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PM Modi साध रहे बंगाल में इन 4 मंत्रियों से Loksabha 2024 निशाना

बंगाल में निशिथ प्रमाणिक, जॉन बारला, शांतनु ठाकुर और सुभाष सरकार के रूप में भविष्य की राजनीति के समीकरण बैठाने पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शुरू कर दिए हैं.

Updated on: 08 Jul 2021, 10:08 AM

highlights

  • निशिथ प्रमाणिक बने नरेंद्र मोदी कैबिनेट के सबसे युवा मंत्री
  • शांतनु ठाकुर के मटुआ समुदाय से हैं बेहद गहरे ताल्लुकात
  • जॉन बारला आदिवासी और चाय बागान श्रमिकों के खैवनहार

नई दिल्ली:

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार (Cabinet Expansion) में भविष्य की राजनीति के संकेत भी साफ परिलक्षित हो रहे हैं. अगर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 7 मंत्री बनाकर जातिगत समीकरण साधने की कोशिश की गई, तो पश्चिम बंगाल (West bengal) को भी 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर तैयार करने की रणनीति साफ दिखाई दी. विधानसभा चुनाव में दावे के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर सकने वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अगले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राज्य के चार सांसदों को मंत्रिमंडल में जगह दी है. निशिथ प्रमाणिक, जॉन बारला, शांतनु ठाकुर और सुभाष सरकार के रूप में भविष्य की राजनीति के समीकरण बैठाने पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शुरू कर दिए हैं.

निशिथ बने मोदी कैबिनेट के सबसे युवा मंत्री
पश्चिम बंगाल से मंत्रिमंडल में शामिल किए गए नेताओं की चर्चा करें तो निशिथ प्रमाणिक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है. 35 साल के निशीथ प्रामाणिक दो साल पहले 2019 में तृणमूल कांग्रेस में थे. लोकसभा चुनाव 2019 से पहले टीएमसी का दामन छोड़कर उन्‍होंने बीजेपी का झंडा थाम लिया था. अब वह नरेंद्र मोदी कैबिनेट में शामिल होने वाले सबसे युवा मंत्री बन गए हैं. निशीथ प्रमाणिक केंद्रीय सूचना टेक्‍नोलॉजी स्‍टैंडिंग कमेटी के सदस्‍य हैं. इसके अलावा सामाजिक न्‍याय और आधिकारिता मंत्रालय की समिति में भी सदस्‍य हैं. कूचबिहार सीट से लोकसभा सांसद निशीथ की उत्तर बंगाल में अच्छी पैठ है. इस इलाके से 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सात सीटें हासिल हुई थीं. अब निशिथ को मंत्री बनाकर 2024 के लोकसभा चुनावों में उत्तर बंगाल के मतदाताओं को अपने साथ जोड़े रखने की कवायद तेज कर दी गई है.

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शांतनु ठाकुर के मटुआ समुदाय से गहरे हैं ताल्लुकात
निशिथ के अलावा शांतनु ठाकुर को भी मंत्रिमंडल में जगह मिली है. शांतनु ठाकुर जिस मटुआ समुदाय से ताल्लुक रखते हैं वो बंगाल में बीजेपी का कोर वोटर बन चुका है. बंगाल के पूर्व मंत्री मंजुल कृष्ण ठाकुर के बेटे शांतनु ठाकुर 2019 से बनगांव से लोकसभा के सदस्य हैं. इस निर्वाचन क्षेत्र में 2019 के आम चुनाव में वह चुने जाने वाले पहले गैर-टीएमसी सांसद बने. वह अखिल भारतीय मतुआ महासंघ के नेता हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जबरदस्त सफलता के पीछे इस समुदाय का एकमुश्त वोट काफी हद तक जिम्मेदार था. इस समुदाय के वोट बैंक के गणित का ऐसे भी समझ सकते हैं कि राज्य की 42 संसदीय सीटों में से 10 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. इनमें से 4 सीटें 2019 में बीजेपी ने जीती थीं और वह भी सिर्फ एक मुद्दे पर कि पार्टी इस समुदाय के हित में नागरिकता संशोधन कानून बनाएगी. राज्य में इस समुदाय की आबादी 3 करोड़ से ज्यादा है और लगभग 50-70 विधानसभा क्षेत्रों में विजयी उम्मीदवारों को तय करने में मटुआ समुदाय महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. 

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जॉन बारला बनेंगे आदिवासी और चाय बागान श्रमिकों के खैवनहार
आदिवासी सुमदाय से ताल्लुक रखने वाले जॉन बारला बंगाल की अलीपुरद्वार सीट से सांसद हैं. 2019 के चुनाव में जीतकर वह पहली बार संसद में पहुंचे. पहली बार सांसद बने बारला को अब पीएम मोदी ने अपनी टीम में भी शामिल कर लिया है. दरअसल इसके लिए बारला की बंगाल के चाय बागानों में पकड़ जिम्मेदार है. कभी वो खुद चाय बागान में काम करते थे. चाय बागान में काम करने वाले मजदूरों के अधिकार के लिए उन्होंने काफी काम किया है. पश्चिम बंगाल में आम लोगों के बीच उनकी पहुंच है. पीएम मोदी ने उन्हें अपनी टीम में शामिल करके बड़ा संदेश देने की कोशिश की है. गौरतलब है कि जॉन बारला ने हाल में उत्तर बंगाल को अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग की थी. उनके संगठनात्मक कौशल ने सबसे पहले माकपा के स्थानीय नेतृत्व का ध्यान आकर्षित किया. हालांकि वह किसी भी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े लेकिन उन्होंने और उनके समर्थकों ने कई मौकों पर तत्कालीन सत्तारूढ़ वाम मोर्चा को अपना समर्थन दिया था.

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सुभाष सरकार हैं बंगाल में बेहतरीन संगठनकर्ता
चौथे नेता हैं सुभाष सरकार. पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के एक अनुभवी योद्धा और बांकुड़ा से सांसद सुभाष सरकार लंबे समय तक प्रदेश में भगवा पार्टी का प्रबंधन संभालने वाले व्यक्ति रहे हैं. वह पेशे से चिकित्सक हैं और बांकुड़ा के रहने वाले हैं. उन्हें बंगाल बीजेपी के जमीनी नेताओं में शुमार किया जाता है. बंगाल बीजेपी में अहम पदों पर रह चुके सुभाष सरकार को बेहतर संगठनकर्ता माना जाता है. तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता और राज्य सरकार के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी को हरा कर सरकार ने बांकुड़ा से 2019 में लोकसभा चुनाव जीता था. प्रदेश भाजपा के 2013 से उपाध्यक्ष रहे सरकार, 2015 में अध्यक्ष पद के दावेदार थे लेकिन इसके बदले उन्हें महासचिव बनाया गया था. संगठन के व्यक्ति के रूप में प्रसिद्ध सरकार को 2017 में एक बार फिर से पार्टी की प्रदेश इकाई का उपाध्यक्ष बनाया गया.