कर्तव्य पथ से बोले PM मोदी- गुलामी की एक और पहचान से मिली मुक्ति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गुरुवार को कर्तव्य पथ का उद्घाटन किया. राजपथ अब कर्तव्य पथ के नाम से जाना जाएगा. इससे पहले ही पीएम मोदी ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण किया है.
highlights
- राजपथ अब 8 अगस्त से कर्तव्य पथ के नाम से जाना जाएगा
- प्रधानमंत्री ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा का किया अनावरण
- हम गुजरे हुए कल को छोड़ आने वाले कल की तस्वीर में नए रंग भर रहे : PM
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गुरुवार को कर्तव्य पथ का उद्घाटन किया. राजपथ अब कर्तव्य पथ के नाम से जाना जाएगा. इससे पहले ही पीएम मोदी ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण किया है. इसके बाद प्रधानमंत्री ने कर्तव्य पथ से कहा कि आज के इस ऐतिहासिक कार्यक्रम पर पूरे देश की दृष्टि है. सभी देशवासी इस समय, इस कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं. मैं इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बन रहे सभी देशवासियों का हृदय से स्वागत करता हूं, अभिनंदन करता हूं.
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पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में, देश को आज एक नई प्रेरणा मिली है, नई ऊर्जा मिली है. आज हम गुजरे हुए कल को छोड़कर, आने वाले कल की तस्वीर में नए रंग भर रहे हैं. आज जो हर तरफ ये नई आभा दिख रही है, वो नए भारत के आत्मविश्वास की आभा है. उन्होंने कहा कि गुलामी का प्रतीक किंग्सवे यानि राजपथ, आज से इतिहास की बात हो गया है, हमेशा के लिए मिट गया है. आज कर्तव्य पथ के रूप में नए इतिहास का सृजन हुआ है.
उन्होंने कहा कि मैं सभी देशवासियों को आजादी के इस अमृतकाल में, गुलामी की एक और पहचान से मुक्ति के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं. आज इंडिया गेट के समीप हमारे राष्ट्रनायक नेताजी सुभाषचंद्र बोस की विशाल मूर्ति भी स्थापित हुई है. गुलामी के समय यहां ब्रिटिश राजसत्ता के प्रतिनिधि की प्रतिमा लगी हुई थी. आज देश ने उसी स्थान पर नेताजी की मूर्ति की स्थापना करके आधुनिक, सशक्त भारत की प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी है.
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प्रधानमंत्री ने कहा कि सुभाषचंद्र बोस ऐसे महामानव थे, जो पद और संसाधनों की चुनौती से परे थे. उनकी स्वीकार्यता ऐसी थी कि, पूरा विश्व उन्हें नेता मानता था. उनमें साहस था, स्वाभिमान था. उनके पास विचार थे, विजन था. उनमें नेतृत्व की क्षमता थी, नीतियां थीं. उन्होंने कहा कि अगर आजादी के बाद हमारा भारत सुभाष बाबू की राह पर चला होता तो आज देश कितनी ऊंचाइयों पर होता, लेकिन दुर्भाग्य से, आजादी के बाद हमारे इस महानायक को भुला दिया गया. उनके विचारों को, उनसे जुड़े प्रतीकों तक को नजरअंदाज कर दिया गया.
पीएम मोदी ने कहा कि नेता जी कल्पना की थी कि लाल किले पर तिरंगा फहराने की क्या अनुभूति होगी. इस अनुभूति का साक्षात्कार मैंने स्वयं किया, जब मुझे आजाद हिंद सरकार के 75 वर्ष होने पर लाल किले पर तिरंगा फहराने का सौभाग्य मिला. उन्होंने कहा कि आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर देश ने अपने लिए 'पंच प्राणों' का विजन रखा है. इन पंच प्राणों में विकास के बड़े लक्ष्यों का संकल्प है, कर्तव्यों की प्रेरणा है. इसमें गुलामी की मानसिकता के त्याग का आहृवान है. अपनी विरासत पर गर्व का बोध है.
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उन्होंने आगे कहा कि आज भारत के आदर्श अपने हैं, आयाम अपने हैं. आज भारत के संकल्प अपने हैं, लक्ष्य अपने हैं. आज हमारे पथ अपने हैं, प्रतीक अपने हैं. आज अगर राजपथ का अस्तित्व समाप्त होकर कर्तव्यपथ बना है, आज अगर जॉर्ज पंचम की मूर्ति के निशान को हटाकर नेताजी की मूर्ति लगी है, तो ये गुलामी की मानसिकता के परित्याग का पहला उदाहरण नहीं है. ये न शुरुआत है, न अंत है
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज देश अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे सैकड़ों कानूनों को बदल चुका है. भारतीय बजट, जो इतने दशकों से ब्रिटिश संसद के समय का अनुसरण कर रहा था, उसका समय और तारीख भी बदली गई है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए अब विदेशी भाषा की मजबूरी से भी देश के युवाओं को आजाद किया जा रहा है. कर्तव्य पथ केवल ईंट-पत्थरों का रास्ता भर नहीं है. ये भारत के लोकतांत्रिक अतीत और सर्वकालिक आदर्शों का जीवंत मार्ग है.
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