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अफगानिस्तान पर कब्जे के साथ ही शुरू हो गया था तालिबान का अत्याचार, लोगों का सिर कलम करने की दी जाती थी धमकी : रिपोर्ट

अफगानिस्तान पर कब्जे के साथ ही शुरू हो गया था तालिबान का अत्याचार, लोगों का सिर कलम करने की दी जाती थी धमकी : रिपोर्ट

Updated on: 17 Dec 2021, 09:00 PM

नई दिल्ली:

तालिबान ने अगस्त में अफगानिस्तान पर कब्जा करने के साथ ही जातीय एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों और देश के सुरक्षा बलों को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था।

एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक हालिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सत्ता पर काबिज होते ही आतंकी समूह ने अल्पसंख्यकों के साथ ही अफगान राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बलों (एएनडीएसएफ) के सैनिकों को प्रताड़ित किया और उन्हें मार डाला। इसने अलावा उसने उन सैनिकों और लोगों को भी प्रतिशोध के तौर पर प्रताड़ित किया, जिन्होंने देश पर हो रहे हमलों के दौरान सरकार के साथ सहानुभूति रखी थी।

एमनेस्टी के अनुसार, 6 सितंबर को तालिबान बलों ने पंजशीर प्रांत के बजरक शहर पर हमला किया और एक संक्षिप्त लड़ाई के बाद, लगभग 20 लोगों को पकड़ लिया गया और दो दिनों के लिए हिरासत में लिया गया।

उन्हें प्रताड़ित किया गया, भोजन, पानी और चिकित्सा सहायता से वंचित कर दिया गया और बार-बार फांसी की धमकी दी गई।

तालिबान द्वारा पकड़े गए लोगों में से एक ने कहा, तालिबानी सदस्य ने अपने पास एक चाकू रखा था। वह कह रहा था कि वह घायलों का सिर काटना चाहता है, क्योंकि वे काफिर और यहूदी हैं।

एक अन्य व्यक्ति ने कहा, उन्होंने हमें भूमिगत रखा। जब हम घायलों के चिकित्सा उपचार की मांग कर रहे थे तो तालिबानी कह रहे थे कि उन्हें मरने दो। घायलों के लिए कोई भोजन और पानी नहीं था और कोई सहारा नहीं था। उनका हमारे साथ क्रूर व्यवहार था। जब हम पानी मांग रहे थे तो वे कह रहे थे कि प्यास से मरो।

एमनेस्टी की रिपोर्ट में कहा गया है कि कैदियों के साथ अत्याचार और क्रूर तथा अमानवीय व्यवहार एक युद्ध अपराध है।

उसी दिन बाद में, तालिबान ने पास के उर्माज गांव पर भी हमला किया, जहां उन्होंने पूर्व अशरफ गनी सरकार के लिए कथित तौर पर काम करने वाले संदिग्ध लोगों की पहचान करने के लिए घर-घर जाकर तलाशी ली।

तालिबान के सदस्यों ने 24 घंटे के भीतर कम से कम छह पुरुष नागरिकों को विशेष रूप से सिर या छाती पर गोलियां चलाकर मार डाला।

इस तरह की हत्याएं युद्ध अपराध की श्रेणी में आती हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा किकुछ लोगों ने पहले एएनएसडीएफ में सेवा की थी, मगर कोई भी सरकारी सुरक्षा बलों में नहीं था और उनमें से कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह से शत्रुतापूर्ण गतिविधि में भाग नहीं ले रहा था।

रिपोर्ट में स्पिन बोल्डक में पूर्व सरकार से जुड़े लोगों के प्रतिशोध के हमलों और निष्पादन का भी दस्तावेज है।

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पहले गजनी और देयकुंडी प्रांतों में जातीय हजारा समुदाय के साथ तालिबान के नरसंहारों का दस्तावेजीकरण किया था।

राष्ट्रव्यापी हत्याओं का पूरा आंकड़ा अभी भी अज्ञात है, क्योंकि तालिबान ने कई ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल फोन सेवा और इंटरनेट के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.