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COVID में अनाथ बच्चों को गोद लेने पर गंभीर NCPCR, सोशल मीडिया साइटों से मांगी जानकारी

NCPCR ने ट्विटर और फेसबुक सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (social media platforms)को कोविड काल ( Corona Crisis ) में अनाथ बच्चों को सीधे गोद लेने के विज्ञापन वाले पोस्ट की उत्पत्ति साझा करने के लिए कहा

Updated on: 13 Jun 2021, 10:50 PM

highlights


कोरोना काल में अनाथ बच्चों को गोद लेने पर गंभीर NCPCR
NCPCR ने सभी सोशल मीडिया साइटों से मांगी जानकारी 
सोशल मीडिया पर ऐसे विज्ञापनों के सोर्स की भी मांगी सूचना

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights) ने रविवार को ट्विटर और फेसबुक सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (social media platforms)को कोविड काल ( Corona Crisis ) में अनाथ बच्चों को सीधे गोद लेने के विज्ञापन वाले पोस्ट की उत्पत्ति साझा करने के लिए कहा। इसके साथ ही निर्देशों का पालन नहीं करने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी। आयोग ने कहा कि उसे शिकायतें मिली थीं और कई सोशल मीडिया पेजों और पोस्टों से अवगत कराया गया था, जिसमें उन बच्चों को गोद लेने के बारे में विज्ञापन दिया गया था जिन्होंने कोरोनो वायरस की दूसरी लहर ( second wave of coronavirus )के दौरान अपने माता-पिता को संक्रमण से खो दिया था।

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अवैध रूप से गोद लेने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सएप और टेलीग्राम (Twitter, Facebook, Whatsapp and Telegram) को लिखे एक पत्र में कहा कि किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act) की प्रक्रियाओं का पालन किए बिना ऐसा कोई भी गोद लेना अवैध और कानून का उल्लंघन है। आयोग ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के प्रावधानों के विपरीत प्रभावित बच्चों को गोद लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, और राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को गैर-सरकारी संगठनों ( NGO) या अवैध रूप से गोद लेने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।

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NCPCR मामले में आवश्यक कार्रवाई के लिए सिफारिश

एनसीपीसीआर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों से कहा कि ऐसे मामलों में जहां ऐसी पोस्ट की जाती हैं, इसकी सूचना कानून प्रवर्तन अधिकारियों और/या एनसीपीसीआर या राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के आयोगों को दी जानी चाहिए। शीर्ष बाल अधिकार निकाय ने अपने पत्र में कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) पता, पोस्ट की उत्पत्ति और अन्य प्रासंगिक विवरण प्रदान करना चाहिए, ताकि एनसीपीसीआर मामले में आवश्यक कार्रवाई के लिए सिफारिश कर सके।