logo-image

संदिग्ध आतंकियों को देवबंद में लेनी थी हथियार चलाने और विस्फोटक की ट्रेनिंग

दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में आए आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के संदिग्ध आतंकी अब्दुल लतीफ मीर व मो. अशरफ खटाना को आतंकी ट्रेनिंग के लिए दिल्ली से देवबंद जाना था.

Updated on: 18 Nov 2020, 08:49 AM

नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में आए आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के संदिग्ध आतंकी अब्दुल लतीफ मीर व मो. अशरफ खटाना को आतंकी ट्रेनिंग के लिए दिल्ली से देवबंद जाना था. देवबंद में इनको हथियार चलाने और विस्फोटक बनाने की ट्रेनिंग दी जानी थी. देवबंद में ट्रेनिंग के बाद ये आतंकी नेपाल के रास्ते पाकिस्तान जाने की फिराक में थे. दिल्ली पुलिस दिल्ली व यूपी में छिपे इनके संपर्कों की तलाश कर रही है. पाकिस्तान में बैठे जैश के हैंडलर ने इनको  कहा था कि देवबंद में उन्हें उनका आदमी मिलेगा जो आतंक की छोटी ट्रेनिंग दिलवाएगा. इसके बाद बड़ी ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान भिजवाएगा. दोनों युवक करीब आठ महीने पहले जेहादी बने थे अब दौरा-ए-खास की ट्रेनिंग लेकर आतंकी बनना चाहते थे. 

यह भी पढ़ेंः दिल्ली में कोरोना को लेकर पोस्टर वॉर, BJP बोली-केजरीवाल फेल

सूत्रों के मुताबिक खुफिया विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि ये चिंता की बात है कि यूपी में आतंकी ट्रेनिंग दी जा रही है. ये बात भी देखने में आई कि पहले गिरफ्तार किए गए आतंकियों ने यूपी से ही हथियार लिए थे. सूत्रों का कहना है कि दोनों संदिग्ध पिछले करीब आठ महीने से जेहादी बने थे. अब यह आंतकी बनना चाहते थे. शुरुआती जांच में सामने आया है कि ये धारा 370 खत्म करने के बहुत खिलाफ हैं और जम्मू कश्मीर की स्वतंत्रता के लिए लड़ना चाहते हैं. 

यह भी पढ़ेंः म्यांमार और भारत में हथियार धकेल रहा चीन, क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरा

ये सामान मिला
दो मोबाइल फोन, आधार कार्ड, कपड़ों का बैग, मो. अशरफ खटाना का मदरसा का आईकार्ड, जेएंडके बैंक का डेबिट कार्ड, अब्दुल लतीफ मीर का वोटर कार्ड, जेएंडके ग्रामीण बैंक का डेबिट कार्ड. इसके अलावा मोबाइल से आपत्तिजनक जेहादी ऑडियो, वीडियो फाइल व साहित्य मिला है. स्पेशल सेल के पुलिस अधिकारियों के अनुसार अब्दुल लतीफ मीर के पिता सोपोर जिला कोर्ट में मुंशी हैं. पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद मदरसा खेरम्बार, श्रीनगर चला गया था. अशरफ खटाना के पिता भी सरकारी सेवा से रिटायर हैं. वर्ष 2012 में इसने पढ़ाई छोड़ दी और इसके बाद अब्दुल लतीफ के पास चला गया.