logo-image

राफेल डील पर राहुल गांधी को घेरने की तैयारी में बीजेपी, 70 जगहों पर करेगी प्रेस कॉफ्रेंस

राफेल डील को लेकर कांग्रेस बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी ) पर हमलावर हो रही है. इसी बीच बीजेपी ने घोषणा की है कि सोमवार यानी कि 17 दिसम्बर को उनकी पार्टी पूरे देश में 70 अलग-अलग जगहों पर प्रेस कॉफ्रेंस कर 'कांग्रेस को एक्सपोज' करेगी.

Updated on: 16 Dec 2018, 07:41 AM

नई दिल्ली:

राफेल डील को लेकर कांग्रेस बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी ) पर हमलावर हो रही है. इसी बीच बीजेपी ने घोषणा की है कि सोमवार यानी कि 17 दिसम्बर को उनकी पार्टी पूरे देश में 70 अलग-अलग जगहों पर प्रेस कॉफ्रेंस कर 'कांग्रेस को एक्सपोज' करेगी. इस बारे में पार्टी ने जानकारी साझा करते हुए कहा, 'भारतीय जनता पार्टी सोमवार को देश के 70 स्थानों पर प्रेस कॉफ्रेंस करेगी. जिससे कि देश के सुरक्षा मामलों को लेकर केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ साज़िश रचने वाली कांग्रेस को 'एक्सपोज़' किया जा सके.'

पार्टी के मीडिया प्रमुख और राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी ने कहा, 'राफेल सौदे पर उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट तरीके से सच्चाई बयां करने के बाद बीजेपी केंद्र सरकार के खिलाफ कांग्रेस की साजिश और राष्ट्रीय आरोप लगा रहे लोगों के झूठ पर लगाम लगाएगा.'

सूत्रों ने कहा कि बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, देवेंद्र फड़णवीस, विजय रूपाणी, सर्वानंद सोनोवाल क्रमश: गुवाहाटी, अहमदाबाद, जयपुर और अगरतला में मीडिया को संबोधित करेंगे। केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर, जे पी नड्डा, स्मृति ईरानी, सुरेश प्रभु, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पार्टी संगठन के नेता सोमवार को विभिन्न स्थानों पर मीडिया से बातचीत करेंगे।

वहीं बीजेपी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने आरोप लगाया कि 'राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने की कोशिश कर रहे हैं। यह घोर निंदनीय है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की अदालतों पर वह भरोसा कर सकते हैं लेकिन हमारे सुप्रीम कोर्ट पर उन्हें भरोसा नहीं है.' राव ने आगे कहा कि इमरान खान और हाफिज सईद पर उन्हें (कांग्रेस अध्यक्ष) विश्वास है लेकिन वह IAF और आर्मी पर विश्वास नहीं करेंगे.

हालांकि शनिवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक याचिका दायर कर राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर शीर्ष न्यायालय के फैसले में उस पैराग्राफ में संशोधन की मांग की है जिसमें नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) रिपोर्ट और संसद की लोक लेखा समिति (PAC) के बारे में संदर्भ है.

एक विधि अधिकारी ने बताया कि अदालत को अवगत कराने के लिए याचिका दायर की गयी है कि CAG और PAC से जुड़े मुहरबंद दस्तावेज के मुद्दे पर अलग-अलग व्याख्या की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को अपने फैसले में कहा था कि CAG के साथ कीमत के ब्यौरे को साझा किया गया और CAG की रिपोर्ट पर PAC ने गौर किया.

ज़ाहिर है कि शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीदी के मामले में नरेन्द्र मोदी सरकार को शुक्रवार को क्लीन चिट देते हुए सौदे में कथित अनियमितताओं के लिए सीबीआई को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज किया.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने कहा कि अरबों डॉलर कीमत के राफेल सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है.

ऑफसेट साझेदार के मामले पर तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि किसी भी निजी फर्म को व्यावसायिक लाभ पहुंचाने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है. शीर्ष अदालत ने कहा कि लड़ाकू विमानों की जरूरत है और देश इन विमानों के बगैर नहीं रह सकता है.

तीन सदस्यीय पीठ की तरफ से फैसला पढ़ते हुए प्रधान न्यायाधीश गोगोई ने कहा कि लड़ाकू विमानों की खरीद की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है. शीर्ष अदालत ने कहा कि कीमतों के तुलनात्मक विवरण पर फैसला लेना अदालत का काम नहीं है.

और पढ़ें- जनरल बिपिन रावत ने सेना अधिकारियों को दी सलाह, हर परिस्थिति के लिए खुद को रखे फिट

राफेल डील को लेकर राहुल गांधी का बीजेपी पर हमला

जिसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बीजेपी के हमले पर जवाबी हमला बोलते हुए शुक्रवार को कहा कि सरकार राफेल सौदे को लेकर झूठ बोल रही है और उन्होंने उस बयान पर सवाल उठाए, जिसमें कहा गया था कि संसद की एक समिति ने राफेल सौदे के मूल्य निर्धारण का परीक्षण किया था. राहुल ने कहा कि इस तरह की कोई बैठक नहीं हुई थी.

बीजेपी नेताओं की तरफ से राहुल से मांफी की मांग किए जाने के बाद गांधी ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री पर आक्रामक हमला बोला और इस मामले की जेपीसी जांच की मांग दोहराई. उन्होंने कहा कि जेपीसी से सरकार का झूठ बेनकाब हो जाएगा.

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है कि एक संसदीय समिति ने लड़ाकू विमान के मूल्य निर्धारण की जांच की थी. राहुल ने कहा कि इस तरह की कोई बैठक हुई ही नहीं.

राहुल ने कहा, "आज सर्वोच्च न्यायालय ने एक फैसला दिया और मैं उसकी तीन पंक्तियां पढ़ना चाहता हूं. 'मूल्य के विवरण नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) को दिए गए और सीएजी की रिपोर्ट का लोक लेखा समिति (पीएसी) ने परीक्षण किया'. यह फैसले का आधार है."

पीएसी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे संवाददाता सम्मेलन में मौजूद थे, और उन्होंने कहा कि इस तरह की कोई रिपोर्ट समिति के सामने नहीं आई और सीएजी को भी इसके बारे में पता नहीं है.

और पढ़ें- राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में सुधार चाहती है केंद्र सरकार, दायर किया हलफनामा

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कही थी यह बात

पीठ ने कहा कि खरीदी, कीमत और ऑफसेट साझेदार के मामले में हस्तक्षेप के लिए उसके पास कोई ठोस साक्ष्य नहीं है. न्यायालय ने रेखांकित किया कि भारतीय वायुसेना को चौथी और पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की जरूरत है.

पीठ ने कहा कि दोनों पक्षों ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे की खरीद से जुड़े सभी पहलुओं पर स्पष्टीकरण दिया है. न्यायालय ने कहा कि सितंबर 2016 में राफेल सौदे को जब अंतिम रूप दिया जा रहा था उस वक्त किसी ने इसकी खरीद पर सवाल नहीं उठाया.

उन्होंने कहा कि राफेल सौदे पर सवाल उस वक्त उठे जब फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलांद ने बयान दिया, यह न्यायिक समीक्षा का आधार नहीं हो सकता है. न्यायालय ने कहा कि वह सरकार को 126 या 36 विमान खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है.

अदालत की निगरानी में राफेल सौदे की जांच कराने की मांग करने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने यह फैसला सुनाया. शीर्ष अदालत ने इन याचिकाओं पर 14 नवंबर को सुनवाई पूरी की थी.

राफेल लड़ाकू विमान के सौदे में अनियमित्ताओं का आरोप लगाते हुये इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का सीबीआई को निर्देश देने और न्यायालय की निगरानी में इसकी जांच के अनुरोध के साथ ये याचिकायें दायर की गयी थीं.

और पढ़ें- पीएम मोदी का कांग्रेस पर हमला, राष्ट्रीय सुरक्षा को समझा पंचिंग बैग, सर्जिकल स्ट्राइक का उड़ाया मज़ाक

याचिका दायर करने वालों में बीजेपी के दो नेता और पूर्व मंत्री यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी, सामाजिक कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता प्रशांत भूषण, अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा और विनीत ढांडा तथा आप पार्टी के नेता संजय सिंह शामिल थे.