जल्लीकट्टू पर अध्यादेश के बावजूद प्रदर्शनकारी मानने को तैयार नहीं, सरकार से स्थायी समाधान की मांग
प्रदर्शनकारियों का कहना है, 'जनता स्थायी समाधान के लिए लड़ रही है। सरकार को क्या यह समझ में नहीं आ रहा? अध्यादेश तो सिर्फ प्रदर्शन खत्म करने के लिए है।'
highlights
- अध्यादेश के बावजूद प्रदर्शनकारी मानने को तैयार नहीं
- सरकार से जल्लीकट्टू पर स्थायी समाधान की मांग
नई दिल्ली:
तमिलनाडु में जल्लीकट्टू पर लगे प्रतिबंध पर बवाल मचने के बाद राज्य सरकार के लाए अध्यादेश पर केंद्र सरकार की मंजूरी के बावजूद भी जल्लीकट्टू के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे लोग मानने को तैयार नहीं है।
प्रदर्शनकारियों ने सरकार के इस प्रस्ताव को स्वीकार करने से मना कर दिया है। प्रदर्शनकारी इस खेल पर सरकार से स्थायी समाधान की मांग पर अड़े हुए हैं।
प्रदर्शनकारियों का कहना है, 'जनता स्थायी समाधान के लिए लड़ रही है। सरकार को क्या यह समझ में नहीं आ रहा? अध्यादेश तो सिर्फ प्रदर्शन खत्म करने के लिए है।'
साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने खेल के जरिए जानवरों पर अत्याचार होने का हवाला देते हुए जल्लीकट्टू खेल पर रोक लगा दी थी। पोंगल के मौके पर तमिलनाडु पर इस खेल का आयोजन किया जाता है।
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एक तरफ जहां रविवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम मदुरै में जल्लीकट्टू खेल को रही झंडी दिखाएंगे वहीं दूसरी तरफ प्रदर्शनकारियों ने साफ कर दिया है कि वो आगे भी धरना-प्रदर्शन जारी रखेंगे। प्रदर्शनकारियों ने ताजा फैसले पर खुश होकर मिठाइयां न बांटने का अनुरोध भी किया है।
सुप्रीम कोर्ट के जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद राज्य में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा है। चेन्नई के मरीना बीच पर लाखों की संख्या में छात्र और युवा केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
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इससे पहले चेन्नई के राज्यपाल सी विद्यासागर ने जल्लीकट्टू के आयोजन को लेकर जारी अध्यादेश को लागू कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के बैन के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री जल्लीकट्टू के आयोजन को लेकर अध्यादेश को जारी किए जाने की मांग के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे लेकिन पीएम ने मामले के सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन होने का हवाला देते हुए कोई अध्यादेश लाए जाने से मना कर दिया था।
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हालांकि पीएम ने कहा था कि अगर राज्य सरकार इस मामले में कोई कानूनी कदम उठाती है तो केंद्र सरकार उसका समर्थन करेगा। इसके बाद देश के अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि राज्य सरकार अगर चाहे तो इस मामले में वह अध्यादेश ला सकती है।
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रोहतगी ने कहा था कि खेल पूर्ण रुप से राज्य के क्षेत्राधिकार में आता है, इसलिए इसमें केंद्र किसी तरह का दखल नहीं दे सकता। इसके बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने राज्य के कानूनी सलाहकारों से विचार-विमर्श कर केंद्र सरकार को अध्यादेश भेजा, जिसे सरकार ने मंजूर कर लिया गया।
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