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ओडिशा, सिक्किम और मिजोरम में आज से वन नेशन वन राशनकार्ड योजना लागू

खाद्य और आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) ने कहा है कि 31 मार्च 2021 तक वन नेशन वन राशनकार्ड योजना को पूरे देश में लागू करना है. इसी कड़ी में 1 अगस्त 2020 तक उत्तराखंड, नागालैंड और मणिपुर को इससे जोड़ने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.

Updated on: 01 Jun 2020, 12:14 PM

नई दिल्ली:

केंद्रीय खाद्य और आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) ने कहा है कि सरकार की महत्वाकांक्षी वन नेशन वन राशनकार्ड योजना (One Nation One Ration Card Scheme) में आज तीन और राज्य- ओडिशा, सिक्किम और मिजोरम जुड़ गए है. इसके साथ अब कुल 20 राज्य IMPDS योजना से जुड़ गए है. उन्होंने कहा कि 31 मार्च 2021 तक वन नेशन वन राशनकार्ड योजना को पूरे देश में लागू करना है. इसी कड़ी में 1 अगस्त 2020 तक उत्तराखंड, नागालैंड और मणिपुर को इससे जोड़ने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे है.

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खाद्य सुरक्षा कानून लागू होने के बाद सभी राज्य इसके दायरे में आए: राम विलास पासवान
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) ने कुछ समय पहले कहा था कि गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों को देश में कहीं भी राशन लेने की सुविधा देने के लिये 'एक देश एक राशन कार्ड' योजना को एक आगामी एक जून से लागू कर दिया जाएगा. पासवान ने कहा था कि 2013 में 11 राज्यों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लागू होने के बाद अब इसके दायरे में सभी राज्य आ गए हैं.

बता दें कि 'वन नेशन वन राशन कार्ड' केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना है जिसके तहत पूरे देश में पीडीएस के लाभार्थियों को कहीं भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत संचालित राशन की दुकानों से उनके हिस्से का राशन मिलेगा. इस योजना के तहत पीडीएस (PDS) के लाभार्थियों की पहचान उनकेआधार कार्ड पर इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल डिवाइस से की जाती है, जिसमें लाभार्थियों से संबंधित विवरण फीड किए गए हैं.

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उन्होंने पिछले दिनों कहा था कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKY) के तहत अप्रैल महीने में पांच राज्यों में 75 फीसदी से भी कम अनाज का वितरण हुआ, जबकि देश के बाकी राज्यों में 90 फीसदी अनाज बंटा. पासवान ने कहा कि पीएमजीकेएवाई के तहत पंजाब, सिक्किम, दिल्ली, मध्य प्रदेश एवं झारखंड में अप्रैल के लिए वितरण 75 फीसदी से कम अनाज बंटा है जबकि लगभग बाकी राज्यों में 90 फीसदी खाद्यान्नों का वितरण हो चुका है.