंजाब में ही 20 लाख किसानों और 15-20 लाख कृषि मजदूरों को प्रभावित करने जा रहे हैं. उनहोंने कहा कि देश में जमीन के मामले में 2.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाला पंजाब देश के करीब 50 प्रतिशत खाद्यान्न का उत्पादन करता है. उन्होंने कहा कि पंजाब की मंडी व्यवस्था विश्व में सबसे अच्छी है. यह 12,000 गांवों में फैली हुई है. निचले सदन में चर्चा के दौरान कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, शिरोमणि अकाली दल ने कभी भी यू-टर्न नहीं लिया. बादल ने कहा, हम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के साथी हैं. हमने सरकार को किसानों की भावना बता दी. हमने इस विषय को हर मंच पर उठाया. हमने प्रयास किया कि किसानों की आशंकाएं दूर हों लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.

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उन्होंने कहा कि पंजाब में लगातार सरकारों ने कृषि आधारभूत ढांचा तैयार करने के लिये कठिन काम किया लेकिन यह अध्यादेश उनकी 50 साल की तपस्या को बर्बाद कर देगा. चर्चा के दौरान कांग्रेस के रवनीत सिंह बिट्टू ने शिरोमणि अकाली दल पर चुटकी लेते हुए यह सबूत देने की मांग की कि हरसिमरत कौर बादल ने इन विधेयकों का विरोध किया था. उन्होंने कहा कि अगर वह विधेयक के विरोध में इस्तीफा नहीं देती हैं तो बादल परिवार के लिये पंजाब में वापसी कठिन हो जायेगी. दोनों विधेयकों को चर्चा के बाद लोकसभा में ध्वनि मत से पारित कर दिया गया.