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टाटा समूह का औद्योगिक इतिहास, जमशेदजी टाटा ने रखी थी नींव

औद्योगिक जगत की शान टाटा समूह की नींव जमशेदजी टाटा के नाम भारतीय इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। उनका जन्म 3 मार्च 1839 को एक भारतीय पारसी परिवार में हुआ था। 1858 में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने अपने पिता की कंपनी में काम संभालना शुरू किया।

Updated on: 25 Oct 2016, 08:48 PM

नई दिल्ली:

औद्योगिक जगत की शान टाटा समूह की नींव जमशेदजी टाटा के नाम भारतीय इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। उनका जन्म 3 मार्च 1839 को एक भारतीय पारसी परिवार में हुआ था। 1858 में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने अपने पिता की कंपनी में काम संभालना शुरू किया।

जमशेदजी टाटा
जमशेदजी टाटा

सन 1868 में उन्होंने 21,000 रुपए के साथ एक दिवालिया तेल मिल खरीद कर उसमें रूई का कारखाना शुरू किया। उन्होंने अपने जीवन के चार लक्ष्य निर्धारित किए। पहला एक लौह और स्टील कंपनी खोलना, दूसरा एक वल्र्डक्लास इंस्टीट्यूशन स्थापित करना, एक होटल खोलना और एक हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्लांट स्थापित करना। अपने जीवन में वह सिर्फ ताजमहल होटल की स्थापना कर एक ही लक्ष्य पूरा कर पाए। हालांकि टाटा समूह की आने वाली पीढियों ने उनके सभी लक्ष्य पूरे किए।

जमशेदजी टाटा परिवार के साथ
जमशेदजी टाटा परिवार के साथ

भारत की गुलामी के दिनों में भी एक स्वदेशी औद्योगिक समूह टाटा ग्रुप को ऊंचाईयों तक ले जाने वाले जमशेदजी टाटा ने 19 मई 1904 को अपनी अंतिम सांस ली।

जमशेदनगर नाम से शहर की स्थापना
जमशेदनगर नाम से शहर की स्थापना

भारतीय इतिहास में उनके योगदान का सम्मान करते हुए भारत सरकार ने झाड़खंड राज्य में उनके नाम से जमशेदनगर नाम से शहर की स्थापना की गई।

सर दोराब टाटा
सर दोराब टाटा

इसके बाद इसकी कमान सर दोराब टाटा ने संभाली। टाटा समूह को आगे ले जाने में दोराब टाटा का भी अहम योगदान रहा। इनकी मृत्यु 1932 में हुई थी।

रतन टाटा
रतन टाटा

इसके बाद रतन टाटा ने इसकी बागडोर संभाली। इनका जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ। ये टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के दत्तक पोते नवल टाटा के बेटे हैं। रतन टाटा की स्कूल शिक्षा मुंबई में हुई।