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बैकफुट पर आए प्रशांत भूषण, सुप्रीम कोर्ट से वापस ली अर्जी

कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट की धारा 2(c)(i) को चुनौती देने वाली साझा अर्जी वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan), पत्रकार एन राम और अरुण शौरी ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से वापस ली.

Updated on: 13 Aug 2020, 01:27 PM

नई दिल्ली:

कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट की धारा 2(c)(i)  को चुनौती देने वाली साझा अर्जी वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan), पत्रकार एन राम और अरुण शौरी ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से वापस ली. अर्जी में कहा गया था कि कोर्ट के सम्मान को गिराने वाला बयान देने के लिए लगने वाली यह धारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है. गौरतलब है कि प्रशांत भूषण के खिलाफ 11 साल पुराने अवमानना के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उनका स्पष्टीकरण नामंजूर कर दिया है. अब उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई आगे चलेगी.

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2009 में एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने 16 में से आधे पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) को भ्रष्ट कहा था. कोर्ट द्वारा जवाब तलब करने के बाद अपनी सफाई में उन्होंने कहा था कि मेरा मतलब आर्थिक भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि जजों द्वारा कर्तव्य को पूरी तरह न निभाना था. कोर्ट इस मामले की 17 अगस्त से विस्तृत सुनवाई करेगा. गौरतलब है कि प्रशांत भूषण पर कोर्ट का अवमानना का एक और मामला चल रहा है. इस मामले में उन्होंने वर्तमान सीजेआई के खिलाफ ही ट्विटर पर पोस्ट किए थे. इस मामले का सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया. प्रशांत भूषण ने इसे स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन बताया है. प्रशांत भूषण ने कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट की धारा 2 (सी) (आई) को चुनौती दी है. उनके साथ वरिष्ठ पत्रकार एन राम और अरुण शौरी भी याचिकाकर्ता है. अर्जी में कहा गया है कि कोर्ट के सम्मान को गिराने वाले बयान पर लगने वाली ये धारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन है.

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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के सात पूर्व न्यायाधीशों ने 131 अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं, कानूनविदों, वकीलों के साथ एक बयान जारी कर प्रशांत भूषण का समर्थन किया है. जस्टिस रुमा पाल, जीएस सिंघवी, एके गांगुली, गोपाला गौडा, आफताब आलम, जे चेलमेश्वर और विक्रमजीत सेन ने प्रशांत भूषण को समर्थन दिया है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका पर टिप्पणी करने वाले भूषण के ट्वीट पर प्रशांत भूषण के खिलाफ न्यायालय की अवमानना का स्वत: संज्ञान लिया और अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से सुनवाई में मदद करने को कहा है. इस मामले में ट्विटर को भी पार्टी बनाया गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्वीट में दिए गए बयान से पहली नजर में अदालत की अवमानना का मामला बनता है. प्रशांत भूषण ने जूडिशियरी के खिलाफ दो आपत्तिजनक ट्वीट किए थे जो 27 जून और 29 जून को किए गए थे.