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सुभाष चोपड़ा और पीसी चाको का इस्तीफा स्वीकार, शक्ति सिंह बने अंतरिम AICC प्रभारी

सुभाष चोपड़ा और पीसी चाको का इस्तीफा कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने स्वीकार कर लिया है. वहीं, शक्ति सिंह गोहिल को दिल्ली का अंतरिम एआईसीसी प्रभारी नियुक्त किया गया है.

Updated on: 12 Feb 2020, 09:00 PM

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दिल्ली चुनाव में करारी हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा और राज्य पार्टी प्रभारी पीसी चाको ने इस्तीफा दे दिया है. सुभाष चोपड़ा और पीसी चाको का इस्तीफा कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने स्वीकार कर लिया है. वहीं, शक्ति सिंह गोहिल को दिल्ली का अंतरिम एआईसीसी प्रभारी नियुक्त किया गया है.

दिल्ली में कांग्रेस खाता भी नहीं खोल पाई. चुनावी नतीजा सामने आने के तुरंत बाद सुभाष चोपड़ा ने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद पीसी चाको ने भी इस्तीफा दे दिया. जिसे आज सोनिया गांधी ने स्वीकार कर लिया.

इधर, कांग्रेस की हार पर प्रियंका गांधी ने कहा कि जनता ने जो किया वो सही किया है. कांग्रेस के लिए संघर्ष का वक्त है. हम संघर्ष करने के लिए तैयार हैं.

वहीं, दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने के बाद पार्टी नेताओं के बीच जुबानी जंग भी छिड़ गई जिस पर कांग्रेस ने बुधवार इन नेताओं को अनुशासन में रहने की नसीहत देते हुए कहा कि ये लोग पहले अपनी भूमिका और जवाबदेही के बारे में विचार करें.

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दरअसल, पार्टी के दिल्ली प्रभारी पद से इस्तीफा देने वाले पीसी चाको पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बारे में अपने एक कथित बयान को लेकर कुछ नेताओं के निशाने पर आ गए तो कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उन नेताओं को आड़े हाथ लिया जो कांग्रेस के सफाए के बावजूद चुनाव परिणाम को भाजपा के खिलाफ जनादेश के तौर पर पेश करके खुशी का इजहार कर रहे हैं. इन नेताओं की बयानबाजी पर पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, हम कांग्रेस की तरफ से कहना चाहते हैं कि कांग्रेस के कुछ नेता जिस तरह से अनुशासन की मर्यादा लांघकर एक दूसरे आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं वो अवांछित और अस्वीकार्य है.

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पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवरा ने चाको की कथित टिप्पणी को लेकर उन पर निशाना साधा और कहा कि चुनावी हार के लिए दिवंगत शीला दीक्षित को जिम्मेदार ठहराना दुर्भाग्यपूर्ण है. शीला दीक्षित के करीबी रहे कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भी चाको पर निशाना साधते हुए कहा, 2013 में जब हम हारे तो कांग्रेस को दिल्ली में 24.55 फीसदी वोट मिले थे. शीला जी 2015 के चुनाव में शामिल नहीं थीं जब हमारा वोट प्रतिशत गिरकर 9.7 फीसदी हो गया. 2019 में जब शीला जी ने कमान संभाली तो कांग्रेस का वोट प्रतिशत 22.46 फीसदी हो गया.