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सड़क दुर्घटना में मुआवजे पर SC का अहम फैसला, मृतक की भविष्य आमदनी को देख देना होगा कंपन्सेशन

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मुआवजे की रकम सिर्फ दुर्घटना में मरने वाले की मौजूदा आमदनी के हिसाब से ही तय नहीं होगी।

Updated on: 01 Nov 2017, 12:24 AM

नई दिल्ली:

सड़क दुर्घटना में मरने वालों के लिए आश्रितों को मिलने वाली मुआवजा राशि को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने अहम फैसला दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मुआवजे की रकम सिर्फ दुर्घटना में मरने वाले की मौजूदा आमदनी के हिसाब से ही तय नहीं होगी।

अदालत ने कहा कि इसके लिए ये भी देखा जाएगा कि अगर वो शख्स ज़िंदा रहता तो भविष्य में उसकी आमदनी क्या होती है। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली संविधान बेंच ने 27 याचिकाओं की सुनवाई के बाद ये फैसला दिया है। 

संविधान बेंच ने माना है कि मरने वाले की सिर्फ मौजूदा आमदनी को देख कर मुआवज़ा तय करना न्यायसंगत नहीं माना जा सकता। 

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि यदि मृतक के पास स्थाई नौकरी थी और वह 40 वर्ष से कम आयु का था तो उसकी आमदनी का निर्धारण करते समय उसकी भावी संभावना के रूप में उसके वास्तविक वेतन का 50 प्रतिशत आमदनी में जोडा जाना चाहिए।

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इसी तरह यदि मरने वाले कि आयु 40 से 50 साल के बीच हो तो आमदनी 30 प्रतिशत बढ़ा कर देखी जानी चाहिए, इसी तरह यदि मृतक 50 से 60 साल की आयु का हो तो उसकी आमदनी  15 प्रतिशत बढ़ा कर देखनी चाहिए। 

इसी तरह संविधान पीठ ने स्वरोजगार वाले या निजी क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति के मामले में आश्रितों को मुआवजा देते समय भावी संभावना के तहत मृतक की आमदनी या वेतन के प्रतिशत का भी निर्धारण किया है। 

उम्र 40 से कम होने पर 40 फीसदी, 40 से 50 होने पर 25 फीसदी और 50 से 60 होने पर 10 फीसदी बढ़ा कर आमदनी देखी जाएगी। 

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