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श्राप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर को जारी किया नोटिस, 2 हफ्ते में मांगा जवाब

दिलचस्प ये रहा कि चीफ जस्टिस ने राजीव धवन की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल के कुछ बोलने से पहले ही नोटिस जारी कर दिया और दो हफ्ते का वक्त जवाब देने के लिए दे दिया.

Updated on: 03 Sep 2019, 11:04 AM

नई दिल्ली:

अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर षणमुगम को नोटिस जारी किया है. 88 साल के प्रोफेसर षणमुगम ने मुस्लिम पक्ष की पैरवी के चलते उन्हें चिट्ठी लिखकर श्राप दिया था. राजीव धवन के मुताबिक, प्रोफेसर षणमुगम का ऐसा करना सुप्रीम कोर्ट के काम में बाधा है. लिहाजा उन पर अवमानना की कार्रवाई होनी चाहिए. कोर्ट ने प्रोफेसर षणमुगम से 2 हफ्ते में जवाब मांगा है.

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दिलचस्प ये रहा कि चीफ जस्टिस ने राजीव धवन की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल के कुछ बोलने से पहले ही नोटिस जारी कर दिया और दो हफ्ते का वक्त जवाब देने के लिए दे दिया, ताकि अदालत का वक़्त अवमानना याचिका पर जिरह में बर्बाद न हो और दो हफ्ते तक अयोध्या मामले की सुनवाई निर्बाध चलती रहे.

इससे पहले सोमवार को अयोध्‍या केस की सुनवाई की शुरुआत में कपिल सिब्बल ने वकील राजीव धवन को मिले पत्र का उल्‍लेख किया तो मुख्‍य न्‍यायाधीश रंजन गोगोई ने इस पर मंगलवार को विचार करने की बात कही थी. अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने 88 साल के वृद्ध प्रोफेसर षणमुगम के खिलाफ याचिका दाखिल की है, जिन्होंने मुस्लिम पक्ष की पैरवी करने के चलते उन्हें चिट्ठी लिखकर 'श्राप' दिया है.

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चिट्ठी में षणमुगम ने लिखा है, 'फरवरी 1941 से लेकर अब तक मैं 50 लाख बार गायत्री मंत्र का जाप कर चुका हूं. सितंबर 1958 से लेकर अब तक 27,000 बार गीता का दसवां अध्याय पढ़ा है. अपनी इसी जीभ से मैं भगवान के काम के रास्ते में अड़चन डालने के लिए आपको श्राप देता हूं कि आपकी जीभ बोलना बंद कर दे. पैर काम करना बंद कर दें. आंखों की रोशनी चली जाए. आपके कान सुनना बंद कर दें.'