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राहुल गांधी ने नहीं कहा चिट्ठी लिखने वालों को बीजेपी का एजेंट : रणदीप सुरजेवाला

राहुल गांधी ने पत्र लिखे जाने की टाइमिग को लेकर सवाल जरूर उठाए लेकिन उन्होंने पत्र लिखने वालों को भाजपा का एजेंट नहीं कहा था.

Updated on: 24 Aug 2020, 06:00 PM

नई दिल्‍ली:

सोमवार को हुई कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने पिछले दिनों पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को पत्र लिखने वालों को भाजपा का एजेंट नही कहा. पार्टी की ओर से जारी बयान में ये कहा गया है. राहुल गांधी ने पत्र लिखे जाने की टाइमिग को लेकर सवाल जरूर उठाए लेकिन उन्होंने पत्र लिखने वालों को भाजपा का एजेंट नहीं कहा था. हरियाणा कांग्रेस की नेता कुमारी शैलजा ने पत्र लिखने वाले 'असंतुष्टों' पर हमला बोलते हुए कहा कि वो भाजपा के एजेंट हैं. पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि राहुल गांधी ने असंतुष्टों के लिए भाजपा से सांठगांठ होने की कोई बात नहीं की.

मीडिया रिपोर्ट पर ध्यान न दें. हां हम सबको एक साथ इस सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़नी है, सूरजेवाला ने कहा. आपको बता दें कि सोनिया गांधी को लिखे इस पत्र में नेतृत्व परिवर्तन और सुधार की मांग की गई थी. राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने साफ तौर पर कहा कि वो पार्टी छोड़ने के लिए तैयार हैं अगर भाजपा से सांठगांठ की बात साबित हो जाय. आजाद ने मुश्किल वक्त में पार्टी का नेतृत्व करने के लिए सोनिया गांधी की तारीफ की. पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिबल ने ट्वीटर पर लिखा, राजस्थान हाई कोर्ट में पार्टी का बचाव करने में हम सफल हुए. मणिपुर में भी पार्टी को डिफेंड किया. पिछले तीस सालों में भाजपा के समर्थन में मैने कोई बयान नहीं दिया. फिर हम कैसे भाजपा से सांठगांठ कर रहे हैं. रणदीप सुरजेवाला का बयान सिबल के इसी ट्वीट को लेकर था जिसमें उन्होंने भाजपा से सांठगांठ के आरोप का जवाब दिया था.

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पत्र की टाइमिंग को लेकर राहुल गांधी ने उठाए थे सवाल
राहुल गांधी ने कार्य समिति की बैठक में पत्र लिखे जाने की टाइमिग को लेकर सवाल उठाए और कहा कि ऐसे समय में जब सोनिया गांधी बीमार थी तब चिट्ठी लिखने की क्या जरूरत थी. क्या जरूरत थी पत्र लिखने की. ऐसे समय में जब सोनिया गांधी बीमार थी और राजस्थान में राजनीतिक संकट चल रहा था, राहुल गांधी ने कहा. आपको बता दें कि सोनिया गांधी को 30 जुलाई को रूटीन चेक-अप के लिए सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जबकि राजस्थान का सियासी संकट 11 जुलाई को शुरू हुआ था जब सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया था.

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सोनिया गांधी ने की थी इस्तीफे की पेशकश
इससे पहले कार्य समिति की बैठक में सोनिया गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश की लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिह ने उनसे पद पर बने रहने का आग्रह किया. सोनिया गांधी ने कहा कि नए अध्यक्ष के चुनाव को लेकर प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिए. पार्टी के महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने सोनिया का ये संदेश पढ़ा. मनमोहन सिंह और ए के अंटोनी ने पार्टी में सुधार और नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर पिछले दिनों लिखे गए पत्र पर नाराजगी जाहिर की. हम आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी में उस वक्त एक नया सियासी तूफान खड़ा हो गया जब 20 कांग्रेस नेताओं का लिखा एक पत्र सामने आया जिसमें फुल टाइम अध्यक्ष और कांग्रेस में सुधार लाने की मांग की गई थी. रविवार को कांग्रेस के चार मुख्यमंत्रियों ने भी पत्र लिख कर गांधी परिवार पर भरोसा जताया था और परिवार से ही किसी व्यक्ति के अध्यक्ष बनने की मांग की थी.