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म्यांमार और भारत में हथियार धकेल रहा चीन, क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरा

बांग्लादेश और थाईलैंड के माध्यम से आपूर्ति किए गए चीनी हथियार स्पष्ट करते हैं कि म्यांमार में भारत द्वारा शुरू किए गए प्रोजेक्ट खतरे में हैं.

Updated on: 18 Nov 2020, 07:02 AM

नई दिल्ली:

म्यांमार और भारत में अवैध रूप से चीनी हथियारों का आसान प्रवाह क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए खतरा पैदा कर रहा है. खुफिया एजेंसियों ने इस संबंध में भारत सरकार को सतर्क किया है. भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से इस साल अब तक एके-47, एम-16एस, चीनी पिस्तौल और लेथोड्स सहित कुल 423 अवैध हथियार बरामद किए गए हैं. खुफिया एजेंसियों ने यह भी कहा है कि चीन म्यांमार सीमा पर विद्रोही समूहों को हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति कर रहा है, क्योंकि वे अच्छी कीमत चुकाते हैं. उत्तर-पूर्व में विद्रोही समूहों का प्रशिक्षण, हथियारों एवं गोला-बारूद की पहुंच और निर्वासित आतंकवादियों और नेताओं को शरण देना भारत के खिलाफ चीन के 'द्वि-आतंकवाद' पहलू हैं. बांग्लादेश और थाईलैंड के माध्यम से आपूर्ति किए गए चीनी हथियार स्पष्ट करते हैं कि म्यांमार में भारत द्वारा शुरू किए गए प्रोजेक्ट खतरे में हैं.

एजेंसियों ने सरकार को सतर्क करते हुए कहा, 'प्रमुख विद्रोही समूहों विशेष रूप से असम, मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम के लोग चीनी खुफिया एजेंसियों के साथ नियमित संपर्क बनाए रखते हैं और ये चीनी उदारता और हथियारों से लाभान्वित हुए हैं.' म्यांमार रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित है. यह हिंद महासागर के व्यापार मार्गो के लिए एक वैकल्पिक भूमि पुल प्रदान करता है, मलक्का स्ट्रैट्स पर दबाव को कम करता है और यूनान प्रांत के विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों का एक खजाना है. सूत्रों ने कहा कि हाल ही में एके-47 असॉल्ट राइफलों, मशीनगन, एंटी टैंक माइंस, ग्रेनेड सहित करीब 10 लाख डॉलर के गोला-बारूद से युक्त चीन निर्मित हथियारों की एक बड़ी खेप म्यांमार-थाईलैंड की सीमा पर थाईलैंड की तरफ माई सोट जिले में जब्त की गई है.

चीनी हथियारों की यह एकमात्र खेप नहीं है, जो बरामद हुई है. इस साल की शुरुआत में म्यांमार और बांग्लादेश के तटीय जंक्शन के पास मोनाखाली बीच पर 500 असॉल्ट राइफल, 30 यूनिवर्सल मशीनगन, 70,000 गोला बारूद, ग्रेनेड का एक विशाल भंडार और एफ-6 चीनी मैनपैड्स धकेली गई थी. वहां से यह खेप संडाक में अराकान आर्मी कैंप तक पहुंची और फिर इसे दक्षिण मिजोरम में परवा कॉरिडोर का इस्तेमाल करते हुए राखाइन में तस्करी कर लाया गया. जब्त किए गए हथियार मूल चीनी निर्मित थे और म्यांमार सीमा पर विद्रोही समूहों के लिए तस्करी किए जाने के लिए थे, क्योंकि वे अच्छी कीमत देते हैं.

म्यांमार में, चीन वर्तमान में अराकान सेना को हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति कर रहा है, जो म्यांमार की सीमा से लगे चिन और राखीन राज्यों में सक्रिय है. चीन अब अराकान आर्मी का उपयोग कर रहा है, जो म्यांमार द्वारा आतंकवादी संगठन के रूप में घोषित किया गया है. 2019 में जब कलादान परियोजना का एक चरण पूरा होने वाला था, अराकान सेना ने अपने ऑपरेशन के क्षेत्र को रखाइन और दक्षिणी चिन में स्थानांतरित कर दिया था. 2019 में अराकान सेना और म्यांमार के बीच 593 से अधिक झड़पें हुईं, जिनमें से अधिकांश कलादान परियोजना के करीब थीं.