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दलाई लामा का अरुणाचल दौरा: भारत-चीन में तनातनी बढ़ी, भारत को दी धमकी, कहा- उठाएगा 'जरूरी कदम'

भारत में धर्मगुरु दलाई लामा के आने देने को लेकर चीन काफी नाराज़ है।

Updated on: 06 Apr 2017, 08:33 AM

नई दिल्ली:

भारत और चीन के बीच तिब्बत के 14वें धार्मिक गुरु दलाई लामा के अरुणाचल प्रदेश दौरे को लेकर तनातनी बढ़ गई है। बदलते घटनाक्रमों के बीच दलाई लामा ने उनके अरुणाचल दौरे पर चीन के तीखे बयानों पर मीडिया में चल रही ख़बरों को बक़वास करार देते हुए कहा कि भारत ने कभी भी राजनयिक लाभ उठाने का लिए उनका उपयोग नहीं किया। 

इस दौरे से नाराज़ चीन ने भारत के राजदूत विजय गोखले को समन कर कड़ा विरोध भी दर्ज किया है। चीन के विदेश विभाग ने कहा है कि भारत ने दलाई लामा को अरुणाचल जाने की इजाज़त देकर दोनों देशों के संबंधों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है।

चीनी विदेश मंत्रालय ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा है कि चीन अपनी सीमाओं की संप्रभुता की रक्षा के लिये अब 'ज़रूरी कदम' उठाएगा।  साथ ही उसने कहा है कि भारत का ये कदम उकसाने वाला है। 

बता दें कि भारत में धर्मगुरु दलाई लामा के आने देने को लेकर चीन काफी नाराज़ है। चीनी मीडिया ने चेतावनी के अंदाज में कहा कि नई दिल्ली ने तिब्बती धर्मगुरु को एक संवेदनशील क्षेत्र में आमंत्रित कर भारत-चीन संबंधों को गंभीर क्षति पहुंचाई है।

लामा ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'ऐसा मत कहिए की पूरा चीन नाराज़ है। वहां बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं जो भारत से बहुत प्यार करते हैं। ये तो कुछ संकीर्ण मानसिकता के लोग हैं जो इस तरह की बात करते हैं। ये वही लोग हैं जो मुझे शैतान के तौर पर देखते हैं। पर मैं शैतान नहीं हूं।'

इसके साथ ही लामा ने चीन को संबोधित करते हुए कहा, 'चीन तिब्बत को अर्थपूर्ण स्वायत्ता दे। ये चीन और तिब्बत दोनों के लिए अच्छा होगा।'

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उन्होंने कहा, चीन में तिब्बत के बौद्धधर्म मानने वाले कई सारे धर्मावलंबी मौजूद हैं। कई चीनी बुद्धिजीवी भी हमारी मांगों का समर्थन करते हैं।
लामा ने कहा कि हम चीन से जुड़े रहना चाहते हैं, लेकिन आज़ादी के साथ। चीन और तिब्बत के बीच हमेशा सौहाद्रपूर्ण स्थिती बनी रहे ये हम दोनों के लिए ज़रूरी है। हम उनसे बेहतर मदद की उम्मीद करते हैं।

दरअसल चीन के सरकारी समाचार-पत्र 'ग्लोबल टाइम्स' ने आरोप लगाया है कि भारत खुले तौर पर दलाई लामा का कूटनीतिक इस्तेमाल कर लाभ उठाना चाहता है।

समाचार-पत्र का कहना है कि चूंकि चीन ने परमाणु अपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता का विरोध किया, इसलिए भारत चीन के लिए तिब्बत कार्ड खेलने की कोशिश कर रहा है।

बता दें कि दलाई लामा के दौरे को लेकर चीन ने बुधवार को बीजिंग में भारतीय राजदूत विजय गोखले को बुलाकर अपना विरोध दर्ज कराया था।

जिसके बाद भारत ने चीन से कहा कि चीन भारत के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप नहीं करे। वह 'एक चीन' नीति का सम्मान करता है और चीन से भी इसी तरह की उम्मीद रखता है। गृह राज्यमंत्री किरण रिजीजू ने कहा कि उनकी अरुणाचल यात्रा पूरी तरह धार्मिक है और इसका कोई राजनीतिक तात्पर्य नहीं निकाला जाना चाहिए।

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गौरतलब है कि तिब्बत से निर्वासित आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा चार दशकों से हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रहते हैं। तिब्बत के 81 वर्षीय आध्यात्मिक गुरु अरुणाचल प्रदेश में अपनी नौ दिन की यात्रा के तहत पश्चिमी कामेंग जिले के बोमडिला पहुंचे थे।

चीन अरुणाचल के तवांग को अपना हिस्सा मानता है जिसको लेकर भारत के साथ लंबे समय से तनाव चल रहा है।

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