राहुल गांधी बोले- चीन ने जमीन हड़पी, सच जानते हैं भागवत, मगर सामना करने से डरते हैं

आरएसएस प्रमुख के बयान पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कटाक्ष किया है. उन्होंने भागवत के साथ साथ मोदी सरकार पर भी हमला बोला है.

आरएसएस प्रमुख के बयान पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कटाक्ष किया है. उन्होंने भागवत के साथ साथ मोदी सरकार पर भी हमला बोला है.

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Dalchand Kumar
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राहुल गांधी( Photo Credit : फ़ाइल फोटो)

विजयदशमी के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने चीन को लेकर कड़ा संदेश दिया है. मोहन भागवत ने कहा है कि भारत की प्रतिक्रिया से पहली बार चीन सहम और ठिठक गया. उसकी गलतफहमी दूर हो गई. हालांकि आरएसएस प्रमुख के इस बयान पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कटाक्ष किया है. उन्होंने भागवत के साथ साथ मोदी सरकार पर भी हमला बोला है.

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है, 'अंदर ही अंदर मोहन भागवत सच जानते हैं. वह सिर्फ इसका सामना करने से डरते है. सच्चाई यह है कि चीन ने हमारी जमीन ले ली है और भारत सरकार और आरएसएस ने इसकी अनुमति दे दी है.'

इससे पहले मोहन भागवत आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वार्षिक विजयदशमी रैली को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, 'चीन ने सामरिक बल के गर्व में हमारी सीमाओं का अतिक्रमण करने की कोशिश की. भारत ही नहीं उसने ताइवान, वियतनाम, अमेरिका और जापान के साथ भी झगड़ा मोल लिया. इस बार भारत ने जो प्रतिक्रिया दी, उसके कारण वो सहम गया, उसे धक्का मिला. क्योंकि भारत तन कर खड़ा हो गया. सेना ने वीरता का परिचय दिया, नागरिकों ने देशभक्ति का परिचय दिया. सामरिक और आर्थिक दोनों कारणों से वह ठिठक जाए, इतना धक्का तो उसे मिला. उसके चलते अब दुनिया के दूसरे देशों ने भी चीन को डांटना शुरू किया.'

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हालांकि मोहन भागवत ने चीन से टकराव के बाद भारत को और अधिक सतर्क रहने की जरूरत बताई. मोहन भागवत ने कहा, 'हमको अधिक सजग रहने की जरूरत है, क्योंकि जो नहीं सोचा था उसने (चीन), ऐसी परिस्थिति खड़ी हो गई. इस प्रतिक्रिया में वह (चीन) क्या करेगा, नहीं पता है. इसलिए इसका उपाय क्या है. सतत सावधानी, सजगता और तैयारी.' उन्होंने कहा, 'चीनी घुसपैठ पर भारत की प्रतिक्रिया से चीन सकते में है. चीन की अपेक्षा भारत को अपनी शक्ति एवं दायरा बढ़ाने की आवश्यकता है.'

मोहन भागवत ने चीन को रोकने के लिए भारत को सामरिक और आर्थिक के साथ अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में उससे शक्तिशाली बनने पर जोर दिया. उन्होंने पड़ोसी देशों के साथ संबंध और अधिक दुरुस्त करने पर जोर दिया. भागवत ने कहा, 'सरकार को नेपाल, श्रीलंका जैसे और अन्य पड़ोसी देशों के साथ चीन के खिलाफ गठबंधन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत को चीन की तुलना में शक्ति और दायरे में बड़ा होने की आवश्यकता है.

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