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चीन से सटी सीमा पर भारत बनाएगा दो सुरंग, बढ़ेगी रणनीतिक पहुंच

चीन के साथ सटे इलाकों में रणनीतिक बढ़त को बनाए रखने के लिये सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) अरुणाचल प्रदेश में 4170 मीटर ऊंचे सेला दर्रा पर दो सुरंगों का निर्माण करेगा।

Updated on: 25 Jul 2017, 12:05 AM

नई दिल्ली:

चीन के साथ सटे इलाकों में रणनीतिक बढ़त को बनाए रखने के लिये सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) अरुणाचल प्रदेश में 4170 मीटर ऊंचे सेला दर्रा पर दो सुरंगों का निर्माण करेगा। इस सुरंग के बनने से तवांग से चीन की सीमा की दूरी 10 किलोमीटर तक कम हो जाएगी।

बीआरओ ने एक बयान जारी कर कहा है, 'इन सुरंगों से तेजपुर में सेना के 4 कॉर्प्स के मुख्यालय और तवांग के बीच यात्रा के समय में करीब एक घंटे की कमी आएगी। एक खास बात यह भी होगी कि इन सुरंगों से एनएच 13 और खासतौर से बोमडिला व तवांग के बीच 171 किलोमीटर लंबे रास्ते में हर मौसम में यातायात हो सकेगी।'

बीआरओ का कहना है कि भारी बर्फबारी के समय सड़क से संपर्क टूटे जाता है और ऐसे में ये सुरंगें भारतीय सेना के लिए वरदान साबित होंगी।

पूर्वी हिमालय में सुरंगों के निर्माण से राज्य के दुर्गम स्थलों से गुजरते हुए तिब्बत के फॉरवर्ड पोस्ट तक जल्द पहुंचने की भारत की कवायद का हिस्सा है।

बयान में बीआरओ ने कहा है कि इस परियोजना के तहत 42 सीमा सड़क कार्य बल के कमांडर आरएस राव ने वेस्ट कमेंग की उपायुक्त सोनल स्वरूप से सेला सुरंग के निर्माण को भूमि का अधिग्रहण करने का औपचारिक अनुरोध किया है। परियोजना के अनुसार राष्ट्रीय राजमार्ग को दोहरे मार्ग में बदलना भी शामिल है।

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इसमें सेला-छबरेला रिज के जरिए 475 मीटर और 1790 मीटर लंबी दो सुरंगों से नूरांग की मौजूदा बालीपरा-चौदुर-तवांग रोड से जोड़े जाने की योजना है।

योजना के अनुसार मुख्य इंजिनियर ने इस निर्माण को मंजूरी दे दी है। अरुणाचल प्रदेश में कलाक्तांग और असम में ओरांग से भूटान को जोड़ने वाली एक सड़क है। फिलहाल इसका ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

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बयान में कहा गया कि, 'सेला सुरंग से तवांग में पर्यटन की संभावनाएं बढ़ेंगी, ज्यादा पर्यटक आकर्षित करने से तवांग पूर्वोत्तर में सबसे मशहूर स्थल बने सकेगा।'

स्वरुप ने बोमडिला जिला मुख्यालय से सूचित किया कि जमीन अधिग्रहण के लिए सर्वेक्षण मॉनसून के बाद शुरू किया जाएगा।

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