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नए आईटी नियमों का पालन न करने पर ट्विटर के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर

वकील अमित आचार्य की ओर से यह दाचिका दाखिल की गई है. दरअसल केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों के लिए नए नियम बनाए थे. इन नियमों के लिए 26 मई की समयसीमा तय की गई थी. 26 मई से नए नियम प्रभावी हो गए हैं.

Updated on: 28 May 2021, 12:42 PM

नई दिल्ली:

ट्विटर की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पिछले दिनों ट्विटर के ऑफिस पर छापेमारी के बाद अब नए आईटी नियमों का पालन ना करने पर उसके खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. वकील अमित आचार्य की ओर से यह दाचिका दाखिल की गई है. दरअसल केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों के लिए नए नियम बनाए थे. इन नियमों के लिए 26 मई की समयसीमा तय की गई थी. 26 मई से नए नियम प्रभावी हो गए हैं. हालांकि ट्विटर सहित कई सोशल मीडिया कंपनियों ने अभी तक नए नियमों का पालन नहीं किया है. 

नए नियमों में क्या?
नए नियमों के अनुसार, सोशल मीडिया कंपनियों को किसी पोस्ट के लिए शिकायत मिलने पर उसके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी. इसके लिए कंपनियों को तीन अधिकारियों (मुख्य अनुपालन अधिकारी, नोडल अधिकारी और शिकायत निवारण अधिकारी) को नियुक्त करना होगा. ये अधिकारी भारत के ही रहने वाले होने चाहिए और इनका कॉन्टेक्ट नंबर सोशल मीडिया वेबसाइट के अलावा एप पर होना अनिवार्य है ताकि लोग शिकायत कर सकें. इसके साथ ही अधिकारियों के लिए शिकायत का अपडेट देने के लिए 15 दिनों की समयसीमा भी तय की गई है. कंपनियों को पूरे सिस्टम पर नजर रखने के लिए स्टाफ रखने को कहा गया है.

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केंद्र ने तीन महीने का दिया था समय 
नए आईटी नियमों की घोषणा 25 फरवरी को की गई थी और ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसी सोशल मीडिया कंपनियों को इसे लागू करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया था. नियमों का पालन न करने के परिणामस्वरूप इन सोशल मीडिया कंपनियों पर कार्रवाई की जा सकती है. 

आईटी एक्ट के तहत होगी कार्रवाई
अगर कंपनियां नए नियमों को नहीं मानती हैं तो उन पर मौजूदा आईटी एक्ट के तहत ही कार्रवाई होगी. हाल ही में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि ये कोई कानून नहीं है और ये सिर्फ गाइडलाइन हैं. अगर सोशल मीडिया कंपनियां नई गाइडलाइन को फॉलो नहीं करती हैं तो उन पर मौजूदा आईटी कानून के तहत ही कार्रवाई होगी.

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कू ने लागू किए नियम तो ट्विटर ने मांगा वक्त
माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने केंद्र सरकार की तरफ से नई गाइडलाइन को लागू करने के लिए छह महीने का समय मांगा है. वहीं भारतीय माइक्रोब्लॉगिंग साइट कू एप ने सरकार की गाइडलाइन को लागू कर दिया है.

क्या है नया आईटी नियम 

- ऐसे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को एक मुख्य अनुपालन अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी, जो अधिनियम और नियमों क साथ अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी होगा. ऐसा व्यक्ति भारत का निवासी होना चाहिए.

- कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ 24×7 समन्वयन के लिए एक नोडल संपर्क व्यक्ति की नियुक्ति. ऐसा व्यक्ति भारत का निवासी होगा.

- एक रेजीडेंट शिकायत अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी, जो शिकायत समाधान तंत्र के अंतर्गत उल्लिखित कामकाज करेगा. ऐसा व्यक्ति भारत का निवासी होगा.

- एक मासिक अनुपालन रिपोर्ट प्रकाशित करनी होगी, जिसमें मिलने वाली शिकायतों और शिकायतों पर की गई कार्रवाई के साथ ही प्रमुख सोशल मीडिया मध्यस्थों द्वारा तत्परता से हटाए गए कंटेंट के विवरण का उल्लेख करना होगा.

-  प्राथमिक रूप से संदेश के रूप में सेवाएं दे रहे प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को पहली बार सूचना जारी करने वाले की पहचान में सक्षम बनाना होगा. यानी WhatsApp जैसे इंस्टैंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स को किसी मैसेज को ओरिजिन पता करना होगा.

-  नए नियम के मुताबिक ऐसे भारत की सम्प्रभुता और अखंडता, देश की सुरक्षा, दूसरे देशों के साथ मित्रतापूर्ण संबंधों, या सार्वजनिक आदेश से संबंधित अपराध या उक्त से संबंधित या बलात्कार, यौन सामग्री या बाल यौन शोषण सामग्री से संबंधित सामग्री, जिसमें कम से कम पांच साल के कारावास की सजा होती है, से जुड़े अपराधों को बढ़ावा देने वालों पर रोकथाम, पता लगाने, जांच, मुकदमे या सजा के प्रस्ताव के लिए जरूरी है.

- प्रमुख सौशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अपनी वेबसाइट या मोबाइल ऐप या दोनों पर भारत में अपने ऑफिस का संपर्क पता प्रकाशित करना होगा. स्वैच्छिक रूप से अपने खातों का वेरिफिकेशन कराने के इच्छुक यूजर्स के खातों के वेरिफिकेशन के लिए एक उचित मैकेनिज्म उपलब्ध कराना होगा और वेरिफिकेशन साइन उपलब्ध कराना होगा.

-  जब भी किसी प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने अपने हिसाब से किसी जानकारी को हटा दिया है या उस तक पहुंच निष्क्रिय कर दी है. ऐसे में उस जानकारी को साझा करने वाले को इस संबंध में सूचित किया जाएगा, जिसमें इस कार्रवाई का आधार और वजह विस्तार से बताई जाएगी. यूजर्स को प्लेटफॉर्म्स द्वारा की गई कार्रवाई का विरोध करने के लिए पर्याप्त और वाजिब अवसर दिया जाना चाहिए. 

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