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कर्ज़माफी के लिए तमिलनाडु किसानों के एक समूह ने 'खाया' अपना मल, कहा- केंद्र सरकार ने किया मजबूर

लगभग दो महीने से तमिलनाडु के कुछ किसान समूह कर्ज़माफ़ी की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।

Updated on: 11 Sep 2017, 05:52 AM

नई दिल्ली:

जिस देश के प्रधानसेवक नरेंद्र मोदी किसान को देश की शान बताते हैं। उसी देश में पहली बार तमिलनाडु के किसानों (एक समूह) ने वित्तीय सहायता देने और कर्जमाफी की मांग के लिए जंतर-मंतर पर अपना मल 'खाकर' प्रदर्शन किया।

लगभग दो महीने से तमिलनाडु के कुछ किसान समूह कर्ज़माफ़ी की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। कथित रुप से इन किसानों ने सरकार का ध्यान अपनी दुर्दशा की तरफ दिलाने के लिए पहले तो एक प्लास्टिक बैग में अपना मल जमा किया और फिर खाया।

किसी भी देश का इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि उनके अन्नदाता अपनी मांग मनवाने के लिए अपना ही मल-मूत्र खाने पर मजबूर हो जाए।

बता दें कि ये किसान इससे पहले यूरीन पीकर अपना विरोध प्रदर्शन ज़ाहिर कर चुके हैं। तब उन्होंने सरकार को आगाह करते हुए कहा था कि सरकार ने अगर उनकी मांग नहीं मानी तो वो अपना मल खाएंगे।

लगभग दो महीने के लंबे इंतज़ार के बाद जब सरकार के कान तक इन किसानों की बात नहीं पहुंची तो इन्होंने अमानवीय यातना झेलने का फ़ैसला किया।

कर्ज़ माफी के लिए तमिलनाडु के किसानों ने जंतर मंतर पर यूरीन पीकर किया प्रदर्शन, चेताया- नहीं माने तो रविवार को खाएंगे मल

रविवार को दस किसानों के साथ उनके नेता पी अय्याकन्नू ने ये फ़ैसला किया। पी अय्याकन्नू ने बताया, 'मैं इस तरह का सोचता भी हूं तो उल्टी करने का मन करता है।'

उन्होंने कहा, 'हमने एक प्लास्टिक बैग में मल इकट्ठा किया और खाया। क्योंकि सरकार ने हमें सूखा राहत पैकेज, ख़राब मौसम की वजह से बर्बाद हुए फसल के लिए हर्ज़ाना और वित्तिय सहायता देने से मना कर दिया। केंद्र सरकार ने हमें इस स्थिती में लाकर खड़ा कर दिया है जिससे हमें ये सब करना पड़ रहा है।'

किसानों ने कहा कि सरकार अगर अब भी हमारी बात नहीं मानती तो फिर हम सोमवार को मानव देह खाएंगे।

किसानों ने कहा, 'जंतर-मंतर पर धरना करते हुए हमें 41 दिन हो गए हैं। मंगलवार को दिल्ली आए हुए हमें 59 दिन हो जाएंगे। कुल मिला के मंगलवार को हमारे प्रदर्शन के 100 दिन भी पूरे हो जाएंगे। हमने प्लान किया है कि मंगलवार को हम नंगे होकर पीएम ऑफ़िस तक मार्च करेंगे।'

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