शिवसेना की ख्वाहिश, राष्ट्रपति भवन में हो हिंदुत्व का 'रबर स्टांप'
बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी शिवसेना ने कहा कि देश को आज ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो भविष्य में इसे हिंदू राष्ट्र का आकार दे सके।
highlights
- शिवसेना ने कहा कि देश को ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो भविष्य में इसे हिंदू राष्ट्र का आकार दे सके।
- इसके साथ ही जो राम मंदिर और अनुच्छेद 370 जैसे विषयों का स्थायी हल निकाल सके।
- राष्ट्रपति मुखर्जी की प्रशंसा करते हुए शिवसेना ने लिखा है कि इन्होंन पद की गरिमा को बनाये रखा है।
नई दिल्ली:
देश के अगले राष्ट्रपति के लिए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के नाम की लगातार वकालत करने वाली शिवसेना पार्टी ने शुक्रवार को कहा कि इस बार राष्ट्रपति भवन में हिंदुत्व का 'रबर स्टांप' होना चाहिए।
बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी शिवसेना ने कहा कि देश को आज ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो भविष्य में इसे हिंदू राष्ट्र का आकार दे सके। इसके साथ ही जो राम मंदिर और अनुच्छेद 370 जैसे विषयों का स्थायी हल निकाल सके।
शिवसेना के मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में लिखा गया है, अभी तक धर्मनिरपेक्ष सरकारों के रबर स्टांप ही राष्ट्रपति भवन में रहे हैं। अब राम मंदिर, समान नागरिक संहिता और संविधान के अनुच्छेद 370 जैसे विषयों पर स्थायी समाधान निकालने के लिए राष्ट्रपति पद पर हिंदुत्व के किसी 'रबर स्टांप' का बैठना ज़रुरी है।
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शिवसेना ने लगातार इस बात को दोहराया है कि देश के सर्वोच्च पद के लिए उसकी पसंद संघ प्रमुख भागवत हैं। वहीं 66 साल के भागवत पहले ही कह चुके हैं कि उन्हें राष्ट्रपति पद में कोई रुचि नहीं है।
17 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव होंगे। भाजपा को उम्मीद है कि अगर आवश्यकता हुई तो सहयोगी शिवसेना से 18 सांसदों और 63 विधायकों का समर्थन उसे ही मिलेगा। हालांकि बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना पिछले दो राष्ट्रपति चुनावों में बीजेपी से अलग रास्ता अपनाती रही है।
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संपादकीय में लिखा है कि गणना के अनुसार, राष्ट्रपति पद के लिए राजग के 23 घटक दलों के 48 प्रतिशत वोट हैं, जबकि यूपीए के 17 घटक दलों के 26 प्रतिशत वोट हैं।
पिछले राष्ट्रपति चुनाव (2012) में शिवसेना ने यूपीए के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया था। जबकि बीजेपी ने पीए संगमा का समर्थन किया था।
वहीं साल 2007 के राष्ट्रपति चुनाव में भी शिवसेना ने एनडीए के उम्मीदवार भैंरो सिंह शेखावत के बजाय यूपीए की प्रतिभा पाटिल को वोट दिया था।
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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की प्रशंसा करते हुए शिवसेना ने लिखा है कि उनके और डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जैसे लोगों ने पद की गरिमा को बनाये रखा है।
संपादकीय के मुताबिक, प्रणब मुखर्जी कांग्रेसी विचारधारा से हैं लेकिन वह सक्षम और मजबूत राष्ट्रपति रहे हैं। विभिन्न क्षेत्रों में उनका व्यापक अनुभव देश के लिए लाभकारी सिद्ध हुआ है।
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