देश की आजादी में क्या थी भूमिका? आरएसएस ने आलोचकों को दिया जवाब
देश की आजादी में योगदान को लेकर उठते सवालों के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayam Sevak Sangh) ने आलोचकों को जवाब दिया है.
नई दिल्ली:
देश की आजादी में योगदान को लेकर उठते सवालों के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आलोचकों को जवाब दिया है. आरएसएस ने 74 वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक डाक्यूमेंट्री जारी कर देश की आजादी के लिए चले सभी बड़े आंदोलनों में संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और स्वयंसेवकों के योगदान का जिक्र किया है.
संघ का कहना है कि " आजादी के आंदोलन में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. यह अलग बात है कि स्थापना के बाद से संगठन को कभी श्रेय लेने की आदत नहीं रही. लेकिन, समाज में सुनियोजित साजिश के तहत संघ को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां फैलाई जाती हैं. आरएसएस के सह सरकार्यवाहक डॉ. मनमोहन वैद्य के अनुसार, " एक योजनाबद्ध तरीके से देश को आधा इतिहास बताने का प्रयास चल रहा है कि स्वतंत्रता सिर्फ कांग्रेस की वजह से मिली, और किसी ने कुछ नहीं किया. सारा श्रेय एक पार्टी को देना, इतिहास से खिलवाड़ है."
यह भी पढ़ें- कोरोना वैक्सीन पंजीकरण को लेकर रूस के शीर्ष डॉक्टर ने स्वास्थ्य मंत्रालय छोड़ा
आरएसएस की दिल्ली कार्यकारिणी के सदस्य राजीव तुली ने इस बारे में आईएएनएस से कहा, जो ये कहते हैं कि देश को आजाद कराने में संघ का कोई योगदान नहीं रहा, वो अपनी असफलताओं को छिपाने की राजनीति करते हैं. खिलाफत आंदोलन हो या फिर असहयोग और नमक सत्याग्रह, सभी में प्रथम सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार ने बढ़-चढ़कर भाग लिया. असहयोग आंदोलन और नमक सत्याग्रह के दौरान दो बार वह जेल भी गए.
राजीव तुली ने कहा कि " स्वतंत्रता आंदोलन ही नहीं बल्कि वर्ष 1947 में जब देश का बंटवारा हुआ, तो पश्चिमी पाकिस्तान से हिंदुओं और सिखों को सुरक्षित बाहर निकालने में संघ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मुहल्ले-मुहल्ले में सुरक्षा की व्यवस्था की. रिलीफ कमेटी बनाकर लोगों को राहत पहुंचाई गई. "
यह भी पढ़ें- खेल पुरस्कार विजेताओं के चयन के लिए 17 और 18 अगस्त को होगी समिति की बैठक
'भारत विमर्श' की ओर से तैयार इस डाक्यूमेंट्री में संघ के सर संघचालक मोहन भागवत कहते हैं कि " 1921 में प्रांतीय कांग्रेस की बैठक में क्रांतिकारियों की निंदा करने वाला प्रस्ताव रखा गया था. तब डॉ. हेडगेवार के जबर्दस्त विरोध के कारण प्रस्ताव वापस लेना पड़ा था. 1921 में महात्मा गांधी की अगुवाई में चले असहयोग आंदोलन में डॉ. हेडगेवार ने महती भूमिका निभाई थी. देश को स्वाधीन कराने के लिए अन्य क्रांतिकारियों की तरह वह जेल जाने से भी नहीं चूके. 19 अगस्त 1921 से 11 जुलाई 1922 तक कारावास में रहे. जेल से बाहर आने के बाद 12 जुलाई को नागपुर में उनके सम्मान में आयोजित सार्वजनिक समारोह में कांग्रेस के नेता मोतीलाल नेहरू, राजगोपालाचारी जैसे अनेक नेता मौजूद थे.
आरएसएस ने इस डाक्यूमेंट्री में बताया है कि पूर्ण आजादी का सुझाव डॉ. हेडगेवार ने ही दिया था. लेकिन यह प्रस्ताव कांग्रेस ने नौ साल बाद वर्ष 1929 के लाहौर अधिवेशन में माना. संघ ने अपने दावे के समर्थन में इतिहासकार कृष्णानंद सागर का बयान डाक्यूमेंट्री में दिखाया है. संघ ने कहा है कि पूर्ण स्वाधीनता का प्रस्ताव पास किए जाने पर डॉ. हेडगेवार ने तब संघ की सभी शाखाओं में कांग्रेस का अभिनंदन करने की घोषणा की थी.
यह भी पढ़ें- स्वतंत्रता दिवस : कश्मीर में मोबाइल इंटरनेट सेवा बहाल की गई
जब अप्रैल 1930 में सविनय अविज्ञा आंदोलन शुरू हुआ तो संघ ने बिना शर्त समर्थन का निर्णय किया था. तब डॉ. हेडगेवार ने सर संघचालक का पद डॉ. परांजपे को देकर स्वयंसेवकों के साथ आंदोलन में भाग लिया था. इस सत्याग्रह में भाग लेने के कारण उन्हें नौ महीने का कारावास हुआ था. जेल से छूटने के बाद फिर संघ के सरसंघचालक का दायित्व स्वीकार कर वह संघ कार्य में जुड़ गए.
संघ ने डाक्यूमेंट्री में बताया है कि आठ अगस्त 1942 को गोवलिया टैंक मैदान, मुंबई पर कांग्रेस अधिवेशन में महात्मा गांधी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया था. महाराष्ट्र के अमरावती, वर्धा, चंद्रपुर में विशेष आंदोलन हुआ. इस आंदोलन का नेतृत्व करने में तब संघ के अधिकारी दादा नाइक, बाबूराव, अण्णाजी सिरास ने अहम भूमिका निभाई थी. गोली लगने पर संघ के स्वयंसेवक बालाजी रायपुरकर ने बलिदान दिया था.
संघ ने भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लेने वाले संघ के स्वयंसेवकों के बारे में बताते हुए कहा है कि राजस्थान में प्रचारक जयदेव पाठक, विदर्भ में डॉ. अण्णासाहब देशपांडेय, छत्तीसगढ़ में रमाकांत केशव देशपांडेय, दिल्ली में वसंतराव ओक, पटना में कृष्ण वल्लभ प्रसाद नारायण सिंह, दिल्ली में चंद्रकांत भारद्वाज और पूर्वी उत्तर प्रदेश में माधवराव देवड़े, उज्जैन में दत्तात्रेय गंगाधर कस्तूरे ने बढ़चढ़कर भाग लिया था. संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य के लेख पर आधारित इस डाक्यूमेंट्री की स्क्रिप्ट ब्रजेश द्विवेदी ने लिखी है.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Kajol Daughter : निसा के बर्थडे से पहले इमोशनल हुईं काजोल, बेटी के लिए बयां किया प्यार
-
Lok Sabha Elections 2024: रजनीकांथ से लेकर कमल हासन तक वोट देने पहुंचे ये सितारे, जागरूक नागरिक होने का निभाया फर्ज
-
टीवी एक्ट्रेस दिव्यांका त्रिपाठी का हुआ एक्सीडेंट, होगी सीरीयस सर्जरी, काम छोड़कर हॉस्पिटल पहुंचे पति
धर्म-कर्म
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह
-
Abrahamic Religion: दुनिया का सबसे नया धर्म अब्राहमी, जानें इसकी विशेषताएं और विवाद
-
Peeli Sarso Ke Totke: पीली सरसों के ये 5 टोटके आपको बनाएंगे मालामाल, आर्थिक तंगी होगी दूर
-
Maa Lakshmi Mantra: ये हैं मां लक्ष्मी के 5 चमत्कारी मंत्र, जपते ही सिद्ध हो जाते हैं सारे कार्य