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कश्मीर को दहशत मुक्त करने में सुरक्षाबलों का ऑपरेशन जारी, बीते 24 घंटों में 8 आतंकी ढेर

कश्मीर घाटी में आतंकवादियों का चुन-चुन कर सफाया किया जा रहा है. बीते 24 घंटों के अंदर 8 आतंकवादी सुरक्षाबलों के द्वारा देर कर दिए गए.

Updated on: 29 Aug 2020, 07:12 PM

नई दिल्ली:

कश्मीर घाटी में आतंकवादियों का चुन-चुन कर सफाया किया जा रहा है. बीते 24 घंटों के अंदर 8 आतंकवादी सुरक्षाबलों के द्वारा देर कर दिए गए. जिसके जरिए ना सिर्फ ऑपरेशन क्लीन को आगे बढ़ाते हुए कश्मीर घाटी को आतंकवाद और आतंकवादियों से मुक्त बनाने की कोशिश है, बल्कि घाटी के अंदर जम्हूरियत को आबाद करने के लिए सुरक्षित माहौल बनाने की कोशिश भी की है.

18 घंटे में आतंकवादियों को भारतीय सुरक्षा बलों दौज़क पहुंचा दिया. जम्मू कश्मीर के शोपियां में सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में 4 आतंकवादी मारे गए, एक जिंदा आतंकवादी ने आत्मसमर्पण कर दिया, जबकि कुलगाम के इलाके में तीन आतंकवादी मारे गए. हालिया एनकाउंटर से सुरक्षाबलों ने दहशतगर्दों को साफ संकेत दे दिया है या तो वह घाटी छोड़कर अपने आकाओं के पास पाकिस्तान चले जाएं या फिर आत्मसमर्पण के अलावा उनके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है.

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दरअसल अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद आतंकवादी बौखलाहट में है और उनकी कोशिश है कि राज्य में जम्हूरियत स्थापित ना हो पाए, इसलिए स्थानीय नेताओं को लगातार निशाना बनाने की कोशिश करते हैं. दहशतगर्द 1 महीने के अंदर बीजेपी के चार स्थानीय नेताओं को आतंकवादियों ने निर्मम तरीके से मार चुके है. इसमें पुलगांव के सरपंच सज्जाद अहमद सबसे बड़ा नाम थे. इससे पहले भी कुलगाम के ही सरपंच आरिफ अहमद और स्थानीय नेता आखरन नौरपुरा पर जानलेवा हमला हो चुका है.

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8 जुलाई को बांदीपुरा बीजेपी नेता शेख वासिम बारी और उनके परिवार के दो सदस्यों की आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी, वाशिम बारी के भाई और पिता इस गोलाबारी में मारे गए थे. अनंतनाग जिले के लरकीपुरा के सरपंच और कांग्रेस नेता अजय पंडित की हत्या उन्हीं के गांव में कर दी गई थी. 2019 के मई महीने में भी बीजेपी उपाध्यक्ष गुल मोहम्मद अमीर को आतंकवादियों ने गोली मार दी थी. अगस्त दो हजार अट्ठारह में पुलवामा में ही आतंकवादियों ने बीजेपी कार्यकर्ता शब्बीर अहमद भट्ट की हत्या कर दी थी. 2017 में युवा नेता गौहर हुसैन की गला काटकर हत्या कर दी गई थी. यानी कांग्रेस बीजेपी समेत वह सभी स्थानीय नेता जो घाटी में जम्हूरियत को मजबूत बनाना चाहते हैं सीधे-सीधे दहशतगर्दी के निशाने पर है.

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जम्मू कश्मीर के संघीय राज्य बनने, अनुच्छेद 370 हटने और महामारी के कड़े नियमों के बाद घाटी में विरोध प्रदर्शन थक चुके हैं. ऐसे में आतंकवादियों का सफाया कर के सुरक्षाबलों की कोशिश है कि स्थानीय जनता को दहशत कर दो के खौफ से आजादी दिलाई जाए, ताकि जम्मू कश्मीर में दर्शक दर्द नाकाम हो और जन तंत्र मजबूत.