केंद्रीय एजेंसियों में CCTV लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह फैसला नागरिकों के मौलिक अधिकारों से संबंधित है और अदालत नागरिकों के मौलिक अधिकारों को लेकर चिंतित है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा कि वो उसके सुनवाई टालने को बहाने को मंजूर नहीं कर रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह फैसला नागरिकों के मौलिक अधिकारों से संबंधित है और अदालत नागरिकों के मौलिक अधिकारों को लेकर चिंतित है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा कि वो उसके सुनवाई टालने को बहाने को मंजूर नहीं कर रहा है.

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Karm Raj Mishra
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Supreme Court

Supreme Court( Photo Credit : फोटो- @court_india Twitter)

सीबीआई (CBI), एनआईए (NIA) और एनसीबी (NCB) जैसी केंद्रीय एंजेसियों के दफ्तरों में सीसीटीवी कैमरे में लगाने में हो रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नाराजगी जताते हुए केन्द्र सरकार (Central Government) को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि उसे ऐसा लगा रहा है कि सरकार अपने पैर पीछे खींच रही है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह फैसला नागरिकों के मौलिक अधिकारों से संबंधित है और अदालत नागरिकों के मौलिक अधिकारों को लेकर चिंतित है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा कि वो उसके सुनवाई टालने को बहाने को मंजूर नहीं कर रहा है. दरअसल पिछले साल 2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने हिरासत में प्रताड़ना के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए सभी पुलिस स्टेशनों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया था. इस आदेश के मुताबिक केंद्र सरकार को CBI, NIA, ED, NCB, DRI और SFIO जैसी जांच एजेंसियों के दफ्तर में सीसीटीवी  कैमरे लगाने थे.

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आज जैसे ही ये मामला सुनवाई पर आया केंद्र सरकार ने सुनवाई टालने का आग्रह किया, लेकिन कोर्ट ने इस पर एतराज जाहिर करते हुए कहा कि हमे ऐसा लगता है कि आप जानबूझकर  देरी कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि ये नागरिकों के मूल अधिकारों से जुड़ा मसला है. हम आपकी कोई बहानेबाजी स्वीकार नहीं कर रहे. सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस थानों में सीसीटीवी लगाने को लेकर बिहार और मध्य प्रदेश सरकार को भी फटकार लगाई है. अदालत ने कहा कि आपको अदालत के आदेश का सम्मान नहीं है. उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को निर्देश दिया है कि केंद्र 3 सप्ताह के भीतर कोर्ट को सूचित करे कि केंद्रीय एजेंसियों के लिए कितना फंड आवंटित किया गया और सीसीटीवी कब लगाए जाएंगे.

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कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन हफ्ते के अंदर हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा है कि सीसीटीवी कैमरे लगानये जाने के आदेश पर कब तक अमल होगा? कोर्ट ने कहा कि 'हमें धन की कमी से कोई सरोकार नहीं है, हम आपको निर्देश दे रहे हैं कि आप धन आवंटित करें और CCTV स्थापित करें. अदालत ने कहा कि राज्य एक महीने के भीतर धन आवंटित करें और 5 महीने के भीतर सीसीटीवी लगाएं.'

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बता दें कि अदालत ने यूपी को विशाल क्षेत्र के कारण CCTV लगाने के लिए 9 महीने का समय दिया है. मध्य प्रदेश के पुलिस स्टेशनों में CCTV लगाने के लिए 8 महीने का समय दिया गया है. वहीं, चुनाव के चलते पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, असम और पुडुचेरी को दिसंबर 2021 के अंत तक सीसीटीवी लगाने के लिए कहा गया है.
 सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि थानों के बाहरी हिस्से में लगने वाले सीसीटीवी कैमरे नाइट विजन वाले होने चाहिए. और साथ ही सरकार से कहा था कि जिन थानों में बिजली और इंटरनेट नहीं वहां वे यह सुविधा उपलब्ध कराएं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सौर/पवन ऊर्जा समेत बिजली मुहैया कराने के किसी भी तरीके का उपयोग करके जितनी जल्दी हो सके बिजली दी जाए.

HIGHLIGHTS

  • यूपी सरकार को 9 महीने का समय दिया
  • चुनावी राज्यों को दिसंबर 2021 के अंत तक का समय
  • बिहार और मध्य प्रदेश सरकार को भी फटकार लगाई

Source : News Nation Bureau

Modi Government Supreme Court ed cbi Central Investigation Agencies
      
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