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ममता बनर्जी 'डरीं' बीजेपी से... कांग्रेस ने दिया विलय का न्यौता

टीएमसी ने सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस और वाम दलों से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का साथ देने की अपील की.

Updated on: 14 Jan 2021, 03:28 PM

कोलकाता:

पश्चिम बंगाल में बीते 24 घंटों के सियासी घटनाक्रम ने आशंका पैदा कर दी है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) का अकेलेदम मुकाबला करने में तृणमूल कांग्रेस (TMC) खुद को असहाय पा रही है. यही वजह है कि टीएमसी ने सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस और वाम दलों से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का साथ देने की अपील की. यह अलग बात है कि कांग्रेस और वामदलों ने टका सा जवाब दे दिया. कांग्रेस तो एक कदम और आगे निकलते हुए यह नसीहत दे गई की तृणमूल को कांग्रेस में वापस विलय कर लेना चाहिए.

टीएमसी सांसद सौगत रॉय के बयान से गर्माई सियासत
यह मसला सियासी दांवपेंच में बदला टीएमसी के वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय के बयान से. सौगत रॉय ने पत्रकारों से बातचीत में कह दिया कि यदि वाम मोर्चा और कांग्रेस वास्तव में बीजेपी के खिलाफ हैं, तो उन्हें भगवा दल की सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ लड़ाई में ममता बनर्जी का साथ देना चाहिए. उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ही बीजेपी के खिलाफ धर्मनिरपेक्ष राजनीति का असली चेहरा हैं.

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कांग्रेस ने कहा विलय कर ले टीएमसी
टीएमसी के प्रस्ताव पर राज्य कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने प्रदेश में बीजेपी के मजबूत होने के लिए सत्तारूढ़ दल को जिम्मेदार बताया. उन्होंने कहा, 'हमें टीएसी के साथ गठबंधन में कोई दिलचस्पी नहीं है. पिछले 10 सालों से हमारे विधायकों को खरीदने के बाद टीएमसी को अब गठबंधन में दिलचस्पी क्यों है. अगर ममता बनर्जी बीजेपी के खिलाफ लड़ने की इच्छुक हैं, तो उन्हें कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिए, क्योंकि वही सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई का एकमात्र देशव्यापी मंच है.' ममता बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर 1998 में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की थी.

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'गठबंधन के लिए बेकरारी क्यों'
सौगत रॉय के इस बयान पर सीपीएम के वरिष्ठ नेता सुजान चक्रवर्ती ने भी आश्चर्य जताया. उन्होंने कहा कि टीएमसी वाम मोर्चा और कांग्रेस को राज्य में नगण्य राजनीतिक बल करार देती आई है. ऐसे में अब उनके साथ गठबंधन के लिए बेकरार क्यों है? उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी भी वाम मोर्चा को लुभाने का प्रयास कर रही है. भाजपा का कहना है कि तृणमूल की यह पेशकश दिखाती है कि वह पश्चिम बंगाल में अप्रैल-मई में होने वाले संभावित विधानसभा चुनावों में अपने दम पर भगवा पार्टी का मुकाबला करने का सामर्थ्य नहीं रखती है.