शाहीनबाग प्रदर्शन पर SC का फैसला: कपिल मिश्रा बोले- दोबारा न करें गलती की कोशिश...

कपिल मिश्रा ने कहा सुप्रीम कोर्ट का शाहीन बाग पर जो निर्णय आया है वह दिल्ली की जनता की जीत है और उन सब लोगों की जीत है जो सड़कें बंद होने का विरोध कर रहे थे.

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Dalchand Kumar
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Kapil Mishra

शाहीनबाग पर फैसला: कपिल मिश्रा बोले- दोबारा न करें गलती की कोशिश...( Photo Credit : फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने आज एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि भविष्य में अब कोई 'शाहीन बाग' नहीं बनना चाहिए. कोर्ट के इस फैसला को पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने दिल्ली की जनता की जीत बताया है. कपिल मिश्रा ने कहा सुप्रीम कोर्ट का शाहीन बाग पर जो निर्णय आया है वह दिल्ली की जनता की जीत है और उन सब लोगों की जीत है जो सड़कें बंद होने का विरोध कर रहे थे.

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कपिल मिश्रा ने कहा कि सड़कें बंद करके झूठ फैलाना आतंक फैलाना और दहशत फैलाना यह इस देश में नहीं चलेगा. यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट ने दिया है और हम सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का कोटि-कोटि स्वागत करते हैं. बीजेपी नेता ने कहा कि पर अब सड़कें बंद करने वाले और दंगा फैलाने वाले लोग समझ जाएं और दोबारा ऐसी गलती करने की कोशिश ना करें वही ठीक होगा.

उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि जो लोग सड़कें बंद कर रहे थे, गलियां बंद कर रहे थे, दंगे कर करने की कोशिश कर रहे थे, लोगों को दफ्तर जाने से रोक रहे थे, बच्चों को स्कूल जाने से रोक रहे थे, उन सभी लोगों को समझ में आ गया होगा कि इस देश का कानून इस देश का संविधान बाबा साहब अंबेडकर का संविधान इसकी इजाजत नहीं देता है.'

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उल्लेखनीय है कि शाहीन बाग में सड़क रोककर बैठी भीड़ को हटाने से जुड़े मसले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि किसी व्यक्ति/संगठन विरोध प्रदर्शन के नाम पर सार्वजनिक रास्तों को ब्लॉक करने की इजाज़त नहीं दी जा सकती है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि प्रशासन को सार्वजनिक स्थलों को सभी अवरोधों से मुक्त रखना चाहिए और उन्हें ऐसा करने के लिए कोर्ट के आदेश का इंतजार नहीं करना चाहिए.

उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि विरोध प्रदर्शन के लिए शाहीन बाग जैसे सार्वजनिक स्थलों पर कब्जा करना स्वीकार्य नहीं है और इस प्रकार के स्थानों पर अनिश्चितकाल के लिए कब्जा नहीं किया जा सकता. पीठ ने कहा कि लोकतंत्र और असहमति साथ-साथ चलते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि विरोध करने वाले लोगों को विरोध के ऐसे तरीकों को अपनाना चाहिए, जो औपनिवेशिक शासकों के खिलाफ स्वतंत्रता के लिए संघर्ष के दौरान इस्तेमाल किए गए थे.

Source : News Nation Bureau

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