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डेल्टा ही नहीं इससे भी खतरनाक वेरिएंट आ सकता है सामने, जानें एक्सपर्ट्स की राय

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान विश्व भर में डेल्टा वैरिएंट का विनाशकारी रूप सामने आया. बड़े-बड़े वैज्ञानिक अब इस वैरिएंट पर फोकस कर रहे हैं और यह जानने की कोशिश में लगे हुए है कि क्या वायरस का कोई और खतरनाक वैरिएंट भी सामने आ सकता है.

Updated on: 09 Aug 2021, 07:37 AM

नई दिल्ली:

कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया हुआ है. कोरोना के डेल्टा वेरिएंट का कारण पूरी दुनिया में कोरोना के मामलों में एक बार फिर तेजी देखी जा रही है. जिन देशों में कोरोना के मामलों में कमी सामने आई थी वहां भी मामले बढ़ रहे हैं. डेल्टा वेरिएंट तेजी से रूप बदलने के साथ ही और भी खतरनाक होता जा रहा है. अब बड़े-बड़े वैज्ञानिक डेल्टा वैरिएंट पर शोध कर यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या डेल्टा वेरिएंट के भी ज्यादा कोई खतरनाक वेरिएंट सामने आ सकता है. गौरतलब है कि भारत में पिछले कुछ महीनों से डेल्टा वेरिएंट के मामले ही सामने आ रहे हैं. यह वेरिएंट तेजी से लोगों को संक्रमित कर रहा है. दुनिया के 135 देशों में इस वेरिएंट के मामले देखे गए हैं.  

कोरोना संक्रमण (Corona Epidemic) के बढ़ते मामलों के बीच आर वैल्यू 1 के पार चले जाने से विशेषज्ञों की पेशानी पर बल पड़ गए हैं. कोरोना की घातक दूसरी लहर अभी काबू में आती दिख रही थी कि आर वैल्यू ने चिंता बढ़ा दी है. खासकर डेल्टा वैरिएंट (Delta Variant) के बढ़ते मामलों ने स्थिति की गंभीरता बढ़ा दी है. देश के 10 राज्यों में आर वैल्यू एक के पार चल रही है. आर-वैल्यू का मतलब होता है कि एक संक्रमित व्यक्ति अपने संपर्क में आने वाले कितने और लोगों को संक्रमित करता है. इसके जरिए ही यह समझने की कोशिश की जाती है कि कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं या कम रहे हैं. वर्तमान समय में आर वैल्यू 1.01 है. इसका मतलब है निकलता है कि एक व्यक्ति एक से अधिक लोगों को संक्रमित कर रहा है. 

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मई के बाद फिर बढ़ना शुरू हुआ आर वैल्यू
कोरोना संक्रमण की घातक दूसरी लहर के बीच मार्च में जैसे-जैसे मामले बढ़े आर वैल्यू 1.4 के आसपास था, लेकिन मई में जब कुल मामलों में गिरावट शुरू हुई, तो यह गिरकर लगभग 0.7 हो गया. अब एक बार फिर आर वैल्यू का बढ़ना चिंता का विषय है. विशेषज्ञों का मानना है कि महज आर वैल्यू बढ़ने से किसी जिले या राज्य को रेड जोन में नहीं रखा जा सकता है. कम से कम 10 राज्यों में आर वैल्यू 1.01 के राष्ट्रीय औसत से अधिक है. दिल्ली और महाराष्ट्र (दोनों 1.01 पर) राष्ट्रीय औसत के करीब पहुंच गए हैं. मध्य प्रदेश (1.31) में सबसे अधिक आर वैल्यू है, उसके बाद हिमाचल प्रदेश (1.30) और नागालैंड (1.09) है. केरल जहां रोजाना इस वक्त एक दिन में 20,000 से अधिक मामले सामने आ रहे हैं वहां 1.06 का आर वैल्यू है. कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के लिए भी यह संख्या 1 से ऊपर है.

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कोरोना संक्रमण के आंकड़े ऊपर-नीचे हो रहे हैं
हालांकि विशेषज्ञ बता रहे हैं कि प्रत्येक राज्य में आर वैल्यू अभी खतरनाक नहीं है. उदाहरण के लिए मध्य प्रदेश जहां आर वैल्यू सबसे अधिक है लेकिन एक दिन में 30 से कम मामले यहां सामने आ रहे हैं. अनियमित दैनिक संख्या के कारण आर मान अधिक है, लेकिन यह जोखिम का संकेत नहीं देता है क्योंकि परीक्षण किए गए लोगों की कुल संख्या में पॉजिटिव मामले कम है. तमिलनाडु में 26 जून को राज्य में ताजा मामलों की औसत संख्या में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई. मामलों का साप्ताहिक औसत पिछले सप्ताह की तुलना में उस दिन 7.8 फीसदी कम था. जून के पहले सप्ताह में राज्य के लिए आर मान जो 0.7 और 0.6 के बीच था, जुलाई के अंतिम सप्ताह में 1 से ऊपर चला गया. कोरोना के मामले ऊपर और नीचे जा रहे हैं.

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उत्तर-पूर्व में कम हो रहे संक्रमण के मामले
राज्यों में कोविड मामलों के लिए आर वैल्यू का विश्लेषण कुछ व्यापक पैटर्न की ओर इशारा करता है. आंकड़ों से पता चलता है कि दूसरी लहर, जो अभी भी देश के उत्तर पूर्व में मजबूत थी, वहां अब मामले कम हो रहे हैं. पूर्वोत्तर राज्यों में केवल नागालैंड में इस सूचक का एक से अधिक मान है. एक हजार से अधिक दैनिक मामलों वाले राज्यों में मिजोरम, असम और ओडिशा के लिए मूल्य एक से कम है, लेकिन इन राज्यों में भी संक्रमण और मौत की आशंका ज्यादा बनी हुई है. गौरतलब है कि दुनिया के कई देशों में कोरोना की तीसरी लहर ने कहर मचाना शुरू कर दिया है. ऐसे में भारत में आर वैल्यू का बढ़ना कहीं न कहीं अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत पर जोर देता है.