किसान आंदोलन: मुद्दा सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने फिर कमेटी की बात दोहराई

दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर चल रहे किसानों के आंदोलन के बीच गतिरोध को समाप्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कमेटी बनाए जाने की बात दोहराई है.

author-image
Dalchand Kumar
एडिट
New Update
supreme court

सुप्रीम कोर्ट( Photo Credit : फाइल फोटो)

दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर चल रहे किसानों के आंदोलन के बीच गतिरोध को समाप्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कमेटी बनाए जाने की बात दोहराई है. इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दिया है कि जब तक कमेटी किसी निष्कर्ष पर न पहुंचती है, तब तक किसानों का प्रदर्शन चल सकता है. बशर्ते ये प्रदर्शन जान-मान के नुकसान की वजह न बने. मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा कि किसानों को प्रदर्शन का अधिकार है. उसने कोई कटौती नहीं, पर खाली प्रदर्शन से भी काम नहीं चलेगा. सरकार से संवाद होता रहना चाहिए.

Advertisment

यह भी पढ़ें: LIVE: कृषि कानून पर SC ने कहा- कमेटी बनाने पर विचार, दोनों पक्षों से होगी बात

सीजेआई एस ए बोबडे ने कहा कि संवाद में भले ही शुरुआती नतीजे नहीं निकलेंगे, इसलिए हम किसान संगठनों और सरकार के नुमाइंदों वाली कमेटी के गठन पर विचार कर रहे हैं. कमेटी दोनों पक्षों से बातचीत करेगी. उन्होंने कहा, 'जब तक वो (कमेटी) किसी निष्कर्ष पर पहुंचती है, तब तक प्रदर्शन चल सकता हैय. बशर्ते वो जान-ॉमाल के नुकसान की वजह न बने.' सीजेआई ने एक बार फिर सुझाव दिया है कि इस कमेटी में पी साईनाथ, भारतीय किसान यूनियन और अन्य सदस्य हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि आप (किसान) इस तरह से हिंसा भड़का नहीं सकते हैं और इस तरह एक शहर को ब्लॉक नहीं कर सकते हैं.

कानूनों की वैधता तय करने से कोर्ट का इनकार

तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि वो फिलहाल कानूनों की वैधता तय नहीं करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आज हम जो पहली और एकमात्र चीज तय करेंगे, वो किसानों के विरोध प्रदर्शन और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को लेकर है. कानूनों की वैधता का सवाल इंतजार कर सकता है.

यह भी पढ़ें: राजस्थान में गहलोत सरकार के 2 साल, कांग्रेस का अधिकतर वादों को पूरा करने का दावा, बीजेपी ने बोला हमला 

किसानों को सड़कों से हटाने संबंधी याचिका दाखिल करने वाले ऋषभ की ओर से वकील के तौर पर हरीश साल्वे आज कोर्ट में पेश हुए हैं. जिन्होंने प्रदर्शन के चलते लोगों के आवागमन की दिक्कतों का हवाला दिया है. हरीश साल्वे ने कहा कि कोई भी अधिकार अपने आप में संपूर्ण नहीं है. अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार भी असीमित नहीं है. साल्वे ने प्रदर्शन के चलते बॉर्डर से फूड सप्लाई बाधित आवागन के बाधित होने की दिक्कत का भी हवाला दिया. इस पर सीजेआई ने साफ किया कि किसानों को प्रदर्शन का अधिकार है. हम उन्हें ऐसा करने से रोकेंगे नहीं. हम उनके इस अधिकार में कटौती नहीं कर सकते. सिर्फ प्रदर्शन के तरीके को लेकर बात की जा सकती है, ताकि दूसरे नागरिकों को दिक्कत न हो.

इसी बीच अटॉनी जनरल केके वेणुगोपाल ने अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, 'किसान संगठनों को कमेटी से कानून के हर पहलू पर बात करनी होगी. वो सिर्फ इस बात पर अड़े हैं कि कानून वापस लो. उनकी जिद की वजह से बातचीत हो नहीं पा रही है. सड़क ब्लॉक रखने से आवागमन बाधित हो रहा है. ऐसा युद्ध की स्थिति में होता है कि किसी शहर को आने वाली सड़कों को ब्लॉक कर दिया जाए. बिना मास्क के धरने पर बैठी ये भीड़ कोविड सक्रंमण का खतरा बन सकती है.' इस पर मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा, 'हम फिर इस बात को दोहरा रहे हैं कि प्रदर्शन का संवैधानिक अधिकार है. उसके कोई कटौती हम नहीं करने जा रहे, पर सवाल ये है कि प्रदर्शन में बैठे रहने से तो काम नहीं चलेगा ना. आप सालों तक बैठे रह सकते हैं. बातचीत तो करनी होगी.'

यह भी पढ़ें: अमित शाह के बंगाल दौरे पर होगी अभेद सुरक्षा, चप्पे-चप्पे पर तैनात होगा केंद्रीय सुरक्षा बल

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम किसानों के दर्द को समझते हैं. उनसे सहानुभूति है. सिर्फ प्रदर्शन के तरीके पर बात हो रही है. जिस पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि अगर यूनियन बॉयकॉट कर रही है, बात ही नहीं कर रही तो फिर कमेटी के गठन से कोई मकसद हल नहीं होगा. इस पर सीजेआई बोबडे ने कहा कि वेकेशन बैंच किसानों के ग्रुप को सुन सकते हैं, उन्हें नोटिस जारी होने के बाद. लेकिन क्या इसी बीच सरकार कोर्ट को आश्वस्त कर सकती है कि वो कानून पर अमल नहीं करेगी. जिसके बाद अटॉर्नी जनरल ने कहा कि हम इस पर विचार करेंगे और कोर्ट को अवगत कराएंगे.

Supreme Court farmers-protest सुप्रीम कोर्ट kisan-andolan
      
Advertisment