ओडिशाः पुरी भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दी इजाजत

इस बीच केंद्र सरकार की ओर से सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया है कि यह देश के करोड़ों लोगों की आस्था का मसला है और सदियों पुरानी परंपरा है.

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Ravindra Singh
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सुप्रीम कोर्ट( Photo Credit : फाइल)

ओडिशा में भगवान जगन्नाथ की कल से होने वाली रथयात्रा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने इजाजत दे दी है. हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने पुरी को छोड़कर अन्य जगहों पर रथायात्रा निकालने की अनुमति नहीं दी है. इस बीच केंद्र सरकार की ओर से सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया था कि यह देश के करोड़ों लोगों की आस्था का मसला है और सदियों पुरानी परंपरा है. इस परंपरा के मुताबिक अगर मंगलवार को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा नहीं निकली तो अगले 12 सालों तक यह यात्रा नहीं निकल पाएगी.

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सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि कोरोना के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार एक दिन का कर्फ्यू लगा सकती थी. सिर्फ  सेवादारों को रथयात्रा में शामिल होने की इजाज़त होगी, उनकी कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव है वहां पर साधारण भक्तों की भीड़ नहीं लगेगी. वो टीवी पर रथयात्रा देखकर भगवान जगन्नाथ का आर्शीवाद ले लेंगे. हर एहतियात बरती जाएगी, पर ये परंपरा टूटनी नहीं चाहिए.

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पुरी में ही रथयात्रा को लेकर हो रही थी सुनवाई- सुप्रीम कोर्ट
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि कोर्ट लोगों की सेहत के साथ समझौता नहीं कर सकता. रथयात्रा के आयोजन में पूरा ध्यान रखा जाएगा कि लोगों की सेहत के साथ कोई खिलवाड़ न हो. रथयात्रा का आयोजन राज्य सरकार के अधीन आने वाले जगन्नाथ मंदिर ट्रस्ट को करना है. चीफ जस्टिस ने साफ किया कि सुनवाई सिर्फ पुरी में ही रथयात्रा की अनुमति को लेकर हो रही है. ओडिशा सरकार भी इससे सहमत नजर आई, कहा कि हम भी सिर्फ पुरी में ही रथयात्रा चाहते हैं.

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स्वास्थ्य गाइडलाइन्स के मुताबिक सरकार ही उचित कदम उठाएगी
ओडिशा विकास परिषद के वकील रंजीत कुमार ने कहा कि मंदिर में 2.5 हज़ार पंडे हैं. इस रथयात्रा में सबको शामिल न होने दिया जाए. चीफ जस्टिस ने कहा कि -हम माइक्रो मैनेजमेंट नहीं करेंगे. स्वास्थ्य गाइडलाइन्स के मुताबिक सरकार ही उचित कदम उठाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून के आदेश में संसोधन किया. साथ ही ये संकेत भी दिये कि पुरी में रथयात्रा की इजाजत दी जा सकती है.

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