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मोल्दो में 12 घंटे चली भारत-चीन वार्ता, गोग्रा-डेपसांग में घटेगा तनाव

चीन की तरफ मोल्दो सीमा क्षेत्र में शुरू हुई जो रात 9:45 बजे तक चली. इसमें चर्चा का मुख्य बिंदु पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स, गोग्रा और डेपसांग जैसे क्षेत्रों से भी सैन्य वापसी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का रहा.

Updated on: 21 Feb 2021, 06:51 AM

highlights

  • मोल्दो सीमा पर सुबह 10 बजे शुरू हुई बातचीत 12 घंटे से अधिक चली
  • हॉट स्प्रिंग्स, गोग्रा और डेपसांग से सैन्य वापसी की प्रक्रिया पर रहा जोर
  • दोनों पक्षों ने पैंगोंग झील के छोर से अपने सैनिकों को वापस बुलाया

नई दिल्ली:

गलवान घाटी (Galwan Valley) में बीते साल हिंसक संघर्ष के बाद जारी तनाव के बीच भारत और चीन (India-China) के बीच 10वें दौर की सैन्य वार्ता 12 घंटे से ज्‍यादा समय तक चली. बैठक सुबह 10 बजे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन की तरफ मोल्दो सीमा क्षेत्र में शुरू हुई जो रात 9:45 बजे तक चली. इसमें चर्चा का मुख्य बिंदु पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स, गोग्रा और डेपसांग जैसे क्षेत्रों से भी सैन्य वापसी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का रहा. पैंगोंग झील (Pangong Tso) के उत्तरी एवं दक्षिणी छोर से भारत और चीन के सैनिकों, अस्त्र-शस्त्रों तथा अन्य सैन्य उपकरणों को हटाए जाने की प्रक्रिया पूरी होने के दो दिन बाद कोर कमांडर स्तर की 10वें दौर की यह वार्ता हुई.

अब यहां से हटेगी सेना
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारत इस दौरान क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और डेपसांग जैसे क्षेत्रों से भी तेज गति से सैन्य वापसी पर जोर देगा. दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध को नौ महीने हो गए हैं. समझौते के बाद दोनों पक्षों ने पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी छोर क्षेत्रों से अपने-अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है. साथ ही अस्त्र-शस्त्रों, अन्य सैन्य उपकरणों, बंकरों एवं अन्य निर्माण को भी हटा लिया है. सूत्रों ने कहा कि 10वें दौर की वार्ता में चर्चा का मुख्य बिंदु अन्य इलाकों से भी वापसी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का है. दोनों पक्ष इसके लिए तौर-तरीकों पर चर्चा करने के लिए वार्ता कर रहे हैं.

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राजनाथ सिंह ने दिया था यह बयान
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 11 फरवरी को संसद में एक बयान में कहा था कि भारत और चीन के बीच पैंगोंग झील क्षेत्र से सैनिकों को चरणबद्ध तरीके से हटाने का समझौता हो गया है. उन्होंने कहा था कि समझौते के अनुरूप चीन अपनी सेना की टुकड़ियों को हटाकर पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे में फिंगर आठ क्षेत्र की पूर्व दिशा की ओर ले जाएगा. उन्होंने कहा था कि भारत अपनी सैन्य टुकड़ियों को फिंगर तीन के पास अपने स्थायी शिविर धन सिंह थापा पोस्ट पर रखेगा. सिंह ने कहा था कि इसी तरह का कदम पैंगोंग झील के दक्षिणी तट क्षेत्र में उठाया जाएगा. रक्षा मंत्री ने कहा था कि इस पर सहमति बनी है कि पैंगोंग झील क्षेत्र में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के 48 घंटे के भीतर दोनों पक्षों के वरिष्ठ कमांडरों की अगली बैठक अन्य सभी मुद्दों को हल के लिए बुलाई जाएगी.

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10 फरवरी को शुरू हुई थी सैन्य वापसी की प्रक्रिया
पैंगोंग झील क्षेत्र से सैन्य वापसी की प्रक्रिया 10 फरवरी को शुरू हुई थी जो गत गुरुवार को पूरी हो गई. दोनों देशों के बीच शनिवार को हुई दसवें दौर की वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने किया जो लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर हैं. वहीं, चीनी पक्ष का नेतृत्व मेजर जनरल लिउ लिन ने किया जो चीनी सेना के दक्षिणी शिनजियांग सैन्य जिले के कमांडर हैं. दोनों देशों के बीच पिछले साल पांच मई को पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक संघर्ष के बाद सैन्य गतिरोध शुरू हुआ था और फिर हर रोज बदलते घटनाक्रम में दोनों पक्षों ने भारी संख्या में सैनिकों तथा घातक अस्त्र-शस्त्रों की तैनाती कर दी थी. 

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भारत का सामरिक लिहाज से मजबूत चोटियों पर कब्जा
गतिरोध के लगभग पांच महीने बाद भारतीय सैनिकों ने कार्रवाई करते हुए पैंगोंग झील के दक्षिणी छोर क्षेत्र में मुखपारी, रेचिल ला और मगर हिल क्षेत्रों में सामरिक महत्व की कई पर्वत चोटियों पर तैनाती कर दी थी. नौवें दौर की सैन्य वार्ता में भारत ने विशेषकर पैंगोंग झील के उत्तरी क्षेत्र में फिंगर 4 से फिंगर 8 तक के क्षेत्रों से चीनी सैनिकों की वापसी पर जोर दिया था. वहीं, चीन ने पैंगोंग झील के दक्षिणी छोर पर सामरिक महत्व की चोटियों से भारतीय सैनिकों की वापसी पर जोर दिया था.