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'सिर्फ 3.4 फीसदी का ही हुआ टीकाकरण', प्रियंका गांधी ने वैक्सीनेशन पॉलिसी में बताई खामियां

प्रियंका गांधी ने मंगलवार को अपनी श्रृंखला 'जिम्मेदार कौन' (कौन जिम्मेदार है) में टीका वितरण में खामियों पर प्रकाश डाला.

Updated on: 01 Jun 2021, 02:19 PM

highlights

  • देश में वैक्सीन की लगातार किल्लत
  • सरकार पर हमलावर हैं विपक्षी दल
  • प्रियंका ने पॉलिसी में बताई खामियां

नई दिल्ली:

कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच देश में वैक्सीन की भारी किल्लत है. कुछ दिनों पहले 18 प्लस वालों के लिए जोर शोर से वैक्सीनेशन अभियान शुरू किया गया था, मगर टीके की कमी के कारण अब कई जगह वैक्सीनेशन सेंटरों पर ताले लग गए हैं. वैक्सीन की कमी को लेकर देश में जमकर राजनीति भी हो रही है. इस बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लिया है. प्रियंका गांधी ने मंगलवार को अपनी श्रृंखला 'जिम्मेदार कौन' (कौन जिम्मेदार है) में टीका वितरण में खामियों पर प्रकाश डाला.

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प्रियंका गांधी ने मंगलवार को अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, 'कुछ दिनों पहले मैंने वैक्सीन नीति के बारे में चर्चा की थी. आज मैं वैक्सीन नीति के दूसरे, सबसे महत्वपूर्ण अंग के बारे में आपसे चर्चा करना चाहती हूं- वैक्सीनों का वितरण.' कांग्रेस महासचिव प्रियंका ने लिखा, 'विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोनावायरस को हराने के लिए टीकाकरण महत्वपूर्ण है. जिन देशों ने अपने लोगों का टीकाकरण किया है, उन्होंने दूसरी लहर का कम प्रभाव देखा है, लेकिन हमारे देश में यह पहली लहर की तुलना में 320 प्रतिशत अधिक था.'

उन्होंने कहा कि नागरिक पूछ रहे हैं कि ऐसी स्थिति क्यों आ गई है कि राज्य सरकारों को ग्लोबल टेंडर के लिए जाना पड़ता है और एक ही वैक्सीन के लिए अलग अलग दरों के लिए प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है. सरकार किस तरह इस साल के अंत तक हर भारतीय का टीकाकरण करने का दावा कर रही है और जो लोग डिजिटल कनेक्टिविटी से वंचित हैं उनका टीकाकरण करने की क्या योजना है? प्रियंका गांधी ने लिखा, 'इस देश में, चेचक और पोलियो के टीके हर घर में वितरित किए गए थे, लेकिन मोदी सरकार की अक्षमता के कारण उत्पादन और वितरण गड़बड़ा गया है.'

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, 'केवल 12 प्रतिशत लोगों को पहली खुराक मिली और भारत में केवल 3.4 प्रतिशत लोगों को ही पूरी तरह से टीका लगाया गया है. 15 अगस्त 2020 के भाषण में मोदीजी ने देश के हरएक नागरिक को वैक्सिनेट करने की ज़िम्मेदारी लेते हुए कहा था कि पूरा खाका तैयार है. लेकिन अप्रैल 2021 में, दूसरी लहर की तबाही के दौरान, मोदीजी ने सबको वैक्सीन देने की ज़िम्मेदारी से अपने हाथ खींचते हुए, इसका आधा भार राज्य सरकारों पर डाल दिया.' उन्होंने पूछा कि मोदी सरकार ने 1 मई तक मोदी सरकार ने मात्र 34 करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर दिया था तो बाकी वैक्सीन आएंगी कहां से?

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उन्होंने लिखा, 'आज वैक्सीन लगाने वाले काफी केंद्रों पर ताले लटके हैं और 18-45 आयुवर्ग की आबादी को वैक्सीन लगाने का काम बहुत धीमी गति से चल रहा है. मोदी सरकार की फेल वैक्सीन नीति के चलते अलग-अलग दाम पर वैक्सीन मिल रही है. जो वैक्सीन केंद्र सरकार को 150रू में मिल रही है, वही राज्य सरकारों को 400 रुपये में और निजी अस्पतालों को 600 रुपये में. वैक्सीन तो अंततः देशवासियों को ही लगेगी तो यह भेदभाव क्यों?' प्रियंका ने लिखा, 'अगर हम दिसम्बर 2021 तक हर हिंदुस्तानी को वैक्सिनेट करना चाहते हैं तो हमें प्रतिदिन 70-80 लाख लोगों को वैक्सीन लगानी पड़ेगी. लेकिन मई महीने में औसतन प्रतिदिन 19 लाख डोज ही लगी हैं.'

प्रियंका गांधी ने सवाल खड़े करते हुए पूछा, 'वैक्सीन नीति को गर्त में धकेलने के बाद मोदी सरकार ने सबको वैक्सीन देने की जिम्मेदारी से हाथ क्यों खींच लिया? आज क्यों ऐसी नौबत आई कि देश के अलग-अलग राज्यों को वैक्सीन के ग्लोबल टेंडर डालकर आपस में ही प्रतिदंद्विता करनी पड़ रही है? एक वैक्सीन, एक देश मगर अलग-अलग दाम क्यों हैं? न पर्याप्त वैक्सीन का प्रबंध है, न तेजी से वैक्सीन लगवाने की योजना है तो सरकार किस मुंह से कह रही है कि इस साल के अंत तक हर एक हिंदुस्तानी को वैक्सीन मिल चुकी होगी? अगली लहर से देशवासियों को कौन बचाएगा? इंटरनेट एवं डिजिटल साक्षरता से वंचित आबादी के लिए केंद्र सरकार ने वैक्सीनेशन की कोई योजना क्यों नहीं बनाई? क्या मोदी सरकार के लिए उनकी जानें क़ीमती नहीं हैं?'