दुनिया को हाइब्रिड वायरस का खतरा, आर्कटिक महासागर से लेकर अंटार्कटिक तक फैला
वैज्ञानिकों ने एक नए वायरस की खोज की है. यह काफी तेजी से फैल रहा है. विशेषज्ञों के अनुसार, इसे पहले कभी नहीं देखा गया. इसका नाम माइरसवायरस (Mirusvirus) बताया गया है.
नई दिल्ली:
वैज्ञानिकों ने एक नए वायरस की खोज की है. यह काफी तेजी से फैल रहा है. विशेषज्ञों के अनुसार, इसे पहले कभी नहीं देखा गया. इसका नाम माइरसवायरस (Mirusvirus) बताया गया है. लैटिन में इसका अर्थ विचित्र या अनोखा है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस वायरस ने समुद्र में पाए जाने वाले प्लैंकटॉन्स (Planktons) को भी संक्रमित कर दिया है. यह वायरस आर्कटिक महासागर से लेकर अंटार्कटिक तक मौजूद है. रिपोर्ट के अनुसार, माइरसवायरस के एक बड़े ग्रुप डुप्लोडीएनएवीरिया (Duplodnaviria) का एक भाग है. वायरस के इस ग्रुप को हर्पिस वायरस कहा जाता है. यह वायरस बड़े स्तर पर जानवरों और इंसानों में फैलता है. यही बीमारी का कारण बनते हैं. माइरसवायरस और हर्पिस वायरस एक दूसरे से संबंधित हैं. मगर माइरसवायरस में जायंट वायरस वैरीडीएनएवीरिया (Varidbaviria) के कैरेक्टर मिलते है.
खतरनाक वायरस का क्रॉसब्रीड है
शोध में सामने आया है कि इस अनोखे माइरसवायरस को हाइब्रिड के रूप में देखा जा रहा है. यह माइरसवायरस डुप्लोडीएनएवीरिया और वैरीडीएनएवीरिया के बीच का वायरस बताया गया है. फेंच नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च के एक साइंटिस्ट का कहना है कि माइरसवायरस काफी अलग रह का वायरस है. इससे पहले ऐसा वायरस कभी देखा नहीं गया है. यह दो खतरनाक वायरस का क्रॉसब्रीड है.
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