राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष की फिर होगी बैठक, ममता नहीं होंगी शामिल
पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विपक्ष को एकजुट कर राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए को टक्कर देने की कोशिश में लगी हैं, लेकिन जिस विपक्ष को एकजुट कर ममता बनर्जी सत्ता पक्ष के उम्मीदवार को पटखनी देना चाहती.
highlights
- दूसरी बैठक को ममता बनर्जी के बजाए शरद पवार ने बुलाई
- शरद पवार की बैठक में ममता बनर्जी नही होंगी शामिल
नई दिल्ली:
पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विपक्ष को एकजुट कर राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए को टक्कर देने की कोशिश में लगी हैं, लेकिन जिस विपक्ष को एकजुट कर ममता बनर्जी सत्ता पक्ष के उम्मीदवार को पटखनी देना चाहती, उस विपक्ष में नेता को लेकर ही सहमति नहीं दिखाई दे रही है. 15 जून को ममता बनर्जी ने दिल्ली में विपक्षी दलों की बैठक बुलाई और 22 दलों को आमंत्रण भेजा था, जिनमें से 17 राजनीतिक दल शामिल हुए और खुद ममता बनर्जी ने बैठक में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए शरद पवार के नाम का प्रस्ताव किया. हालांकि, शरद पवार ने उम्मीदवार बनने से मना कर दिया.
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15 जून को हुई पहली बैठक में तय हुआ था कि अगली बैठक में उम्मीदवार के नाम पर सहमति बनाई जाएगी. अब दूसरी बैठक मंगलवार को होगी. अब शरद पवार ने बैठक को बुलाई है. ये बैठक पार्लियामेंट एनेक्सी में होगी, लेकिन मिली जानकारी के मुताबिक अब शरद पवार की बैठक में ममता बनर्जी हिस्सा लेने नहीं आएंगी. उनकी जगह उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी विपक्ष की बैठक में तृणमूल कांग्रेस का नेतृत्व करेंगे.
राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष का उम्मीदवार कौन होगा? उससे पहले विपक्ष के नेता बनने की ही दौड़ साफ-साफ दिखाई दे रही. बहरहाल, शरद पवार ने बैठक बुलाई है और विपक्ष के तमाम दल शरद पवार के नाम पर ही दांव खेलना चाहते हैं तो ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इसकी वजह क्या है? और सबकी निगाह इस बात पर भी टिकी है कि शरद पवार की बुलाई बैठक में कितने दल और कौन-कौन से नेता शामिल होते हैं, क्योंकि कांग्रेस ने संकेतों में ही सही पहले ही साफ कर दिया है कि वो किसी दूसरे को विपक्ष का नेता मनाने को तैयार नहीं हैं.
ऐसे में सवाल अभी भी खड़ा है कि शरद पवार के नाम को ही ममता बनर्जी ने क्यों आगे किया और तमाम विपक्षी दल शरद पवार को ही उम्मीदवार बनाए जाने के पक्ष में क्यों? इसमें कोई संदेह नहीं है कि शरद पवार राजनीति के एक मझे हुए खिलाड़ी हैं और पवार के बारे में राजनीतिक गलियारों में कहा जाता है कि जिस बात के लिए शरद पवार खुलकर मना कर दें तो समझो आगे वह वही करने वाले हैं... और पवार की सियासी चाल समझना आसान भी है.
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शायद यही वजह है कि विपक्ष उनके नाम पर ही दाव खेलना चाहता है. और शरद पवार एक ऐसे नेता भी हैं ,जिनका सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ अच्छे संबंध है...विपक्ष के ज्यादातर नेता इस बात को जानते हैं कि पवार विपक्ष के सभी दलों को एक साथ लाने में कामयाब हो सकते हैं. सूत्रों की मानें तो जिस बैठक को ममता बनर्जी ने बुलाया था उसकी संरचना भी पवार ने ही रची थी.
अब सवाल उठता है कि फिर पवार क्यों नहीं हो रहे हैं राष्ट्रपति पद के लिए तैयार? शरद पवार इस बात को बखूबी जानते हैं कि आंकड़े उनके फेवर में नहीं है. अगर वो इस पद के लिए हामी भरते हैं तो उनकी हार तय है, इसलिए वो इस पद को स्वीकार नहीं कर रहे हैं. लिहाजा, अब कल विपक्ष की होने वाली बैठक पर इस बात को लेकर सबकी निगाहें जमी हुई हैं कि किसके नाम पर विपक्षी दल तैयार होते हैं और जिस कवायद में शरद पवार लगे हैं क्या उसमें कामयाब होते हैं?
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