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भारत कई देशों का महाद्वीप है, इसे कोई एक राष्ट्र नहीं बना पाएगा: PM मोदी

देश भर में नए कृषि कानूनों पर संग्राम जारी है. विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमला बोल रही हैं. इसी बीच बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानून और किसानों पर अपनी बात रखी.

Updated on: 10 Feb 2021, 05:04 PM

नई दिल्ली:

देश भर में नए कृषि कानूनों (Farm Laws) पर संग्राम जारी है. विपक्ष लगातार मोदी सरकार (Modi Government) पर हमला बोल रही हैं. इसी बीच बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानून और किसानों पर अपनी बात रखी. लोकसभा में पीएम मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान उठे सवालों का जवाब दिया. इस दौरान पीएम ने कहा, 'राष्ट्रपति जी का भाषण भारत के 130 करोड़ भारतीयों की संकल्प शक्ति को प्रदर्शित करता है. विकट और विपरीत काल में भी ये देश किस प्रकार से अपना रास्ता चुनता है, रास्ता तय करता है और रास्ते पर चलते हुए सफलता प्राप्त करता है, ये सब राष्ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में कही.' उन्होंने आगे कहा, 'मैं इस चर्चा में भाग लेने वाले सभी सांसदों का आभार व्यक्त करता हूं. 

पीएम ने लोकसभा में कहा, 'देश जब आजाद हुआ, जो आखिरी ब्रिटिश कमांडर थे, वो आखिरी तक यही कहते थे कि भारत कई देशों का महाद्वीप है और कोई भी इसे एक राष्ट्र नहीं बना पाएगा. लेकिन भारतवासियों ने इस आशंका को तोड़ा. विश्व के लिए आज हम आशा की किरण बनकर खड़े हुए हैं.' उन्होंने आगे कहा, कुछ लोग ये कहते थे कि India was a miracle democracy. ये भ्रम भी हमने तोड़ा है. लोकतंत्र हमारी रगों और सांस में बुना हुआ है, हमारी हर सोच, हर पहल, हर प्रयास लोकतंत्र की भावना से भरा हुआ रहता है.'

प्रधानमंत्री ने कहा, 'देश जब आजाद हुए तो आखिरी ब्रिटिश कमांडर यही कहते रहते थे कि भारत कई देशों का महाद्वीप है, कोई भी इसे एक राष्ट्र नहीं बना पाएगा. परन्तु भारतवासियों ने इस आशंका को तोड़ा. आज हम विश्व के सामने एक राष्ट्र के रूप में खड़े हैं और विश्व के लिए एक आशा की किरण हैं.'

पीएम मोदी ने कहा, 'आज जब हम भारत की बात करते हैं तो मैं स्वामी विवेकानंद जी की बात का स्मरण करना चाहूंगा. हर राष्ट्र के पास एक संदेश होता है, जो उसे पहुंचाना होता है, हर राष्ट्र का एक मिशन होता है, जो उसे हासिल करना होता है, हर राष्ट्र की एक नियति होती है, जिसे वो प्राप्त करता है.' उन्होंने कहा, 'जिन संस्कारों को लेकर हम पले-बढ़े हैं, वो हैं- सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया. कोरोना कालखंड में भारत ने ये करके दिखाया है.'

लोकसभा में पीएम मोदी ने कहा, 'हमारे लिए आवश्यक है कि हम आत्मनिर्भर भारत के विचार को बल दें. ये किसी शासन व्यवस्था या किसी राजनेता का विचार नहीं है. आज हिंदुस्तान के हर कोने में वोकल फ़ॉर लोकल सुनाई दे रहा है. ये आत्मगौरव का भाव आत्मनिर्भर भारत के लिए बहुत काम आ रहा है. हमारे लिए संतोष और गर्व का विषय है कि कोरोना के कारण कितनी बड़ी मुसीबत आएगी इसके जो अनुमान लगाए गए थे कि भारत कैसे इस स्थिति से निपटेगा.ऐसे मैं ये 130 करोड़ देशवासियों के अनुशासन और समर्पण ने हमें आज बचा कर रखा है.'

कोरोना वॉरियर्स की प्रशंसा करते हुए मोदी ने कहा, 'हम कोरोना से जीत पाए, क्योंकि डॉक्टर्स, सफाई कर्मचारी, एम्बुलेंस का ड्राइवर ये सब भगवान के रूप में आए. हम उनकी जितनी प्रशंसा करें, जितना गौरवगान करेंगे, उससे हमारे भीतर भी नई आशा पैदा होगी.' उन्होंने आगे कहा, 'दुनिया के बहुत सारे देश कोरोना, लॉकडाउन, कर्फ्यू के कारण चाहते हुए भी अपने खजाने में पाउंड और डॉलर होने के बाद भी अपने लोगों तक नहीं पहुंचा पाए. लेकिन ये हिंदुस्तान है जो इस कोरोना कालखंड में भी करीब 75 करोड़ से अधिक भारतीयों को 8 महीने तक राशन पहुंचा सकता है.'

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अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'यही भारत है जिसने जनधन, आधार और मोबाइल के द्वारा 2 लाख करोड़ रुपया इस कालखंड में लोगों तक पहुंचा दिया. कोरोना कालखंड में जनधन खाते, आधार, ये सभी गरीब के काम आए. लेकिन कभी-कभी सोचते हैं कि आधार को रोकने के लिए कौन लोग सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे में गए थे?. इस कालखंड में भी हमने रिफॉर्म का सिलसिला जारी रखा है. हम इस इरादे से चले है कि भारत की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए हमें नए कदम उठाने होंगे और हमने पहले दिन से ही कई कदम उठाए हैं.'

कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'मैं देख रहा था कि कांग्रेस के साथियों ने जो चर्चा की, वो इस कानून के रंग पर तो बहुत चर्चा कर रहे थे. अच्छा होता कि उसके कंटेट और इंटेट पर चर्चा करते. ताकि देश के किसानों तक सही चीजें पहुंचती.' पीएम ने आगे कहा, ' इस कोरोना काल में 3 कृषि कानून भी लाये गए. ये कृषि सुधार का सिलसिला बहुत ही आवश्यक और महत्वपूर्ण है और बरसों से जो हमारा कृषि क्षेत्र चुनौतियां महसूस कर रहा है, उसको बाहर लाने के लिए हमें निरंतर प्रयास करना ही होगा और हमने एक ईमानदारी से प्रयास किया भी है.'