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जलीकट्टू पर सुप्रीम कोर्ट ने फौरी राहत देने से किया इनकार

अदालत ने केंद्र सरकार की खेल को अनुमति देने की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया।

Updated on: 12 Jan 2017, 10:54 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध हटाने के मामले में दायर की गई याचिका पर अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया।

जल्लीकट्टू पोंगल त्योहार पर सांड को काबू में करने का खेल है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि जल्लीकट्टू फैसले का मसौदा तैयार कर लिया गया है, लेकिन इसे शनिवार से पहले सौंप पाना संभव नहीं है।

अदालत ने केंद्र सरकार की खेल को अनुमति देने की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम ने सोमवार को आग्रह किया कि केंद्र सरकार जल्लीकट्टू के आयोजन के लिए एक अध्यादेश की घोषणा करे।

प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में पन्नीरसेल्वम ने कहा कि जल्लीकट्टू पोंगल उत्सव का एक अभिन्न हिस्सा है और यह त्योहार तमिलनाडु के लोगों के लिए काफी महत्व रखता है।

जल्लीकट्टू में सांड को काबू में किया जाता है। इसमें काबू करने वाले व्यक्ति को एक निश्चित दूरी या सांड के तीन बार कूदने तक उसकी पीठ पर बने रहना होता है।

सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु में मई 2014 में जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगा दिया था। अदालत ने यह भी कहा कि बैल को एक प्रदर्शन करने वाले जानवर के रूप में जल्लीकट्टू उत्सव में या तमिलनाडु में होने वाले बैलगाड़ी की दौड़ में तमिलनाडु, महाराष्ट्र या देश में कही भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

पोंगल त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाएगा। यह सूर्य, वर्षा और खेती में मददगार मवेशियों को धन्यवाद देने के मकसद से मनाया जाता है।