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...तुम्हारी भी जय जय हमारी भी जय जय, इस फॉर्मूले पर निकला राजस्थान संकट का हल

अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) से बगावत के बाद भले ही सचिन पायलट (Sachin Pilot) और गहलोत के बीच सबकुछ सामान्य होने के दावा किया जा रहा हो लेकिन पायलट के लिए राजस्थान की सियासत के रास्ते लगभग बंद हो चुके हैं.

Updated on: 14 Aug 2020, 09:53 AM

नई दिल्ली:

अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) से बगावत के बाद भले ही सचिन पायलट (Sachin Pilot) और गहलोत के बीच सबकुछ सामान्य होने के दावा किया जा रहा हो लेकिन पायलट के लिए राजस्थान की सियासत के रास्ते लगभग बंद हो चुके हैं. सचिन पायलट के बाद गोविंद सिंह डोटासरा को राजस्थान का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा चुका है. इसलिए इस पद पर पायलट के दोबारा काबिज होने की कोई संभावना नहीं है. साथ ही अशोक गहलोत के टकराव के बाद वह उपमुख्यमंत्री का पद लेने से वह खुद इनकार कर चुके हैं. ऐसे में पायलट का दिल्ली जाना तय है.

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राजस्थान के लिए जो फॉर्मूला तैयार किया गया है उसके मुताबिक सचिन पायलट का कांग्रेस संगठन में कद बढ़ने वाला है. उन्हें केंद्रीय संगठन में उपाध्यक्ष या महासचिव बनाया जा सकता है. इसके पीछे एक वजह है कि सचिन अब राज्य सरकार में खुद कोई पद नहीं लेना चाहते हैं. कांग्रेस संगठन में जल्द होने वाले फेरबदल में 4 से 5 राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने पर भी विचार चल रहा है. ऐसे में अगर इस पर आखिरी फैसला हो जाता है तो सचिन पायलट को केन्द्र में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाया जा सकता है.  

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इसके अलावा समझौते के तहत गहलोत सरकार में जल्द ही 10 मंत्री पद भरे जाएंगे. जिसमें गहलोत को समर्थन किए विधायकों समेत पायलट खेमे के भी कुछ विधायकों को मंत्री बनाया जाएगा. बताया जा रहा है मंत्रिमंडल विस्तार में पायलट खेमे के विधायकों को महत्वपूर्ण मंत्रालय दिए जाएंगे. दरअसल कांग्रेस में भले ही सचिन पायलट की 'वापसी' हो गई हो लेकिन अशोक गहलोत के साथ हुई उनके टकराव के बाद प्रदेश में उनका काम करना आसान नहीं होगा. अशोक गहलोत के तीखे हमलों को लेकर सचिन पायलट काफी नाराज भी दिखाई दिए हैं. अब सचिन पायलट का राजस्थान से दिल्ली का रुख करना तय माना जा रहा है.