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जंग की आहट से पहले ही गलवान हिंसक झड़प में ही हार गया चीन, जानें क्यों

15 और 16 जून की रात को भारतीय जवानों ने गलवान घाटी में जो कारनामान कर दिखाया उससे यह कहानी अब कुछ उलट ही दिखाई देने लगी है.

Updated on: 22 Jun 2020, 08:19 PM

नई दिल्‍ली:

भारत और चीन के बीच जब भी सीमारेखा को लेकर तनाव होता है तब 1962 की जंग याद दिलाई जाती है. चीन और भारत के रक्षा बजट के असंतुलन और सैन्य बलों की संख्या की बातें उठाई जाती हैं आपको बता दें कि ऐसी बातों का जिक्र करके भारत पर एक मनोवैज्ञानिक दबाव बनाए जाने का प्रयास किया जाता है. 15 और 16 जून की रात को भारतीय जवानों ने गलवान घाटी में जो कारनामान कर दिखाया उससे यह कहानी अब कुछ उलट ही दिखाई देने लगी है. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को खदेड़ दिया हो इसके पहले भारतीय जवानों ने यह कारनामा कई बार किया है.

गलवान घाटी में बिना एक भी गोली चलाए भारतीय जवानों ने चीनी सेना के जवानों पर ऐसा कहर बरपाया है कि उनके दिलों में आने वाली कई पीढ़ियों तक भारतीय जवानों की बहादुरी की छाप उतर गई होगी. आपको बता दें कि गलवान में महज 55 भारतीय जवानों ने 300 से ज्यादा चीनी सैनिकों को पीट-पीट कर सीमारेखा के पार तक खदेड़ दिया था. इस खूनी संघर्ष में कई चीनी जवानों की भारतीय जवानों ने इतनी बुरी तरह पिटाई की है कि उनकी गर्दन और रीढ़ की हड्डियां टूट गई हैं और जीवनभर के लिए अपाहिज हो गए हैं. इस हिंसक झड़प में भारत के 20 बहादुर जवान शहीद हो गए लेकिन उन्होंने दुश्मनों को दोगुने से ज्यादा की क्षति कर दी, भारतीय जवानों ने चीनी सेना के 43 जवानों को निपटा दिया.

गलवान में भारतीय जवानों का दबदबा, दहशत में चीनी सैनिक
बीते 15 और 16 जून की रात गलवान घाटी में हुई चीनी और भारतीय सेना के बीच हिंसक झड़प के बाद हाल ये था कि चीनी सैनिकों की लाशें और घायल शरीर खुले में बिखरे पड़े हुए दिखाई दे रहे थे. हालांकि बाद में भारतीय जवानों ने चीन को उनके सैनिकों के शव सौंप दिए. इस हिंसक झड़प की सबसे खास बात ये रही कि भारत के लगभग 55 जवानों ने चीन के 300 से ज्यादा सिपाहियों को धूल चटा दी थी. इतना ही नहीं बिहार रेजीमेंट के शूरवीर जवानों ने अपने अदम्य साहस और ताकत का प्रदर्शन करते हुए पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 पर चीन के आपत्तिजनक टेंट को उखाड़ फेंका. आपको बता दें कि चीनी सैनिक हिंसक झड़प की तैयारी के साथ आए थे उनके पास कांटेदार डंडों से लेकर कई तरह के घातक हथियार थे. जिसे भारतीय जवानों ने छीन लिए थे. आपको बता दें कि इस झड़प ने गलवान घाटी में भारत को चीन पर मनोवैज्ञानिक बढ़त दिला दी.

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पहले भी भारतीय जवान चीनी सैनिकों को धूल चटा चुके हैं
जब भी भारत चीन के बीच युद्ध की बात होती है तो 1962 की जंग का उदाहरण देकर भारतीय जवानों को कायर घोषित कर दिया जाता है लेकिन आपको बता दें कि साल 1962 का वो युद्ध चीन ने धोखे से हमला करके जीता था तब भारतीय जवानों के पास युद्ध को लेकर कोई भी तैयारी नहीं थी.  भारतीय जवानों के शौर्य में तब भी कोई कमी नहीं थी. आपको बता दें कि इस युद्ध में भारतीय जवानों के बुरी तरह से पराजय के बाद साल 1967 में भारतीय सेना ने नाथु-ला के सेबु-ला में चीनी सैनिकों को औकात दिखा दी थी इस युद्ध में चीनी सैनिकों को मैदान छोड़कर भागना पड़ा था. इस झड़प में लगभग 400 चीनी सैनिक मारे गए थे. इसके बाद अक्टूबर 1967 में चाओ ला इलाके में चीन और भारत की फौजों में झड़प हई. जिसमें भारत ने एक बार फिर से चीन को जबरदस्त सबक सिखाया था. ये दोनों युद्ध 17वीं माउंटेन डिविजन के सागत सिंह के नेतृत्व में लड़ी गई थीं, जिसमें चीन को मुंह की खानी पड़ी थी.

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साल 1987 में भी भारतीय जवानों के डर से मैदान छोड़कर भागी थी चीनी सेना
1967 के अलावा साल 1987 में नामका-चू इलाके में चीन ने भारत की जमीन हथियाने की कोशिश की थी. जिसके बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन फॉल्कन चलाया था. इस दौरान भारतीय सेनाध्यक्ष जनरल के.सुंदरजी थे उन्होंने चीन की सीमा पर 7 लाख सैनिकों की तैनाती करवाई यहां तक कि हिमालय के दुर्गम इलाकों में टी-72 जैसे टैंक भी उतार दिए. भारत की ऐसी तैयारी देखकर चीन इतना डर गया कि वो भारतीय जमीन छोड़कर भाग खड़ा हुआ. 

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डोकलाम में भी चीनी सेना को मुंह की खानी पड़ी थी
साल 2017 में एक बार फिर से चीनी सेना ने डोकलाम भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश की लेकिन इस बार जो कुछ भी हुआ पूरी दुनिया ने देखा कैसे भारतीय जवानों के सामने चीनी सेना को पीछे हटना पड़ा.  

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चीनी फौज को खा रहा है भ्रष्टाचार का दीमक
साल 2012 में चीन की सत्ता पर मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीनी ऑर्मी से लगभग 100 जनरलों को बाहर का रास्ता दिखाया. पूरी चीनी फौज को भ्रष्टाचार का दीमक खाए चला जा रहा था. शी जिनपिंग ने चीन की सेन्ट्रल मिलिट्री कमीशन के दो वाइस चेयरमैन को भी हटाया था. इसके अलावा चीन में वन चाइल्ड पॉलिसी की वजह से पिछले 36 सालों में पैदा हुए बच्चे जो की पहले की तुलना में ज्यादा लाड प्यार के कारण बिगड़ैल हो गए हैं ऐसे बच्चे चीनी सेना में भर्ती हुए हैं जो थोड़े से ही संघर्ष में टूट जाते हैं और जल्दी ही हथियार डाल देते हैं.  आपको बता दें कि चीन की सेना संख्या में भले ही ज्यादा हो. लेकिन जोश और हौसले के मामले में वह भारतीय फौज के सामने कहीं नहीं टिकती.