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दिल्ली में हार के बाद कांग्रेस नेताओं में छिड़ी जुबानी जंग, पार्टी ने दी अनुशासन में रहने की नसीहत

यह बेहतर होता कि नेता अपनी भूमिका, अपनी जिम्मेदारी, पार्टी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और चुनाव प्रचार के समय अपनी निष्ठा की तरफ देखते.

Updated on: 12 Feb 2020, 08:32 PM

नई दिल्‍ली:

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने के बाद पार्टी नेताओं के बीच जुबानी जंग भी छिड़ गई जिस पर कांग्रेस ने बुधवार इन नेताओं को अनुशासन में रहने की नसीहत देते हुए कहा कि ये लोग पहले अपनी भूमिका और जवाबदेही के बारे में विचार करें. दरअसल, पार्टी के दिल्ली प्रभारी पद से इस्तीफा देने वाले पीसी चाको पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बारे में अपने एक कथित बयान को लेकर कुछ नेताओं के निशाने पर आ गए तो कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उन नेताओं को आड़े हाथ लिया जो कांग्रेस के सफाए के बावजूद चुनाव परिणाम को भाजपा के खिलाफ जनादेश के तौर पर पेश करके खुशी का इजहार कर रहे हैं. इन नेताओं की बयानबाजी पर पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, हम कांग्रेस की तरफ से कहना चाहते हैं कि कांग्रेस के कुछ नेता जिस तरह से अनुशासन की मर्यादा लांघकर एक दूसरे आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं वो अवांछित और अस्वीकार्य है. 

उन्होंने कहा, यह बेहतर होता कि नेता अपनी भूमिका, अपनी जिम्मेदारी, पार्टी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और चुनाव प्रचार के समय अपनी निष्ठा की तरफ देखते. अगर वो ऐसा करते हैं तो पार्टी को नए सिरे से खड़ा करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. दिल्ली के प्रभारी पीसी चाको द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बारे में की गई कथित टिप्पणी के बारे में सुरजेवाला ने कहा कि चाको ने खुद कहा कि उन्होंने दिवंगत शीला दीक्षित के बारे में कुछ नहीं कहा है. उल्लेखनीय है कि कांग्रेस में उस वक्त एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया जब चाको ने कथित तौर पर कहा कि कांग्रेस पार्टी का पतन 2013 में शुरू हुआ जब शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थीं. बाद में चाको ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने किसी भी तरह से शीला दीक्षित को जिम्मेदार नहीं ठहराया है, बल्कि सिर्फ यह तथ्य रख रहे थे कि पार्टी का प्रदर्शन कैसे धीरे-धीरे खराब होता चला गया और कांग्रेस का वोट आप की तरफ चला गया.

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पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवरा ने चाको की कथित टिप्पणी को लेकर उन पर निशाना साधा और कहा कि चुनावी हार के लिए दिवंगत शीला दीक्षित को जिम्मेदार ठहराना दुर्भाग्यपूर्ण है. शीला दीक्षित के करीबी रहे कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भी चाको पर निशाना साधते हुए कहा, 2013 में जब हम हारे तो कांग्रेस को दिल्ली में 24.55 फीसदी वोट मिले थे. शीला जी 2015 के चुनाव में शामिल नहीं थीं जब हमारा वोट प्रतिशत गिरकर 9.7 फीसदी हो गया. 2019 में जब शीला जी ने कमान संभाली तो कांग्रेस का वोट प्रतिशत 22.46 फीसदी हो गया. दूसरी तरफ, दिल्ली महिला कांग्रेस की प्रमुख शर्मिष्ठा मुखर्जी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की जीत को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम द्वारा विपक्ष का हौसला बढ़ाने वाला परिणाम करार दिए जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर कांग्रेस ने भाजपा को पराजित करने का काम क्षेत्रीय दलों को आउटसोर्स कर दिया है तो प्रदेश कांग्रेस कमेटियों (पीसीसी) को अपनी दुकान बंद कर देना चाहिए.

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दरअसल, चिदंबरम ने मंगलवार को ट्वीट किया था, अगर मतदाता उन राज्यों के विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं जहां से वे आए थे, तो दिल्ली का मत विपक्ष का यह विश्वास बढ़ाने वाला है कि भाजपा को हर राज्य में हराया जा सकता है. दिल्ली का वोट राज्य विशेष के वोट की तुलना में अखिल भारतीय वोट है क्योंकि दिल्ली एक मिनी इंडिया है. शर्मिष्ठा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद मंगलवार को भी पार्टी के शीर्ष स्तर पर निर्णय लेने में विलंब और एकजुटता में कमी की बात कही थी. गौरतलब है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप ने 62 सीटें हासिल करके शानदार जीत दर्ज की है. भाजपा को महज आठ सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला. भाषा हक हक उमा उमा