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चीन को सख्त महामारी-रोधी नीतियों पर क्यों जोर देना चाहिए?

चीन को सख्त महामारी-रोधी नीतियों पर क्यों जोर देना चाहिए?

Updated on: 25 Jan 2022, 08:20 PM

बीजिंग:

कोविड-19 महामारी पिछले दो साल से चल रही है, और इसे पूरी तरह खत्म नहीं किया गया है। महामारी का सबसे खराब परीणाम है कि उसने सामान्य व्यवस्था को नष्ट किया है। और अब कुछ देश सख्त महामारी विरोधी कदम उठाने में असमर्थ रहे हैं।

ब्रिटिश सरकार ने हाल ही में महामारी की रोकथाम के उपायों में ढील की घोषणा की, जिसके मुताबिक लोगों को घर में काम करने की आवश्यकता नहीं रही है, और अनिवार्य मुखौटा आदेश तथा स्वास्थ्य पास आदि को भी रद्द कर दिया जाएगा। इसी समय, कुछ यूरोपीय देशों ने भी वायरस के साथ सह-अस्तित्व की अवधारणा को अपनाते हुए नए मामलों की संख्या में वृद्धि जारी रहने के बावजूद भी महामारी की रोकथाम नियंत्रण में ढील देने का निर्णय लिया है। स्पेन, डेनमार्क, नीदरलैंड और अन्य देशों ने क्रमिक रूप से यात्रा प्रतिबंध हटा दिए हैं।

महामारी की रोकथाम करने में भिन्न भिन्न देशों की प्रतिक्रिया नीतियां अलग-अलग हैं, क्योंकि उनकी सामाजिक स्थितियां भिन्न होती हैं। चीन ने अब तक एक सख्त महामारी रोकथाम नीति अपनाई है, क्योंकि चीन की अपनी विशेष स्थितियां भी हैं। चीन में आधी से अधिक आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जहां अमीर क्षेत्रों की तुलना में औसत आय केवल एक तिहाई है, और चिकित्सा गारंटी की स्थिति भी बेचारी है। साथ ही, चीन में टीकाकरण दर भी संतोषजनक स्तर तक नहीं पहुंची है। चीन दुनिया के अन्य देशों के साथ लोगों और सामानों का व्यापक आदान-प्रदान कर रहा है। साथ ही, चीन के 14 पड़ोसी देश हैं और चीन की दुनिया में सबसे लंबी भूमि सीमा भी है। चीन को वायरस के फैलाव को रोकने में भारी दबाव का सामना करता है। यदि अत्यधिक सख्त महामारी रोकथाम नीति नहीं अपनाई गई हो, तो देश में महामारी के नियंत्रण से बाहर होने का बड़ा खतरा होगा।

चीन ने सख्त महामारी विरोधी नीति इसलिए अपनायी है कि वह जीवन के मूल्य को महत्व देता है। चीन में कोविड-19 मामलों की मृत्यु दर क्रमश: जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर की तुलना में 30 से 50 गुना कम है, जबकि इन पूर्वी एशियाई देशों की मृत्यु दर पश्चिमी और लैटिन अमेरिकी देशों की तुलना में काफी कम रही है। पड़ोसी देशों की तुलना में भी चीन की कोविड-19 मामलों की मृत्यु दर भी बेहद कम है। उदाहरण के लिए, मंगोलिया में मृत्यु दर 615 प्रति मिलियन लोग हैं, वियतनाम में 335, म्यांमार में 356, किर्गिस्तान में 433.9, कजाकिस्तान में 702.8, लाओस में 50.2, जबकि चीन में केवल 3.21 लोग हैं। चीन की सख्त महामारी-रोधी नीतियों ने महामारी के बड़े पैमाने पर प्रसार को रोका है, जिससे अधिकांश लोगों के जीवन सुरक्षा की रक्षा की गयी है।

आर्थिक विकास में चीन की सख्त महामारी रोकथाम नीतियों के भी अच्छे परिणाम मिले हैं। चीनी सीमा शुल्क के जनरल प्रशासन के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 में चीन का विदेशी व्यापार 60 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से पार गया, जो 2020 से 21.4 प्रतिशत अधिक रही। अकेले यह राशि चीन और अमेरिका को छोड़कर दुनिया के अन्य सभी देशों के जीडीपी से पार कर गई है। महामारी के प्रभाव में, दुनिया में केवल चीन ने एक मजबूत औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखला बनाए रखी है, और इस प्रकार वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिरता सुनिश्चित की है। साथ ही चीन से औद्योगिक श्रृंखला का दूसरे देशों में स्थानांतरण भी अमल में नहीं आया है। गौरतलब है कि 2021 में चीन-भारत व्यापार की मात्रा 125 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गयी है, जिसमें से चीन से भारत का आयात 97.5 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचा है, जो एक नया रिकॉर्ड है। तथ्यों ने साबित कर दिया है कि चीन की सख्त महामारी रोकथाम नीति ने आर्थिक विकास को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया है। जब तक महामारी की स्थिति मौलिक रूप से नहीं बदलती, तब तक चीन को यह नीति बदलने का कारण नहीं होगा।

किसी भी देश की महामारी निवारण नीति स्थिर नहीं है, और चीन जो काम कर रहा है, वह समय के साथ की गई दौड़ है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, न्यू कोरोनावायरस ने आत्म-मंदी की प्रवृत्ति दिखाई है, उधर टीकों और प्रभावी दवाओं के विकास में भी तेजी आ रही है। आधिकारिक मेडिकल जर्नल द लैंसेट द्वारा 19 जनवरी को प्रकाशित एक लेख के अनुसार, न्यू कोरोना वायरस का अस्तित्व बना रह सकता है, लेकिन वैश्विक महामारी का अंत होगा। 17 जनवरी तक प्राप्त आंकड़ों को देखते हुए, दुनिया भर में 100 मिलियन से अधिक लोग ओमिक्रॉन से संक्रमित हो गए हैं, जो पिछले साल डेल्टा संक्रमण के चरम से 10 गुना अधिक है, लेकिन रोगियों के अस्पताल में भर्ती होने की दर में वृद्धि नहीं हुई है। अधिकांश अमेरिकी राज्यों में कोविड -19 की अस्पताल में भर्ती दर में लगभग 50 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि दक्षिण अफ्रीका में 90 प्रतिशत से अधिक संक्रमित लोग स्पशरेन्मुख हैं। विश्वास है कि टीकाकरण दरों में लगातार वृद्धि के साथ, वह दिन जब मानव जाति न्यू कोरोना वायरस को पूरी तरह से हरा देगी, बहुत दूर नहीं होगा। समय ²ढ़ता के पक्ष में है, और इतिहास यह साबित करेगा कि चीन की सख्त महामारी विरोधी नीतियां सकारात्मक और प्रभावी हैं।

(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)

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