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रेल डेवलपमेंट अथॉरिटी तय करेगी रेल किराया, कैबिनेट से मिली मंजूरी

आरडीए बनने के साथ ही रेलवे में सेवाओं की स्थिति बेहतर होगी और पारदर्शिता के साथ साथ जवाबदेही बढ़ेगी।

Updated on: 06 Apr 2017, 07:19 AM

नई दिल्ली:

रेलवे का किराया घटाना या बढ़ाना अब रेल मंत्री के हाथों में नहीं होगा बल्कि इस बात की सिफारिश रेल डेवलपमेंट अथॉरिटी (आरडीए) करेगी और सरकार का फैसला अंतिम माना जाएगा। मोदी कैबिनेट ने आरडीए को मंजूरी दे दी है।

आरडीए को भारतीय रेलवे में एक बड़ा सुधार माना जा रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि आरडीए बनने के साथ ही रेलवे में सेवाओं की स्थिति बेहतर होगी और पारदर्शिता के साथ साथ जवाबदेही बढ़ेगी।

इसके अलावा ट्राई की तरह ही इस अथॉरिटी की यह जिम्मेदारी होगी कि वह कम्पटीशन के लिए रेलवे और प्राइवेट प्लेयर्स को बराबरी का अवसर दे। साथ ही यात्रियों के हितों की भी रक्षा करेगी। रेलवे को उम्मीद है कि अथॉरिटी इसी साल अगस्त से यह काम करना शुरू कर देगी।

ऐक्ट में संशोधन नहीं होगा
कैबिनेट ने इस अथॉरिटी के गठन के लिए जो प्रस्ताव पारित किया है, उसके मुताबिक इसके गठन के लिए रेलवे ऐक्ट में कोई संशोधन नहीं होगा बल्कि सरकार एक एक्जिक्यूटिव ऑर्डर के जरिये इस अथॉरिटी को बनाएगी।

इस फैसले से अब होगा यह कि यह अथॉरिटी खर्चों और आमदनी का जायजा लेने के बाद रेल किराये में बढ़ोतरी की सिफारिश ही कर सकेगी। इसके बाद सरकार उस सिफारिश पर फैसला लेगी। ऐसे में अंतत: रेल किराये के बारे में फैसला करने का अधिकार सरकार के पास ही होगा।

क्या होगा फायदा?
अथॉरिटी के गठन का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इससे रेल यात्रियों को प्रोटेक्शन मिलेगा और अथॉरिटी यात्रियों को मिलने वाली सर्विस का मापदंड तय करेगी।

ऐसा माना जा रहा है कि अथॉरिटी के गठन से सर्विस की क्वॉलिटी में सुधार देखने को मिल सकता है। ट्रेन की लेटलतीफी को लेकर अथॉरिटी कड़ा रुख अपना सकती है।

प्राइवेट प्लेयर्स आने की उम्मीद?
अथॉरिटी के गठन से एक फायदा यह होगा कि रेलवे में प्राइवेट कंपनियां भी आ सकेंगे। जैसे टेलिकॉम सेक्टर में पहले सरकारी कंपनी एमटीएनएल थी, लेकिन बाद में प्राइवेट कंपनियां भी इस सेक्टर में आईं। उसी तरह अब रेलवे में भी प्राइवेट कंपनियां आ सकेंगे।

कैसे बनेगी अथॉरिटी?
इस अथॉरिटी में एक चेयरमैन और तीन सदस्य होंगे। अथॉरिटी चाहे तो किसी विषय पर एक्सपर्ट्स की सलाह भी ले सकेगी। अथॉरिटी के चेयरमैन का कार्यकाल पांच साल का होगा।

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चेयरमेन और सदस्यों का चयन करने के लिए सर्च कमिटी होगी और इस कमिटी में कैबिनेट सेक्रेटरी के अलावा रेलवे बोर्ड के चेयरमैन, कार्मिक मंत्रालय के सचिव ओर किसी अन्य रेगुलेटरी अथॉरिटी का एक चेयरमैन भी होगा।

अथॉरिटी के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए 50 करोड़ रुपये का फंड मंजूर किया गया है। रेलवे के अफसरों का कहना है कि टारगेट रखा गया है कि एक अगस्त से यह अथारिटी काम करना शुरू कर दे।

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